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'''आदर्श सेन आनंद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Adarsh Sein Anand'', जन्म- [[1 नवम्बर]], [[1936]]; मृत्यु- [[1 दिसम्बर]], [[2017]]) [[भारत]] के 29वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह [[10 अक्टूबर]], [[1998]] से [[11 जनवरी]], [[2001]] तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। न्यायमूर्ति आदर्श सेन आनंद ने एक पुस्तक भी लिखी थी- 'द कांस्टीट्यूशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर इट्स डिवेलपमेंट एंड कमेंट्स'।<br/> | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
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|संबंधित लेख=[[भारत के मुख्य न्यायाधीश]] | |||
|शीर्षक 1=पूर्वाधिकारी | |||
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}}'''आदर्श सेन आनंद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Adarsh Sein Anand'', जन्म- [[1 नवम्बर]], [[1936]]; मृत्यु- [[1 दिसम्बर]], [[2017]]) [[भारत]] के 29वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह [[10 अक्टूबर]], [[1998]] से [[11 जनवरी]], [[2001]] तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। न्यायमूर्ति आदर्श सेन आनंद ने एक पुस्तक भी लिखी थी- 'द कांस्टीट्यूशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर इट्स डिवेलपमेंट एंड कमेंट्स'।<br/> | |||
*38 साल की उम्र में आदर्श सेन आनंद जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए थे। हालांकि साल [[1976]] में वे यहां परमानेंट जज बने। इस बीच वे मद्रास हाईकोर्ट में भी जज रहे, जहां सफर खत्म करके वे देश के सीजेआई बने। | *38 साल की उम्र में आदर्श सेन आनंद जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए थे। हालांकि साल [[1976]] में वे यहां परमानेंट जज बने। इस बीच वे मद्रास हाईकोर्ट में भी जज रहे, जहां सफर खत्म करके वे देश के सीजेआई बने। | ||
*आदर्श सेन आनंद पुरानी गाड़ियों के खिलाफ दिए फैसले के लिए भी जाने जाते हैं। | *आदर्श सेन आनंद पुरानी गाड़ियों के खिलाफ दिए फैसले के लिए भी जाने जाते हैं। |
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आदर्श सेन आनंद
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पूरा नाम | आदर्श सेन आनंद |
जन्म | 1 नवम्बर, 1936 |
मृत्यु | 1 दिसम्बर, 2017 |
मृत्यु स्थान | नोएडा, उत्तर प्रदेश |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | न्यायाधीश |
पद | मुख्य न्यायाधीश, भारत- 10 अक्टूबर, 1998 से 11 जनवरी, 2001 तक अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग- 17 फ़रवरी, 2003 से 31 अक्टूबर, 2006 |
संबंधित लेख | भारत के मुख्य न्यायाधीश |
पूर्वाधिकारी | मदन मोहन पुंछी |
उत्तराधिकारी | सम पिरोज भरुचा |
आदर्श सेन आनंद (अंग्रेज़ी: Adarsh Sein Anand, जन्म- 1 नवम्बर, 1936; मृत्यु- 1 दिसम्बर, 2017) भारत के 29वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 10 अक्टूबर, 1998 से 11 जनवरी, 2001 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। न्यायमूर्ति आदर्श सेन आनंद ने एक पुस्तक भी लिखी थी- 'द कांस्टीट्यूशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर इट्स डिवेलपमेंट एंड कमेंट्स'।
- 38 साल की उम्र में आदर्श सेन आनंद जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में एडिशनल जज बन गए थे। हालांकि साल 1976 में वे यहां परमानेंट जज बने। इस बीच वे मद्रास हाईकोर्ट में भी जज रहे, जहां सफर खत्म करके वे देश के सीजेआई बने।
- आदर्श सेन आनंद पुरानी गाड़ियों के खिलाफ दिए फैसले के लिए भी जाने जाते हैं।
- वह वर्ष 2003 से 2006 के मध्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे।
- प्रधान न्यायाधीश रहे आदर्श सेन आनंद की प्रारंभिक शिक्षा जम्मू में हुई थी।
- वह बी.एस-सी, एल.एल.बी., पीएच.डी. और बार-एटलॉ थे।
- 9 नवम्बर, 1964 को वकील के रूप में वे बार कौंसिल के सदस्य बने।
- पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में उन्होंने वकालत की।
- न्यायमूर्ति आदर्श सेन आनंद 26 मई, 1975 को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में अतिरिक्त जज नियुक्त हुए। 11 मई, 1985 को वह मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय भेज दिया गया।
- उन्हें 18 नवम्बर, 1995 को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- न्यायमूर्ति आदर्श सेन आनंद ने एक पुस्तक भी लिखी है– द कांस्टीट्यूशन ऑफ जम्मू एंड कश्मीर इट्स डिवेलपमेंट एंड कमेंट्स’।
- सन 1996 में आदर्श सेन आनंद अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सोसायटी के अध्यक्ष चुने गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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