"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Indus-Valley-Civilization-Pottery.jpg|right|100px|हड़प्पा सभ्यता के बर्तन]]'हड़प्पा सभ्यता' के [[अवशेष]] [[पाकिस्तान]] और [[भारत]] के [[पंजाब]], [[सिंध]], [[गुजरात]], [[राजस्थान]], [[हरियाणा]], पश्यिमी [[उत्तर प्रदेश]], [[जम्मू-कश्मीर]] के भागों में पाये जा चुके हैं। इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में [[जम्मू]] के 'मांदा' से लेकर दक्षिण में [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के मुहाने भगतराव तक और पश्चिमी में [[मकरान]] समुद्र तट पर सुत्कागेनडोर से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में [[मेरठ]] तक है। [[हड़प्पा सभ्यता]] का काल निर्धारण मुख्य रूप से मेसोपोटामिया में 'उर' और 'किश' स्थलों पर पाए गए हड़प्पाई मुद्राओं के आधार पर किया गया था। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास जॉन मार्शल का रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हड़प्पा सभ्यता]] | |||
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{[[सुरकोटदा]] किसलिए प्रसिद्ध है? (पृ.सं. 175 | {[[सुरकोटदा]] किसलिए प्रसिद्ध है? (पृ.सं. 175 | ||
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-युगल शवाधान के लिए | -युगल शवाधान के लिए | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Surkotada.jpg|right|100px|सुरकोटदा]]'सुरकोटदा' या 'सुरकोटडा' [[भारत]] में [[गुजरात]] के [[कच्छ ज़िला|कच्छ ज़िले]] में स्थित है। इस स्थल से [[हड़प्पा सभ्यता]] के विस्तार के प्रमाण मिले हैं। [[सुरकोटदा]] की खोज [[1964]] में जगपति जोशी ने की थी। इस स्थल से [[सिंधु सभ्यता]] के पतन के [[अवशेष]] परिलक्षित होते हैं। यहाँ से प्राप्त होने वाले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण हैं- घोड़े की अस्थियाँ एवं एक अनोखी क़ब्रगाह। यहाँ पर एक क़ब्र बड़े आकार की शिला से ढंकी हुई मिली है। यह क़ब्र अभी तक ज्ञात सैंधव शव-विसर्जन परम्परा में सर्वथा नवीन प्रकार की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरकोटदा]] | |||
{[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन सी थीं? (पृ.सं. 175 | {[[हड़प्पा सभ्यता]] की दो सबसे महत्त्वपूर्ण फसलें कौन सी थीं? (पृ.सं. 175 |
07:20, 13 मार्च 2013 का अवतरण
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