"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Surkotada.jpg|right| | ||[[चित्र:Surkotada.jpg|right|110px|सुरकोटदा]]'सुरकोटदा' या 'सुरकोटडा' [[भारत]] में [[गुजरात]] के [[कच्छ ज़िला|कच्छ ज़िले]] में स्थित है। इस स्थल से [[हड़प्पा सभ्यता]] के विस्तार के प्रमाण मिले हैं। [[सुरकोटदा]] की खोज [[1964]] में जगपति जोशी ने की थी। इस स्थल से [[सिंधु सभ्यता]] के पतन के [[अवशेष]] परिलक्षित होते हैं। यहाँ से प्राप्त होने वाले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण हैं- घोड़े की अस्थियाँ एवं एक अनोखी क़ब्रगाह। यहाँ पर एक क़ब्र बड़े आकार की शिला से ढंकी हुई मिली है। यह क़ब्र अभी तक ज्ञात सैंधव शव-विसर्जन परम्परा में सर्वथा नवीन प्रकार की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरकोटदा]] | ||
{[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन सी थीं? | {[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन सी थीं? | ||
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-[[धान]] और [[मटर]] | -[[धान]] और [[मटर]] | ||
-[[कपास]] और [[गन्ना]] | -[[कपास]] और [[गन्ना]] | ||
||[[चित्र:Wheat-1.jpg|right| | ||[[चित्र:Wheat-1.jpg|right|110px|गेहूँ]]गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फ़सल है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से [[एशिया]] में [[धान]] की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में [[गेहूँ]] उगाया जाता है। [[भारत]] में [[चावल]] के बाद गेहूँ दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। देश के कुल 10% भाग पर गेहूँ की [[कृषि]] की जाती है, किंतु चावल की अपेक्षा इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2500 किलोग्राम अधिक है। गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]], [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] में '[[हरित क्रांति]]' के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गेहूँ]] | ||
||[[चित्र:Barley-1.jpg|right|100px|जौ]]जौ प्राचीन काल से ही प्रयोग किये जाने वाले अनाजों में प्रमुख है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता आया है। [[जौ]] को [[संस्कृत]] में 'यव' कहते हैं। [[रूस]], [[अमरीका]], [[जर्मनी]], कनाडा और [[भारत]] में यह मुख्यत: पैदा होता है। हमारे [[ऋषि|ऋषियों]]-[[मुनि|मुनियों]] का प्रमुख आहार जौ ही था। [[वेद|वेदों]] द्वारा [[यज्ञ]] की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] है, जबकि [[बिहार]] के पाँच प्रतिशत कृषि क्षेत्र में जौ की [[कृषि]] की जाती है। इसके अन्य उत्पादक राज्य [[राजस्थान]], [[मध्य प्रदेश]], [[हरियाणा]] एवं [[पंजाब]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जौ]] | ||[[चित्र:Barley-1.jpg|right|100px|जौ]]जौ प्राचीन काल से ही प्रयोग किये जाने वाले अनाजों में प्रमुख है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक संस्कारों में होता आया है। [[जौ]] को [[संस्कृत]] में 'यव' कहते हैं। [[रूस]], [[अमरीका]], [[जर्मनी]], कनाडा और [[भारत]] में यह मुख्यत: पैदा होता है। हमारे [[ऋषि|ऋषियों]]-[[मुनि|मुनियों]] का प्रमुख आहार जौ ही था। [[वेद|वेदों]] द्वारा [[यज्ञ]] की आहुति के रूप में जौ को स्वीकारा गया है। इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य [[उत्तर प्रदेश]] है, जबकि [[बिहार]] के पाँच प्रतिशत कृषि क्षेत्र में जौ की [[कृषि]] की जाती है। इसके अन्य उत्पादक राज्य [[राजस्थान]], [[मध्य प्रदेश]], [[हरियाणा]] एवं [[पंजाब]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जौ]] | ||
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-[[कांची]] | -[[कांची]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Ram-Jhula-Bridge.jpg|right| | ||[[चित्र:Ram-Jhula-Bridge.jpg|right|90px|राम झूला, ऋषिकेश, उत्तराखंड]]'उत्तराखंड' [[भारत]] के उत्तर में स्थित एक राज्य है। वर्ष [[2000]] और [[2006]] के बीच यह [[उत्तरांचल]] के नाम से जाना जाता था। [[9 नवम्बर]], 2000 को [[उत्तराखंड]] भारत गणराज्य के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। प्राचीन धर्मग्रंथों में उत्तराखंड का उल्लेख 'केदारखंड', 'मानसखंड' और 'हिमवंत' के रूप में मिलता है। लोककथा के अनुसार [[पांडव]] यहाँ पर आए थे और विश्व के सबसे बड़े [[महाकाव्य|महाकाव्यों]] [[महाभारत]] व [[रामायण]] की रचना भी यहीं पर हुई थी। प्राचीन काल में यहाँ मानव निवास के प्रमाण मिलने के बावजूद इस इलाक़े के इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उत्तराखंड]] | ||
