पुरातत्वीय संग्रहालय, खजुराहो
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पुरातत्वीय संग्रहालय, खजुराहो
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विवरण | यह संग्रहालय महोबा के 54 कि.मी. दक्षिण, छतरपुर के 45 कि.मी. पूर्व और सतना जिले के 105 कि.मी. पश्चिम में स्थित है तथा निकटतम रेलवे स्टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झांसी से पक्की सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा है। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
नगर | खजुराहो |
स्थापना | 1957 |
गूगल मानचित्र | |
खुलने का समय | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक |
अवकाश | शुक्रवार |
अन्य जानकारी | इस संग्रहालय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण मूर्तियाँ ब्राह्मण, जैन और बौद्ध मतों से संबंधित हैं और इन्हें मुख्य कक्ष समेत पाँच दीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है। |
अद्यतन | 15:24, 15 जनवरी 2015 (IST)
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पुरातत्वीय संग्रहालय, खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित है। यह महोबा के 54 कि.मी. दक्षिण, छतरपुर के 45 कि.मी. पूर्व और सतना जिले के 105 कि.मी. पश्चिम में स्थित है तथा निकटतम रेलवे स्टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झांसी से पक्की सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा है।
विशेषताएँ
- 1910 में, बुंदेलखंड में ब्रिटिश शासन के तत्कालीन स्थानीय अधिकारी श्री डब्ल्यू. ए. जार्डिन की पहल पर खजुराहो के क्षतिग्रस्त मन्दिरों की अलग हो गई प्रतिमाओं तथा वास्तुकला के अवशेषों को पश्चिमी मन्दिर समूह के मातंगेश्वर मन्दिर से जुड़े एक अहाते में संग्रहित और परिरक्षित किया गया।
- 1952 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अधिग्रहण किए जाने तक इस ऊपर से खुले संग्रह को जार्डिन संग्रहालय के रूप में जाना जाता रहा। किन्तु 1952 में इसका नाम बदलकर पुरातत्वीय संग्रहालय कर दिया गया। अब इस ऊपर से खुले संग्रहालय का उपयोग आरक्षित संग्रह के लिए किया जा रहा है और इस अहाते के अन्दर आम जनता का प्रवेश प्रतिबंधित है।
- वर्तमान संग्रहालय 1957 में स्थापित किया गया था, जिसमें ऊपर से खुले संग्रहालय से लिए गए खजुराहो प्रतिमाओं के प्रतिनिधि संग्रह का उपयोग किया गया था।
- इस संग्रहालय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण मूर्तियाँ ब्राह्मण, जैन और बौद्ध मतों से संबंधित हैं और इन्हें मुख्य कक्ष समेत पाँच दीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय-खजुराहो (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 13 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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