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'''इलाही सन''' [[मुग़ल]] | '''इलाही सन''' [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने 1584 ई. में चलाया था। यह [[सौर वर्ष]] पर आधारित था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=55|url=}}</ref> | ||
*इलाही सन अकबर के गद्दी पर बैठने के बाद पहले [[नौरोज]] | *इलाही सन अकबर के गद्दी पर बैठने के बाद पहले [[नौरोज]] अर्थात् [[11 मार्च]], 1556 ई. से प्रचलित किया गया था। | ||
*[[शाहजहाँ]] ने सिक्कों पर इस सन को लिखने की प्रथा को निरुत्साहित किया और समाप्त करवा दिया। | *[[शाहजहाँ]] ने सिक्कों पर इस सन को लिखने की प्रथा को निरुत्साहित किया और समाप्त करवा दिया। | ||
*बाद के समय में [[औरंगज़ेब]] ने 1658 ई. में गद्दी पर बैठने के बाद ही इस सन का प्रयोग पूरी तरह से बन्द करवा दिया। | *बाद के समय में [[औरंगज़ेब]] ने 1658 ई. में गद्दी पर बैठने के बाद ही इस सन का प्रयोग पूरी तरह से बन्द करवा दिया। |
07:47, 10 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
इलाही सन मुग़ल बादशाह अकबर ने 1584 ई. में चलाया था। यह सौर वर्ष पर आधारित था।[1]
- इलाही सन अकबर के गद्दी पर बैठने के बाद पहले नौरोज अर्थात् 11 मार्च, 1556 ई. से प्रचलित किया गया था।
- शाहजहाँ ने सिक्कों पर इस सन को लिखने की प्रथा को निरुत्साहित किया और समाप्त करवा दिया।
- बाद के समय में औरंगज़ेब ने 1658 ई. में गद्दी पर बैठने के बाद ही इस सन का प्रयोग पूरी तरह से बन्द करवा दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 55 |