"राजा रवि वर्मा": अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(7 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 22 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | |||
राजा रवि वर्मा (1848-1906) [[ | |चित्र=Raja-Ravi-Varma-1.jpg | ||
|चित्र का नाम=राजा रवि वर्मा | |||
|पूरा नाम=राजा रवि वर्मा | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म= [[29 अप्रैल]] 1848 | |||
|जन्म भूमि=[[तिरुवनंतपुरम]], [[केरल]] | |||
|मृत्यु= [[2 अक्टूबर]] [[1906]] | |||
|मृत्यु स्थान=तिरुवनंतपुरम | |||
|अभिभावक= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|गुरु= | |||
|कर्म भूमि= | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|खोज= | |||
|भाषा= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि=[[चित्रकार]] | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो [[भारत]] में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}}'''राजा रवि वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Raja Ravi Varma'', [[29 अप्रैल]] 1848 - [[2 अक्टूबर]] [[1906]]) [[भारत]] के विख्यात [[चित्रकार]] थे। उन्होंने भारतीय [[साहित्य]] और [[संस्कृति]] के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता [[हिन्दू]] [[महाकाव्य|महाकाव्यों]] और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता है। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है। | |||
==जीवन परिचय== | |||
राजा रवि वर्मा का जन्म [[29 अप्रैल]] 1848 को [[केरल]] के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और [[कला]] की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें [[तिरुवनंतपुरम]] ले गये जहाँ [[राजमहल]] में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में [[चित्रकला]] के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने [[मैसूर]], [[बड़ौदा]] और देश के अन्य भागों की यात्रा की। | |||
[[चित्र:krishna-birth.jpg|[[कृष्ण]] जन्म [[वसुदेव]], कृष्ण को [[कंस]] के कारागार [[मथुरा]] से [[गोकुल]] ले जाते हुए, द्वारा- राजा रवि वर्मा|thumb|left]] | |||
राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। | |||
==रोचक तथ्य== | |||
*विश्व की सबसे महँगी [[साड़ी]] राजा रवि वर्मा के चित्रों की नकल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महँगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया था। | |||
*[[अक्टूबर]] [[2007]] में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो [[भारत]] में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को [[मद्रास]] के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 [[रत्न|रत्नों]] व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया है। | |||
*फ़िल्म निर्माता [[केतन मेहता]] ने राजा रवि वर्मा के जीवन पर फिल्म बनायी। मेहता की फिल्म में राजा रवि वर्मा की भूमिका निभायी अभिनेता [[रणदीप हुड्डा]] ने। फिल्म की अभिनेत्री हैं नंदना सेन। इस फिल्म की खास बात यह है कि इसे [[हिन्दी]] और [[अंग्रेज़ी]] दोनों भाषाओं में एक साथ बनाया गया है। | |||
==आधुनिक भारतीय चित्रकला के जन्मदाता== | |||
[[चित्र:Raja-Ravi-Verma-1971-Stamp.jpg|thumb|250px|राजा रवि वर्मा पर जारी [[डाक टिकट]]]] | |||
आधुनिक भारतीय चित्रकला को जन्म देने का श्रेय राजा रवि वर्मा को जाता है। उनकी कलाओं में पश्चिमी रंग का प्रभाव साफ नजर आता है। उन्होंने पारंपरिक तंजावुर कला और यूरोपीय कला का संपूर्ण अध्ययन कर उसमें महारत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय परंपराओं की सीमाओं से बाहर निकलते हुए चित्रकारी को एक नया आयाम दिया। बेशक उनके चित्रों का आधार भारतीय पौराणिक कथाओं से लिए गए पात्र थे, लेकिन रंगों और आकारों के जरिए उनकी अभिव्यक्ति आज भी प्रासंगिक लगती है। | |||
== | उन्होंने उस समय में खुलेपन को स्वीकार किया, जब इस बारे में सोचना भी मुश्किल था। राजा रवि वर्मा ने इस विचारधारा को न सिर्फ आत्मसात किया, बल्कि अपने कैनवस पर रंगों के माध्यम से उकेरा भी। यही कारण रहा कि उनकी कलाकृतियों को उस समय के प्रतिष्ठित चित्रकारों ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। फिर भी उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा और बाद में उन्हीं चित्रकारों को उनकी प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। उन्होंने अपनी चित्रकारी में प्रयोग करना नहीं छोड़ा और हमेशा कुछ अनोखा और नया करने का प्रयास करते रहे।<ref>{{cite web |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/raja-ravi-varma39s-paintings-were-open-epicure/articleshow/45082598.cms|title=खुली चित्रकारी के रसिया थे राजा रवि वर्मा |accessmonthday= 9 मार्च|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नवभारत टाइम्स|language= हिन्दी}}</ref> | ||
