"हिन्दी सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Gulmarg-Temple.jpg|100px|right|गुलमर्ग का मंदिर]]'जम्मू और कश्मीर' एक भारतीय राज्य है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। पहले यह [[भारत]] की बड़ी रियासतों में से एक था। यह पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भू-भाग से घिरा है। [[कश्मीरी भाषा]] [[संस्कृत]] से प्रभावित है और गिलगित की विभिन्न पहाड़ी जनजातियों के द्वारा बोली जाने वाली भारतीय आर्य भाषाओं की दर्दीय शाखा की है। [[उर्दू]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], लद्दाखी, बाल्टी, पहाड़ी, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], गुजरी और ददरी भाषाओं का प्रयोग साधारण नागरिकों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू | ||[[चित्र:Gulmarg-Temple.jpg|100px|right|गुलमर्ग का मंदिर]]'जम्मू और कश्मीर' एक भारतीय राज्य है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। पहले यह [[भारत]] की बड़ी रियासतों में से एक था। यह पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से, दक्षिण में [[हिमाचल प्रदेश]] व [[पंजाब]] राज्यों से, पश्चिम में [[पाकिस्तान]] और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भू-भाग से घिरा है। [[कश्मीरी भाषा]] [[संस्कृत]] से प्रभावित है और गिलगित की विभिन्न पहाड़ी जनजातियों के द्वारा बोली जाने वाली भारतीय आर्य भाषाओं की दर्दीय शाखा की है। [[उर्दू]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], लद्दाखी, बाल्टी, पहाड़ी, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], गुजरी और ददरी भाषाओं का प्रयोग साधारण नागरिकों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू-कश्मीर]] | ||
{[[भारत]] के किस प्रान्त में [[कोंकणी भाषा]] बोली जाती है? | {[[भारत]] के किस प्रान्त में [[कोंकणी भाषा]] बोली जाती है? | ||
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-[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] | -[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] | ||
-[[उड़िया भाषा|उड़िया]] | -[[उड़िया भाषा|उड़िया]] | ||
||[[चित्र:Charminar-Hyderabad-3.jpg|100px|right|चारमीनार, हैदराबाद]]'तेलुगु' द्रविड़ परिवार की [[भाषा]] और [[भारत]] के [[आन्ध्र प्रदेश]] राज्य की सरकारी भाषा है। [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]] की सात भिन्न क्षेत्रीय बोलियाँ तथा तीन सामाजिक बोलियाँ- 'ब्राह्मण', 'अब्राह्मण' और 'हरिजन' हैं। इसकी मधुरता का मूल कारण [[संस्कृत]] तथा तेलुगु का (मणिस्वर्ण) संयोग ही है। अधिकांश संस्कृत शब्दों से संकलित भाषा 'आंध्र' भाषा के नाम से व्यवहृत होती है। तेलुगु देशीय शब्दों का प्राचुर्य जिस भाषा में है, वह तेलुगु भाषा के नाम से प्रख्यात है। तेलुगु भाषा के विकास के संबंध में विद्वानों के दो मत हैं। पश्चिम के विद्वानों ने तेलुगु को "पूर्व की इतालीय भाषा" कहकर इसके माधुर्य की सराहना की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]] | |||
{[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी]] के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन [[हिन्दी साहित्य]] सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है? | {[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी|आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी]] के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन [[हिन्दी साहित्य]] सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है? | ||
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- हिन्दी साहित्य की भूमिका | -'हिन्दी साहित्य की भूमिका' | ||
- हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास | -'हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास' | ||
- मध्यकालीन धर्मसाधना | -'मध्यकालीन धर्मसाधना' | ||
+ हिन्दी साहित्य का आदिकाल | +'हिन्दी साहित्य का आदिकाल' | ||
||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|100px|right|हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]'हज़ारी प्रसाद द्विवेदी' [[हिन्दी]] के शीर्षस्थ साहित्यकारों में से एक थे। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, [[उपन्यासकार]], आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता माने जाते थे। 'बाणभट्ट', 'कबीर', 'अशोक के फूल', 'हिन्दी साहित्य की भूमिका', 'हिन्दी साहित्य का आदिकाल', 'नाथ सम्प्रदाय' और 'पृथ्वीराज रासो' आदि [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] की प्रसिद्ध रचनाओं में गिनी जाती हैं। 'हिन्दी साहित्य का आदिकाल' में द्विवेदी जी ने नवीन उपलब्ध सामग्री के आधार पर जो शोधपरक विश्लेषण प्रस्तुत किया है, उससे [[हिन्दी साहित्य]] के इतिहास के पुन: परीक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। [[साहित्य]] के लगभग सभी क्षेत्रों में द्विवेदीजी अपनी प्रतिभा और विशिष्ट कर्तव्य के कारण यश के भागी हुए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] | |||
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर '[[हिन्दी साहित्य]] के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर '[[हिन्दी साहित्य]] के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है? |
13:52, 6 अगस्त 2013 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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