{निम्नलिखित विद्रोहों में से किसको [[बंकिमचंद्र चटर्जी]] ने अपने उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में उल्लेख करके प्रसिद्ध किया? | {निम्नलिखित विद्रोहों में से किसको [[बंकिमचंद्र चटर्जी]] ने अपने उपन्यास '[[आनन्दमठ]]' में उल्लेख करके प्रसिद्ध किया? | ||
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-[[दादा भाई नौरोजी]] | -[[दादा भाई नौरोजी]] | ||
-[[जवाहरलाल नेहरू]] | -[[जवाहरलाल नेहरू]] | ||
||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|right| | ||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|right|90px|सरदार पटेल]]'सरदार वल्लभ भाई पटेल' भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे। वे [[भारत]] के '[[स्वाधीनता संग्राम]]' के दौरान '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के नेताओं में से एक थे। [[लक्षद्वीप]] समूह को भारत के साथ मिलाने में भी [[सरदार पटेल]] की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी [[15 अगस्त]], [[1947]] के बाद मिली। हालांकि यह क्षेत्र [[पाकिस्तान]] के नजदीक नहीं था, लेकिन पटेल को लगता था कि इस पर पाकिस्तान दावा कर सकता है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में '[[राष्ट्रीय ध्वज]]' फहराने के लिए [[नौसेना]] का एक जहाज़ भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के आस-पास मंडराते देखे गए, लेकिन वहाँ [[भारत]] का झंडा लहराते देख वे वापस चले गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] | ||
{एक शासक जिसे [[महाभारत]] में दन्तमित्र, [[बेसनगर]] में दिमित्र एवं [[दिव्यावदान]] में कृमिस कहा जाता है, वह सम्भवत: है- | {एक शासक जिसे [[महाभारत]] में दन्तमित्र, [[बेसनगर]] में दिमित्र एवं [[दिव्यावदान]] में कृमिस कहा जाता है, वह सम्भवत: है- | ||
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-विक्रमोर्वंशीयम | -विक्रमोर्वंशीयम | ||
+[[मालविकाग्निमित्रम्]] | +[[मालविकाग्निमित्रम्]] | ||
||[[चित्र:Poet-Kalidasa.jpg|right| | ||[[चित्र:Poet-Kalidasa.jpg|right|90px|कालिदास]]चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पाँचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में [[कालिदास]] द्वारा रचित '[[मालविकाग्निमित्रम्]]' [[संस्कृत]] ग्रंथ से [[पुष्यमित्र शुंग]] एवं उसके पुत्र [[अग्निमित्र]] के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा [[शुंग वंश|शुंग]] एवं [[यवन]] संघर्ष का उल्लेख मिलता है। 'मालविकाग्निमित्रम्' श्रृंगार रस प्रधान पाँच अंकों का [[नाटक]] है। यह महाकवि कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता, जो '[[विक्रमोर्वशीय]]' अथवा '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मालविकाग्निमित्रम्]] | ||
{निम्नलिखित में से किसे 'द गोल्डन सिटी ऑफ़ 1000 टेंपल' कहा जाता है?(भारतकोश) | |||
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+[[कांचीपुरम]] | |||
-[[नागरकोइल]] | |||
-[[महाबलीपुरम]] | |||
-[[कुम्भकोणम]] | |||
||[[चित्र:Ekambareswara-Temple.jpg|right|80px|एकम्बरनाथर मंदिर, कांचीपुरम]]'कांचीपुरम' उत्तरी [[तमिलनाडु]] के प्राचीन व मशहूर शहरों में से एक है। ऐसी अनुश्रुति है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने देवी के दर्शन के लिये तप किया था। [[कांचीपुरम]] 'दक्षिण की काशी' मानी जाती है, जो मद्रास (वर्तमान [[चेन्नई]]) से 45 मील {{मील|मील=45}} की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। कांचीपुरम को पूर्व में 'कांची' और 'कांचीअम्पाठी' भी कहा जाता था। यह [[आधुनिक काल]] में कांचीवरम के नाम से भी प्रसिद्ध है। कांचीपुरम को "द गोल्डन सिटी ऑफ़ 1000 टेंपल" भी कहा जाता है। [[भारत]] के सात पवित्र शहरों में से एक का दर्जा भी इसे प्राप्त है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कांचीपुरम]] | |||
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11:32, 13 मार्च 2013 का अवतरण
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