"बृहद आरण्यक" के अवतरणों में अंतर

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07:08, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

  • इस शुक्लयजुर्वेदीय आरण्यक की विशेष प्रसिद्धि उपनिषद के रूप में है।
  • आत्मतत्त्व की इसमें विशेष विवेचना की गई है।
  • उपनिषदों के प्रकरण में इसकी विशद समीक्षा है।

इन्हें भी देखें: बृहदारण्यकोपनिषद


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