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'इमं में गंगेयमुने सरस्वती शुतुद्रिस्तोमं समता परुष्णया असिकन्या मरुद्वृधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणृह्मा सुषोमया'।
  • जान पड़ता है कि परुष्णी नाम वैदिक काल में ही प्रचलित था क्योंकि परवर्ती साहित्य में इस नदी का नाम इरावती मिलता है।
  • अलक्षेंद्र के समय के इतिहास लेखकों ने भी इस नदी को ह्यारोटीज लिखा है जो इरावती का ग्रीक उच्चारण है।
  • रावी इरावती का ही अपभ्रंश है।
  • ऋग्वेद के अनुसार परुष्णी नदी के तट पर ही तृत्स गण के राजा सुदास ने इस राजाओं को सम्मिलित सेना को हराया था।
  • सुदास ने, जिसका राज्य परुष्णी के पूर्वी तट पर था, पश्चिम से आक्रमण करने वाले नरेश-संघ की सेना को नदी पार करने से पहले ही परास्त कर पीछे ढकेल दिया था।[2]
  • ऋग्वेद में परुष्णी के निकट अनु के वंशजों का निवास बताया गया है। अनु ययाति का पुत्र था। वैदिक काल के पश्चात इसी प्रदेश में मद्रक तथा केकय बस गए थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऋग्वेद, मंडल 10 सूक्त 75 नदी सूक्त
  2. ऋग्वेद 8,74 सत्यमित्वा महेनदि परुष्णयवदेदिशम् आदि

बाहरी कड़ियाँ

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