अश्वाध्यक्ष

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अश्वाध्यक्ष मौर्य साम्राज्य की जो शासन व्यवस्था थी, उसमें एक उच्च अधिकारी का पद था।

  • सैनिक दृष्टि से मौर्य काल में घोड़ों का बड़ा महत्त्व था। उनके पालन, नस्ल की उन्नति आदि पर राज्य की ओर से बहुत ध्यान दिया जाता था।
  • घोड़ों को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए अनेक प्रकार के अभ्यास या कवायद करायी जाती थी। ये सब कार्य 'अश्वाध्यक्ष' के अधीन थे।
  • अर्थशास्त्र के 'अध्यक्ष प्रचार' अध्याय में 26 अध्यक्षों का उल्लेख है। ये विभिन्न विभागों के अध्यक्ष होते थे और मंत्रियों के निरीक्षण में काम करते थे। इन अध्यक्षों के कार्य विस्तार के अध्ययन से ज्ञात होता है कि राज्य, देश के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन और कार्यविधि पर पूरा नियंतत्र रखता था।

इन्हें भी देखें: मौर्यकालीन भारत, मौर्य काल का शासन प्रबंध, मौर्ययुगीन पुरातात्विक संस्कृति एवं मौर्यकालीन कला


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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