"बकुलाही नदी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Beladevi-mandir.jpeg|thumb|250px|बेल्हा देवी मन्दिर, बकुलाही नदी, [[प्रतापगढ़ ज़िला]]]]
+
[[चित्र:Bakulahi River Bhayaharan Nath Dham.jpg|thumb|250px|[[भयहरणनाथ धाम]] के निकट बकुलाही नदी]]
भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के कई ज़िले बकुलाही नदी के पावन तट पर बसे हुए है।  
+
'''बकुलाही नदी''' [[भारत]] की [[वेद]] वर्णित प्राचीन नदियों में से एक है। भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के कई ज़िले इस नदी के पावन तट पर बसे हुए हैं। [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ '[[वाल्मीकि रामायण]]' में भी इस नदी का उल्लेख हुआ है।  
 
 
 
==इतिहास ==
 
==इतिहास ==
बकुलाही नदी अति प्राचीन [[वेद]] वर्णित नदी है। इस नदी का प्राचीन नाम 'बालकुनी' था, किन्तु बाद में परिवर्तित होकर बकुलाही हो गया। बकुलाही शब्द लोक भाषा [[अवधी]] से उद्धृत है। जनश्रुति के अनुसार बगुले की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण भी इसे बकुलाही कहा जाता है।  
+
बकुलाही नदी अति प्राचीन [[वेद]] वर्णित नदी है। इस नदी का प्राचीन नाम 'बालकुनी' था, किन्तु बाद में परिवर्तित होकर 'बकुलाही' हो गया। बकुलाही शब्द लोक भाषा [[अवधी]] से उद्धृत है। जनश्रुति के अनुसार बगुले की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण भी इसे बकुलाही कहा जाता है।
 
+
====उदगम स्थल====
==उदगम स्थल==
+
बकुलाही नदी उद्गम का [[उत्तर प्रदेश]] के [[रायबरेली ज़िला|रायबरेली ज़िले]] में स्थित 'भरतपुर झील' से हुआ है। यहाँ से चलते हुए यह नदी 'बेंती झील', 'मांझी झील' और 'कालाकांकर झील' से [[जल]] ग्रहण करते हुए बड़ी नदी का स्वरूप प्राप्त करती है। मुख्यालय के दक्षिण में स्थित मान्धाता ब्लॉक को हरा-भरा करते हुए यह नदी आगे जाकर खजुरनी गांव के पास [[गोमती नदी]] की सहायक नदी सई में मिल जाती है।
बकुलाही नदी उद्गम का उत्तर प्रदेश के [[रायबरेली ज़िला]] के भरतपुर झील से हुआ है। वहां से चलते हुए यह नदी बेंती झील, मांझी झील और कालाकांकर झील से जलग्रहण करते हुए बड़ी नदी का
 
स्वरूप प्राप्त करती है। मुख्यालय के दक्षिण में स्थित मान्धाता ब्लॉक को हरा-भरा करते हुए यह नदी आगे जाकर खजुरनी गांव के पास [[गोमती]] नदी की सहायक नदी सई में मिल जाती है।
 
 
 
 
==पौराणिक उल्लेख==
 
==पौराणिक उल्लेख==
[[चित्र:Bakulahi River Bhayaharan Nath Dham.jpg|thumb|250px|भयहरणनाथ धाम, बकुलाही नदी]]
+
बकुलाही नदी का संक्षिप्त वर्णन [[वेद]]-[[पुराण]] तथा कई धर्म ग्रंथों में है। [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[वाल्मीकि रामायण]] में बकुलाही नदी का उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का ज़िक्र इस प्रकार है, जब [[राम|भगवान राम]] के वन से वापस आने की प्रतीक्षा में व्याकुल [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] के पास [[हनुमान]] राम का संदेश लेकर पहुंचते हैं। हनुमान जी से भरत जी पूछते हैं कि मार्ग में उन्होंने क्या-क्या देखा। इस पर [[हनुमान]] जी का उत्तर होता है-
बकुलाही नदी का संक्षिप्त वर्णन वेद [[पुराण]] तथा कई धर्मग्रंथों में है। [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[वाल्मीकि रामायण]] में बकुलाही नदी का उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का जिक्र इस प्रकार है, जब [[राम|भगवान राम]] के वन से वापस आने की प्रतीक्षा में व्याकुल [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] के पास [[हनुमान]] जी राम का संदेश लेकर पहुंचते हैं। हनुमान जी से भरत जी पूछते हैं कि मार्ग में उन्होंने क्या-क्या देखा। इस पर [[हनुमान]] जी का उत्तर होता है-
+
[[चित्र:Bakulahi.jpg|thumb|250px|बकुलाही नदी]]
<blockquote>'''सो अपश्यत राम तीर्थम् च नदी बालकुनी तथा बरूठी,गोमती चैव भीमशालम् वनम् तथा।'''</blockquote>
+
<blockquote>सो अपश्यत राम तीर्थम् च नदी बालकुनी तथा बरूठी,<br />
 +
गोमती चैव भीमशालम् वनम् तथा।</blockquote>
  
 
वहीं इस नदी का वर्णन श्री भयहरणनाथ चालीसा के पंक्ति क्रमांक 27 के इन शब्दों में है-
 