==कलाकृति श्रेणियाँ== | |||
राजा रवि वर्मा की कलाकृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है- | |||
#प्रतिकृति या पोर्ट्रेट | |||
#मानवीय आकृतियों वाले चित्र तथा | |||
#[[इतिहास]] व [[पुराण]] की घटनाओं से सम्बन्धित चित्र | |||
यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास, पुराण व देवी देवताओं के चित्रों के कारण हुई, लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गये। आज तक तैल रंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। | |||
==सीखी पश्चिमी चित्रकला== | |||
राजा रवि वर्मा ने पश्चिमी शैली की चित्रकला और ऑयल पेंटिंग तकनीक थियोडोर जेंसन से सीखी, जो [[1868]] में त्रिवेंद्रम पैलेस आने वाले डच चित्रकार थे। रवि वर्मा ने महाराजा और राज परिवार के सदस्यों के चित्र नई शैली में बनाए। उनकी पेंटिंग “मुल्ल्प्पू चूडिया नायर स्त्री” से वे मशहूर हुए, जिससे उन्हें [[1873]] में [[चेन्नई]] में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार भी मिला। इस पेंटिंग को ऑस्ट्रिया के विएना में आयोजित एक अन्य प्रदर्शनी में पुरस्कृत भी किया गया। [[1876]] में उनकी पेंटिंग 'शकुंतला' को चेन्नई में आयोजित एक प्रदर्शनी में पुरस्कृत किया गया। | |||
====130 साल बाद बिकी पेंटिंग==== | |||
'फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट' के नाम से जाने जाने वाले महान राजा रवि वर्मा की एक पेंटिंग 130 से अधिक वर्षों के बाद नीलाम हुई। उनकी प्रतिष्ठित पेंटिंग में से एक यह पेंटिंग 21.16 करोड़ रुपये में बेची गई। 'द्रौपदी वस्त्रहरण' नाम की इस उत्कृष्ट पेंटिंग में [[दुशासन]] को [[महाभारत]] में महल में [[कौरव|कौरवों]] और [[पांडव|पांडवों]] से घिरी [[द्रौपदी]] की [[साड़ी]] उतारने के प्रयास को दिखाया गया है। पेंटिंग की बोली 15 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये के बीच आंकी गई थी।<ref>{{cite web |url=https://www.jagran.com/lifestyle/miscellaneous-father-of-indian-modern-art-raja-ravi-varma-birth-anniversary-today-22669741.html |title=भारतीय कला इतिहास के सबसे महान चित्रकार थे राजा रवि वर्मा|accessmonthday=12 मार्च|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jagran.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
==मृत्यु== | |||
राजा रवि वर्मा की मृत्यु [[2 अक्टूबर]], [[1906]] को हुई। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
== | ==वीथिका== | ||
<gallery> | |||
चित्र:Radha-Krishna.jpg|[[राधा]]-[[कृष्ण]], द्वारा -राजा रवि वर्मा | |||
चित्र:maharas.jpg|'जमुना'(गोपियों के साथ कृष्ण), द्वारा -राजा रवि वर्मा | |||
चित्र:Harishchandra by Raja-Ravi-verma.jpg|[[राजा हरिश्चंद्र]] राज्य खोने के बाद अपनी पत्नी और पुत्र को बेचते हुए -राजा रवि वर्मा | |||
</gallery> | |||
==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://ravivarma.org/ आधिकारिक वेबसाइट] | |||
*[http://www.hindisamay.com/vividh/raja-ravi-verma.html राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत् के अनश्वर नागरिक] | |||
*[http://www.rachanakar.org/2009/04/blog-post_9533.html राजा रवि वर्मा आदरांजली – चित्र प्रदर्शनी] | |||
*[http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/jeevenjizyasa/article1-story-50-51-113405.html आम लोगों के क़रीब थी राजा रवि वर्मा की शैली] | |||
*[http://www.ravivarmaoleographs.com/ raja ravi verma gallery ] | |||
*[http://www.cyberkerala.com/rajaravivarma/ Raja Ravi Varma (1848-1906) (Oil paintings)] | |||
*[http://www.desicolours.com/paintings-by-raja-ravi-varma/03/08/2009 Paintings by Raja Ravi Varma] | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{चित्रकार}} | {{चित्रकार}} | ||
[[Category: | [[Category:चित्रकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] | ||
[[Category: | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
11:38, 12 मार्च 2024 के समय का अवतरण
राजा रवि वर्मा
| |
पूरा नाम | राजा रवि वर्मा |
जन्म | 29 अप्रैल 1848 |
जन्म भूमि | तिरुवनंतपुरम, केरल |
मृत्यु | 2 अक्टूबर 1906 |
