"पुरातत्वीय संग्रहालय, बीजापुर" के अवतरणों में अंतर

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{{सूचना बक्सा संग्रहालय
 
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|चित्र का नाम=पुरातत्वीय संग्रहालय, बीजापुर
 
|विवरण=विजय की नगरी विजयपुरी प्राचीन नाम से प्रसिद्ध बीजापुर [[आदिलशाही वंश|आदिलशाहियों]] की राजधानी थी जिन्‍होंने इस पर 1489 ई. से 1686 ई. तक शासन किया। 
 
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|निर्माण=[[1892]] ई.
 
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|संबंधित लेख=
 
|शीर्षक 1=खुलने का समय
 
|पाठ 1=सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक
 
|शीर्षक 2=अवकाश
 
|पाठ 2=[[शुक्रवार]]
 
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|बाहरी कड़ियाँ= इस संग्रहालय में 6वीं से 18वीं शताब्‍दी ईसवी के विभिन्‍न लिपियों में तथा विभिन्‍न सुलेख-कलाओं में लिखित [[अरबी भाषा|अरबी]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[कन्नड़]] और [[संस्कृत]] भाषाओं के [[शिलालेख]], [[ब्राह्मण]] और [[जैन धर्म]] की मूर्तियां, वीर-पाषाण, चित्रपूर्ण और सादी पांडुलिपियां, सिक्‍के, चीनी मिट्टी के बर्तन, लकड़ी पर नक्‍काशियां, कालीन, मानचित्र, सनद और फरमान, लघुचित्र बदिरी के बर्तन तथा अन्‍य घरेलू वस्‍तुएं शामिल हैं।
 
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==इतिहास==
 
==इतिहास==

10:59, 8 जनवरी 2015 का अवतरण

पुरातत्वीय संग्रहालय, बीजापुर कर्नाटक में स्थित है। बीजापुर (अक्षांश 16° 49' उ. देशांतर 75° 42' पू.) शोलापुर के लगभग 110 कि.मी. दक्षिण, धारवाड़ से 204 कि.मी. उत्तर और बेलगांव से 220 कि.मी. की दूरी पर स्‍थित है। गडग-शोलापुर मीटर गेज रेल लाइन पर इसका रेल स्‍टेशन स्‍थित है। लगभग 380 कि.मी. की दूरी पर स्‍थित हैदराबाद सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।

इतिहास

विजय की नगरी विजयपुरी प्राचीन नाम से प्रसिद्ध बीजापुर आदिलशाहियों की राजधानी थी जिन्‍होंने इस पर 1489 ई. से 1686 ई. तक शासन किया। आदिलशाही अवधि के दौरान बनाए गए अनेक धार्मिक, धर्म-निरपेक्ष और रक्षा संबंधी इमारतें बीजापुर और उसके आसपास स्‍थित है। यह शहर एक क़िले की चारदीवारी से घिरा है जो लगभग 10 कि.मी. लम्‍बी है।

विशेषताएँ

  • गोल गुम्‍बज परिसर के नक्‍कार खाना में स्‍थित पुरातत्वीय संग्रहालय 1892 में मूल रूप से जिला संग्रहालय के रूप में स्‍थापित किया गया था। बाद में 1982 में इसे एक स्‍थल संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए अधिगृहित कर लिया गया।
  • नक्‍कार खाना विशिष्‍ट आदिलशाही वास्‍तु-शैली का है और इसमें उठे हुए चबूतरे और विशाल खंभों पर लम्‍बे और उन्‍नत मेहराब बने हैं। स्‍वयं ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा लगाई गई बड़ी और अच्‍छी विशाल प्रदर्शन-मंजूषाएं पुरातन फर्नीचर के अच्‍छे उदाहरण बन गए हैं।
  • इसमें मौजूद संग्रह में 6वीं से 18वीं शताब्‍दी ईसवी के विभिन्‍न लिपियों में तथा विभिन्‍न सुलेख-कलाओं में लिखित अरबी, फ़ारसी, कन्नड़ और संस्कृत भाषाओं के शिलालेख, ब्राह्मण और जैन धर्म की मूर्तियां, वीर-पाषाण, चित्रपूर्ण और सादी पांडुलिपियां, सिक्‍के, चीनी मिट्टी के बर्तन, लकड़ी पर नक्‍काशियां, कालीन, मानचित्र, सनद और फरमान, लघुचित्र बदिरी के बर्तन तथा अन्‍य घरेलू वस्‍तुएं शामिल हैं।
  • संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं जिनमें से तीन भूतल पर और शेष ऊपरी तल पर स्‍थित हैं। इसमें आदिलशाही कला-वस्‍तुओं के विशेष संग्रह के साथ इस क्षेत्र की अधिकतर चल सांस्‍कृतिक संपत्‍तियां मौजूद हैं।
  • प्रथम दीर्घा में ब्राह्मणवादी मूर्तियां तथा द्वितीय दीर्घा में जैन मूर्तियां मौजूद हैं। तृतीय दीर्घा में विभिन्‍न प्रकार की सुलेख कलाओं वाले अरबी, फ़ारसी, संस्कृत और कन्नड़ भाषाओं के अभिलेख प्रदर्शित है।
  • चौथी दीर्घा में शस्‍त्र, अस्‍त्र तथा अन्‍य धातु की वस्‍तुएं प्रदर्शित हैं। पांचवीं दीर्घा में लघुचित्र, कालीनें, धातु की छोटी वस्‍तुएं मौजूद हैं। छठी दीर्घा में अरबी और फ़ारसी अभिलेख, चीनी मिट्टी के बर्तन इत्‍यादि प्रदर्शित हैं।
  • उत्‍कृष्‍ट सुलेख-कला दर्शाने वाले अभिलिखित तख्‍ते, पवित्र कुरान की सचिव पांडुलिपियां, अस्‍त्र-शस्‍त्र, अच्‍छे परिधान धारण किए हुए एक शाही व्‍यक्‍ति का धड़, आदिलशाही लघुचित्रों के उत्‍कृष्‍ट नमूनों का विस्‍तार किया हुआ चित्र, राजाओं और रानियों के तथा गोल गुम्‍बज से तुलनीय विश्‍व प्रसिद्ध स्‍मारकों के ट्रांस्‍लाईड (घूमते चित्र) इस संग्रहालय के मुख्‍य आकर्षण हैं। [1]

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सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक

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शुक्रवार


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय - बीजापुर (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 6 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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