वहीं इस नदी का वर्णन श्री भयहरणनाथ चालीसा के पंक्ति क्रमांक 27 के इन शब्दों में है-
<blockquote>'''बालकुनी इक सरिता पावन।  
+
<blockquote>बालकुनी इक सरिता पावन। <br />
उत्तरमुखी पुनीत सुहावन॥'''</blockquote>
+
उत्तरमुखी पुनीत सुहावन॥</blockquote>
  
==बकुलाही तट पर धार्मिक स्थल==
+
==तट पर स्थित धार्मिक स्थल==
प्रतापगढ़ बेल्हा के दक्षिणांचल में पहुंचने पर यह नदी और भी पौराणिक हो जाती है क्योंकि इसके तट पर प्रदेश का विख्यात [[महाभारत]] कालीन भयहरणनाथ धाम की उत्पत्ति मिलती है। भयहरणनाथ धाम के कुछ दूरी पर प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है। यह नदी विकास खंड मान्धाता से होते हुए विश्वनाथगंज में स्थित [[शनिदेव]] मंदिर से प्रवाहित होते हुए आगे बढ़ती है।
+
प्रतापगढ़ बेल्हा के दक्षिणांचल में पहुंचने पर यह नदी और भी पौराणिक हो जाती है, क्योंकि इसके तट पर प्रदेश का विख्यात [[महाभारत]] कालीन [[भयहरणनाथ धाम]] की उत्पत्ति मिलती है। भयहरणनाथ धाम के कुछ दूरी पर प्राचीन [[सूर्य मंदिर प्रतापगढ़|सूर्य मंदिर]] स्थित है। यह नदी विकास खंड मान्धाता से होते हुए विश्वनाथगंज में स्थित भगवान [[शनिदेव]] के मंदिर से प्रवाहित होते हुए आगे बढ़ती है।
  
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत की नदियाँ}}
 
{{भारत की नदियाँ}}
[[Category:भारत की नदियाँ]] [[Category:उत्तर प्रदेश की नदियाँ]] [[Category:भूगोल कोश]]  
+
[[Category:भारत की नदियाँ]] [[Category:उत्तर प्रदेश की नदियाँ]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:भूगोल कोश]]  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

06:06, 1 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

भयहरणनाथ धाम के निकट बकुलाही नदी

बकुलाही नदी भारत की वेद वर्णित प्राचीन नदियों में से एक है। भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के कई ज़िले इस नदी के पावन तट पर बसे हुए हैं। हिन्दुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ 'वाल्मीकि रामायण' में भी इस नदी का उल्लेख हुआ है।

इतिहास

बकुलाही नदी अति प्राचीन वेद वर्णित नदी है। इस नदी का प्राचीन नाम 'बालकुनी' था, किन्तु बाद में परिवर्तित होकर 'बकुलाही' हो गया। बकुलाही शब्द लोक भाषा अवधी से उद्धृत है। जनश्रुति के अनुसार बगुले की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण भी इसे बकुलाही कहा जाता है।

उदगम स्थल

बकुलाही नदी उद्गम का उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले में स्थित 'भरतपुर झील' से हुआ है। यहाँ से चलते हुए यह नदी 'बेंती झील', 'मांझी झील' और 'कालाकांकर झील' से जल ग्रहण करते हुए बड़ी नदी का स्वरूप प्राप्त करती है। मुख्यालय के दक्षिण में स्थित मान्धाता ब्लॉक को हरा-भरा करते हुए यह नदी आगे जाकर खजुरनी गांव के पास गोमती नदी की सहायक नदी सई में मिल जाती है।

पौराणिक उल्लेख

बकुलाही नदी का संक्षिप्त वर्णन वेद-पुराण तथा कई धर्म ग्रंथों में है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का ज़िक्र इस प्रकार है, जब भगवान राम के वन से वापस आने की प्रतीक्षा में व्याकुल भरत के पास हनुमान राम का संदेश लेकर पहुंचते हैं। हनुमान जी से भरत जी पूछते हैं कि मार्ग में उन्होंने क्या-क्या देखा। इस पर हनुमान जी का उत्तर होता है-

बकुलाही नदी

सो अपश्यत राम तीर्थम् च नदी बालकुनी तथा बरूठी,
गोमती चैव भीमशालम् वनम् तथा।

वहीं इस नदी का वर्णन श्री भयहरणनाथ चालीसा के पंक्ति क्रमांक 27 के इन शब्दों में है-

बालकुनी इक सरिता पावन।
उत्तरमुखी पुनीत सुहावन॥

तट पर स्थित धार्मिक स्थल

प्रतापगढ़ बेल्हा के दक्षिणांचल में पहुंचने पर यह नदी और भी पौराणिक हो जाती है, क्योंकि इसके तट पर प्रदेश का विख्यात महाभारत कालीन भयहरणनाथ धाम की उत्पत्ति मिलती है। भयहरणनाथ धाम के कुछ दूरी पर प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है। यह नदी विकास खंड मान्धाता से होते हुए विश्वनाथगंज में स्थित भगवान शनिदेव के मंदिर से प्रवाहित होते हुए आगे बढ़ती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख