एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

"पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि''' [[ओडिशा|उड़ीसा रा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{सूचना बक्सा संग्रहालय
 +
|चित्र=Archaeological-Museum-Ratnagiri.jpg
 +
|चित्र का नाम=पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि
 +
|विवरण=सौंदर्यपूर्ण तरीके से निर्मित यह तीन मंजिला आलीशान इमारत रत्‍नागिरि गांव, [[उड़ीसा]] के एशिया पर्वत श्रृंखलाओं की रत्‍नागिरि पहाड़ी के उत्‍तरी शिवर पर बनी हुई है। इस संग्रहालय में खुदाई स्‍थल से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं और पुरातत्‍वीय [[अवशेष]] मौजूद हैं।
 +
|राज्य= [[ओडिशा]]
 +
|नगर=[[जाजपुर ज़िला]]
 +
|निर्माण=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|मानचित्र लिंक=[https://www.google.co.in/maps/dir/Bhubaneshwar,+Odisha/Ratnagiri+Monastery,+Ratnagiri,+Odisha/@20.4983993,85.7851387,10z/data=!3m1!4b1!4m13!4m12!1m5!1m1!1s0x3a1909d2d5170aa5:0xfc580e2b68b33fa8!2m2!1d85.8245398!2d20.2960587!1m5!1m1!1s0x3a1bde7615437ad1:0x616b68a9328b3201!2m2!1d86.336253!2d20.64206?hl=en गूगल मानचित्र]
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=खुले रहने का समय
 +
|पाठ 1=सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
 +
|शीर्षक 2=अवकाश
 +
|पाठ 2=[[शुक्रवार]]
 +
|अन्य जानकारी=  इस संग्रहालय में 5वीं से 13वीं शताब्‍दी ईसवी की मुख्‍यत: बौद्धमत से संबंधित कला वस्‍तुओं और पुरावस्‍तुओं को दर्शाने वाले लम्‍बे गलियारे के साथ चार दीर्घाएं मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर पुरावस्‍तुएं, विशेषकर शानदार पाषाण और कांस्‍य प्रतिमाएं, तांत्रिक बौद्ध वज्रयान सम्‍प्रदाय से संबंधित हैं।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 
'''पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि''' [[ओडिशा|उड़ीसा राज्य]] के [[जाजपुर ज़िला|जाजपुर ज़िले]] में स्थित है। सौंदर्यपूर्ण तरीके से निर्मित यह तीन मंजिला आलीशान इमारत रत्‍नागिरि गांव, उड़ीसा के एशिया पर्वत श्रृंखलाओं की रत्‍नागिरि पहाड़ी के उत्‍तरी शिवर पर बनी हुई है। इस संग्रहालय में खुदाई स्‍थल से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं और पुरातत्‍वीय [[अवशेष]] मौजूद हैं।
 
'''पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि''' [[ओडिशा|उड़ीसा राज्य]] के [[जाजपुर ज़िला|जाजपुर ज़िले]] में स्थित है। सौंदर्यपूर्ण तरीके से निर्मित यह तीन मंजिला आलीशान इमारत रत्‍नागिरि गांव, उड़ीसा के एशिया पर्वत श्रृंखलाओं की रत्‍नागिरि पहाड़ी के उत्‍तरी शिवर पर बनी हुई है। इस संग्रहालय में खुदाई स्‍थल से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं और पुरातत्‍वीय [[अवशेष]] मौजूद हैं।
 
==विशेषताएँ==
 
==विशेषताएँ==

13:54, 19 फ़रवरी 2015 का अवतरण

पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि
पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि
विवरण सौंदर्यपूर्ण तरीके से निर्मित यह तीन मंजिला आलीशान इमारत रत्‍नागिरि गांव, उड़ीसा के एशिया पर्वत श्रृंखलाओं की रत्‍नागिरि पहाड़ी के उत्‍तरी शिवर पर बनी हुई है। इस संग्रहालय में खुदाई स्‍थल से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं और पुरातत्‍वीय अवशेष मौजूद हैं।
राज्य ओडिशा
नगर जाजपुर ज़िला
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
खुले रहने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
अवकाश शुक्रवार
अन्य जानकारी इस संग्रहालय में 5वीं से 13वीं शताब्‍दी ईसवी की मुख्‍यत: बौद्धमत से संबंधित कला वस्‍तुओं और पुरावस्‍तुओं को दर्शाने वाले लम्‍बे गलियारे के साथ चार दीर्घाएं मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर पुरावस्‍तुएं, विशेषकर शानदार पाषाण और कांस्‍य प्रतिमाएं, तांत्रिक बौद्ध वज्रयान सम्‍प्रदाय से संबंधित हैं।

