"वरदराज पेरुमल मंदिर": अवतरणों में अंतर
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*वरदराज पेरुमल मंदिर में भगवान विष्णु को देवराजस्वामी के रूप में पूजा जाता है। | *वरदराज पेरुमल मंदिर में भगवान विष्णु को देवराजस्वामी के रूप में पूजा जाता है। | ||
*भव्य और विशालकाय वरदराज पेरुमल मंदिर कारीगरों की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। | *भव्य और विशालकाय वरदराज पेरुमल मंदिर कारीगरों की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। | ||
*सालाना रूप से [[मई]]-[[जून]] में होने वाले | *सालाना रूप से [[मई]]-[[जून]] में होने वाले गरुड़ोत्सव काफ़ी रंगीन व आकर्षक तरीके से मनाया जाता है, जो हज़ारों श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींचता है। | ||
*वरदराज पेरुमल मंदिर में 100 स्तम्भों वाला एक हॉल है जिसे [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के राजाओं ने बनवाया था। यह मंदिर उस काल के कारीगरों की कला का जीता जागता उदाहरण है। | *वरदराज पेरुमल मंदिर में 100 स्तम्भों वाला एक हॉल है जिसे [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के राजाओं ने बनवाया था। यह मंदिर उस काल के कारीगरों की कला का जीता जागता उदाहरण है। | ||
07:34, 24 जनवरी 2012 का अवतरण

वरदराज पेरुमल मंदिर तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम शहर में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित है।
- वरदराज पेरुमल मंदिर को सन 1053 में चोलों ने बनवाया था।
- वरदराज पेरुमल मंदिर का पुनरुद्धार कुलोत्तुंग प्रथम और विक्रम चोल ने करवाया था।
- वरदराज पेरुमल मंदिर में भगवान विष्णु को देवराजस्वामी के रूप में पूजा जाता है।
- भव्य और विशालकाय वरदराज पेरुमल मंदिर कारीगरों की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- सालाना रूप से मई-जून में होने वाले गरुड़ोत्सव काफ़ी रंगीन व आकर्षक तरीके से मनाया जाता है, जो हज़ारों श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींचता है।
- वरदराज पेरुमल मंदिर में 100 स्तम्भों वाला एक हॉल है जिसे विजयनगर के राजाओं ने बनवाया था। यह मंदिर उस काल के कारीगरों की कला का जीता जागता उदाहरण है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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