नागरक

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नागरक उच्च अधिकारी का पद था जो मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण भाग था।

  • जैसे जनपदों का शासन समाहर्ता के अधीन था, वैसे ही पुरों या नगरों के शासन का सर्वोच्च अधिकारी नागरक होता था।
  • विशेषतया राजधानी का शासन नागरक के हाथ में रहता था।
  • साम्राज्य में राजधानी की विशेष महत्ता होती थी। पाटलिपुत्र उस युग में संसार का सबसे बड़ा नगर था। रोम और एथेन्स का विस्तार पाटलिपुत्र की अपेक्षा बहुत कम था। 9 मील लम्बे और 1½ मील चौडे इस विशाल नगर का प्रबन्ध एक पृथक् महामात्य के अधीन हो, यह उचित ही था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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