पुरातत्वीय संग्रहालय, रत्नागिरि उड़ीसा राज्य के जाजपुर ज़िले में स्थित है। सौंदर्यपूर्ण तरीके से निर्मित यह तीन मंजिला आलीशान इमारत रत्‍नागिरि गांव, उड़ीसा के एशिया पर्वत श्रृंखलाओं की रत्‍नागिरि पहाड़ी के उत्‍तरी शिवर पर बनी हुई है। इस संग्रहालय में खुदाई स्‍थल से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं और पुरातत्‍वीय अवशेष मौजूद हैं।

विशेषताएँ

  • इस संग्रहालय में 5वीं से 13वीं शताब्‍दी ईसवी की मुख्‍यत: बौद्धमत से संबंधित कला वस्‍तुओं और पुरावस्‍तुओं को दर्शाने वाले लम्‍बे गलियारे के साथ चार दीर्घाएं मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर पुरावस्‍तुएं, विशेषकर शानदार पाषाण और कांस्‍य प्रतिमाएं, तांत्रिक बौद्ध वज्रयान सम्‍प्रदाय से संबंधित हैं।
  • पुरावस्‍तुएं विभिन्‍न स्‍वरूप की हैं और इनमें लघु उपासना स्‍तूप, पाषाण, कांसे, हाथीदांत की विभिन्‍न माध्‍यमों और परिमापों वाली प्रतिमाएं, शिला और ताम्र अभिलेख, अभिलिखित पात्र के टुकड़े, टेराकोटा की मुद्राएं और मुद्रांकन, टेराकोटा की आकृतियां, छत्र, कुण्‍डल, आभूषण, स्‍तूपिकाएं, फूल, सुसज्‍जित पट्टे, छोटे बर्तन, कांच की चूड़ियां, सिक्‍के इत्‍यादि शामिल हैं।
  • प्रथम दीर्घा में प्रदर्शित पुरावस्‍तुओं में विभिन्‍न मुद्राओं में बुद्ध की पाषाण मूर्तियों, एक छह भुजाओं वाले भगवान की मूर्ति उल्‍लेखनीय हैं और ये सभी 9वीं से 11वीं शताब्‍दी ईसवी से संबंधित हैं। तारा की बैठी मुद्रा वाली मूर्ति तथा मंजुश्री की ध्‍यानमुद्रा वाली मूर्ति का उल्‍लेख किया जा सकता है जो दोनों नमूना-निर्माण कला की उत्‍कृष्‍टता को दर्शाती हैं।
  • द्वितीय दीर्घा में प्रदर्शित महत्‍वपूर्ण वस्‍तुओं में बुद्ध, बोधिसत्‍व, जंभाला, विभिन्‍न मुद्राओं में तारा, वसुंधरा, चुंडा, नृत्‍य मुद्रा में स्‍त्री इत्‍यादि की पाषाण प्रतिमाएं शामिल हैं। बुद्ध के सिर की विशाल मूर्ति, तारा, वसुंधरा और विश्‍वपद्म पर भूमिस्‍पर्श-मुद्रा में बैठे बुद्ध की मूर्ति उल्‍लेखनीय हैं।
  • तृतीय दीर्घा में बुद्ध की मूर्तियों, स्‍तूपों, बोधिसत्‍व, मैत्रेय तथा कुछ अन्‍य वज्रायन देवी-देवताओं की मूर्तियों से सजाया गया है। इनके अलावा, दुर्गा और वैष्‍णवी की मूर्तियां, अभिलिखित पाषाण पटिए, पत्‍थर की चक्रिका (डिस्‍क) इत्‍यादि देखने लायक हैं। यद्यपि, इस दीर्घा के दीवार में लगी प्रदर्शन मंजूषाओं में मौजूद मूर्तियां और वस्‍तुएं तुलनात्‍मक रूप से आकार में छोटी हैं।
  • चतुर्थ दीर्घा में विविध वस्‍तुएं प्रदर्शित हैं जिनमें टेराकोटा की वस्‍तुएं, मुद्राएं और मुद्रांकन, हाथीदांत की वस्‍तुएं, अभिलिखित ताम्र पत्‍तर, पात्र के टूटे हुए टुकड़े और स्‍मारक पात्र, दैनिक उपयोग की वस्‍तुएं इत्‍यादि शामिल हैं। मंजुश्री, यमारी इत्‍यादि की कांस्‍य मूर्तियां इस दीर्घा का आकर्षण है। ये कांस्‍य प्रतिमाएं नालंदा और झेवारी (बंग्‍लादेश) की कांस्‍य प्रतिमाओं के समान हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय-रत्‍नागिरि (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 19 फ़रवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख