देश दीपक वर्मा

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देश दीपक वर्मा

देश दीपक वर्मा (अंग्रेज़ी: Desh Deepak Verma) भारतीय प्रशासनिक सेवा के उत्तर प्रदेश संवर्ग के एक निष्ठावान, परिश्रमी और सृजनात्मक सोच के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने शासकीय सेवा के दौरान केन्द्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर उत्कृष्ट कार्य किया। वह संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली से सचिव के पद से जून 2013 में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के उपरांत वे उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) जो एक स्वायत्तशासी अर्ध-न्यायिक वैधानिक संस्था है, के अध्यक्ष के पद पर चयनित हुए। यह पद भारत के निर्वाचन आयुक्त के पद के समकक्ष है। 1 सितम्बर, 2017 को देश दीपक वर्मा ने राज्य सभा के महासचिव के पद पर, जो कि मंत्रिमंडल सचिव के रैंक और पद के समकक्ष है, कार्यभार ग्रहण किया।

परिचय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर और ऑस्ट्रेलिया से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में एम.बी.ए. की उपाधि प्राप्त देश दीपक वर्मा सदैव एक मेधावी छात्र रहे और भाषण-कला, अभिनय और खेल-कूद में उनकी गहन रुचि रही। अपने छात्र जीवन में उन्होंने अन्तर-विद्यालयी, विश्वविद्यालय स्तर और राज्य स्तर पर आयोजित वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिताओं में अनेकों पुरस्कार प्राप्त किए हैं।[1]

उच्च पदों पर कार्य

अपने सेवा-काल में देश दीपक वर्मा उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के महत्वपूर्ण शीर्षस्थ पदों पर आसीन रहे। वह वाणिज्यिक कर, पंजीकरण, परिवहन, सहकारी और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विभागों में प्रमुख सचिव रहे। वह अल्मोड़ा, अलीगढ़, बरेली और आगरा के जिला मजिस्ट्रेट रहे व तदन्तर इलाहाबाद और लखनऊ मंडलों के मंडल आयुक्त के रूप में नियुक्त हुए। इस प्रकार वह शीर्ष दस सर्वाधिक संवेदनशील जिलों में से पांच जिलों में जिला मजिस्ट्रेट/आयुक्त के पद पर रहे जो कि नि:संदेह किसी भी अधिकारी के लिए एक अप्रतिम उपलब्धि है।

लखनऊ के आयुक्त के रूप में लखनऊ में 20 वर्षों से अधिक समय से चल रहे शिया-सुन्नी विवाद को निपटाने में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश दीपक वर्मा को गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उनको व्यापार कर विभाग में विवरणियों की ई-फाइलिंग की व्यवस्था करने, सीमाओं पर मौजूद नाकों को समाप्त करने, ई-प्रतिदाय की प्रणाली आरम्भ करने आदि जैसे अनेक सुधारों को लागू करने का श्रेय भी प्राप्त है। प्रमुख सचिव (परिवहन) के रूप में, उन्होंने उत्तर प्रदेश में वातानुकूलित वॉल्वो बसों की शुरूआत की और अनलेडड पेट्रोल के उपयोग का भी सूत्रपात किया।

भारत सरकार के स्तर पर उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय में संयुक्त सचिव; उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार; भारतीय खेल प्राधिकरण में महानिदेशक तथा संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव, भारत सरकार जैसे अति प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव के रूप में उन्होंने मंत्रालय की कार्यप्रणाली में अनेक सुधार किए।[1]

प्रतिनिधित्व तथा अध्यक्षता

देश दीपक वर्मा को कई संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन्स- जैसे कन्वेन्शन्स आन बायोलाजिकल डाइवर्सिटी (सीबीडी), यू.एन. कंवेंशन टू कॉम्बेट डिजर्टीफिकेशन (यू.एन.सी.सी.डी.), यू.एन. फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यू.एन.एफ.सी.सी.), कार्टाजिना प्रोटोकॉल ऑन बायो-सेफ्टी आदि में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने हेग (2002), मॉन्ट्रियल (2003), ग्रेनाडा, स्पेन (2006), क्यूरिटिबा, ब्राजील (2006) में संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन्स बैठकों में अंर्तराष्ट्रीय समूहों की अध्यक्षता की है।

ऊर्चा क्षेत्र में योगदान

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यू.पी.ई.आर.सी.) लखनऊ के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्य-काल के दौरान देश दीपक वर्मा ने ऊर्जा क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण सुधारों का सूत्रपात किया। वह अपने अनेक ऐतिहासिक न्यायिक निर्णयों के माध्यम से विद्युत की खरीद में आने वाली लागत में कमी करने और विद्युत की खरीद-प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में सफल रहे। उनके द्वारा लाये गए विद्युत मांग पक्ष प्रबंधन (डी.एस.एम.) विनियमन, लघु ग्रिड और सूक्ष्म ग्रिड विनियमन, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन संबंधी विनियमों आदि जैसे अनेक नए महत्तवपूर्ण विनियमों की ऊर्जा जगत में अत्यधिक सराहना की गई।

लेखन कार्य

देश दीपक वर्मा ने विभिन्न विषयों पर, विशेषकर पर्यावरण से संबंधित विषयों पर अनेक लेख एंव पुस्तकें लिखी हैं। उनके कुछ प्रकाशन इस प्रकार हैं-

  1. 'एल.ई.ए.डी.' जर्नल- एक अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन में प्रकाशित "Whither CBD" : जनवरी, 2007
  2. परस्पेक्टिव ऑन बायोडायवर्सिटी - ए विज़न फॉर मेगा डाइवर्स कंट्रीज: 2006 : पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित
  3. स्ट्रक्चर ऑफ जीईएसी एंड इट्स सिस्टम ऑफ इवेल्यूएटिंग : दिसम्बर, 2003

उन्होंने पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार की जीईएफ-विश्व बैंक क्षमता निर्माण परियोजना के अधीन प्रकाशित एक तिमाही 'जैव सुरक्षा समाचार-पत्र' के संपादक के रूप में भी कार्य किया। पर्यावरण और वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव के रूप में उन्होंने 'जैव-विविधता अधिनियम' का प्रारूप तैयार किया, जो कि अब देश के सर्वाधिक प्रगतिशील विधानों में से एक है। उनके लेख "फॉर पावर टु रीच ऑल" और "ऑलम्पिक: अब आगे क्या" प्रतिष्ठित दैनिक समाचार-पत्रों क्रमश: इंडियन एक्सप्रैस और हिन्दुस्तान में प्रकाशित हुए।[1]

रुचियाँ

देश दीपक वर्मा संगीत, काव्य-सृजन, बैडमिंटन तथा गोल्फ़ में रुचि रखते हैं। उन्हें मार्च 2017 में भारी बहुमत से लखनऊ गोल्फ क्लब का अध्यक्ष चुना गया था। वह प्रौढ़-साक्षरता, समाज में शारीरिक और मानसिक रूप से नि:शक्त वर्गों के उत्थान, महिलाओं के सशक्तिकरण और कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने वाली अनेक नागरिक संस्थाओं द्वारा की जा रही पहलों को समर्थन एंव सहयोग प्रदान करते रहे हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 देश दीपक वर्मा (हिंदी) HindiNewMembers। अभिगमन तिथि: 19 अप्रॅल, 2020।

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