मृत्यु स्थान | तिरुवनंतपुरम |
प्रसिद्धि | चित्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। |
राजा रवि वर्मा (अंग्रेज़ी: Raja Ravi Varma, 29 अप्रैल 1848 - 2 अक्टूबर 1906) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिन्दू महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता है। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।
जीवन परिचय
राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में चित्रकला के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की।

राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया।
रोचक तथ्य
- विश्व की सबसे महँगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नकल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महँगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया था।
- अक्टूबर 2007 में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया है।
- फ़िल्म निर्माता केतन मेहता ने राजा रवि वर्मा के जीवन पर फिल्म बनायी। मेहता की फिल्म में राजा रवि वर्मा की भूमिका निभायी अभिनेता रणदीप हुड्डा ने। फिल्म की अभिनेत्री हैं नंदना सेन। इस फिल्म की खास बात यह है कि इसे हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में एक साथ बनाया गया है।
आधुनिक भारतीय चित्रकला के जन्मदाता

आधुनिक भारतीय चित्रकला को जन्म देने का श्रेय राजा रवि वर्मा को जाता है। उनकी कलाओं में पश्चिमी रंग का प्रभाव साफ नजर आता है। उन्होंने पारंपरिक तंजावुर कला और यूरोपीय कला का संपूर्ण अध्ययन कर उसमें महारत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय परंपराओं की सीमाओं से बाहर निकलते हुए चित्रकारी को एक नया आयाम दिया। बेशक उनके चित्रों का आधार भारतीय पौराणिक कथाओं से लिए गए पात्र थे, लेकिन रंगों और आकारों के जरिए उनकी अभिव्यक्ति आज भी प्रासंगिक लगती है।
उन्होंने उस समय में खुलेपन को स्वीकार किया, जब इस बारे में सोचना भी मुश्किल था। राजा रवि वर्मा ने इस विचारधारा को न सिर्फ आत्मसात किया, बल्कि अपने कैनवस पर रंगों के माध्यम से उकेरा भी। यही कारण रहा कि उनकी कलाकृतियों को उस समय के प्रतिष्ठित चित्रकारों ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। फिर भी उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा और बाद में उन्हीं चित्रकारों को उनकी प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। उन्होंने अपनी चित्रकारी में प्रयोग करना नहीं छोड़ा और हमेशा कुछ अनोखा और नया करने का प्रयास करते रहे।[1]
कलाकृति श्रेणियाँ
राजा रवि वर्मा की कलाकृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा गया है-
यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास, पुराण व देवी देवताओं के चित्रों के कारण हुई, लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गये। आज तक तैल रंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ।
सीखी पश्चिमी चित्रकला
राजा रवि वर्मा ने पश्चिमी शैली की चित्रकला और ऑयल पेंटिंग तकनीक थियोडोर जेंसन से सीखी, जो 1868 में त्रिवेंद्रम पैलेस आने वाले डच चित्रकार थे। रवि वर्मा ने महाराजा और राज परिवार के सदस्यों के चित्र नई शैली में बनाए। उनकी पेंटिंग “मुल्ल्प्पू चूडिया नायर स्त्री” से वे मशहूर हुए, जिससे उन्हें 1873 में चेन्नई में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार भी मिला। इस पेंटिंग को ऑस्ट्रिया के विएना में आयोजित एक अन्य प्रदर्शनी में पुरस्कृत भी किया गया। 1876 में उनकी पेंटिंग 'शकुंतला' को चेन्नई में आयोजित एक प्रदर्शनी में पुरस्कृत किया गया।
130 साल बाद बिकी पेंटिंग
'फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट' के नाम से जाने जाने वाले महान राजा रवि वर्मा की एक पेंटिंग 130 से अधिक वर्षों के बाद नीलाम हुई। उनकी प्रतिष्ठित पेंटिंग में से एक यह पेंटिंग 21.16 करोड़ रुपये में बेची गई। 'द्रौपदी वस्त्रहरण' नाम की इस उत्कृष्ट पेंटिंग में दुशासन को महाभारत में महल में कौरवों और पांडवों से घिरी द्रौपदी की साड़ी उतारने के प्रयास को दिखाया गया है। पेंटिंग की बोली 15 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये के बीच आंकी गई थी।[2]
मृत्यु
राजा रवि वर्मा की मृत्यु 2 अक्टूबर, 1906 को हुई।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
'जमुना'(गोपियों के साथ कृष्ण), द्वारा -राजा रवि वर्मा
-
राजा हरिश्चंद्र राज्य खोने के बाद अपनी पत्नी और पुत्र को बेचते हुए -राजा रवि वर्मा
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ खुली चित्रकारी के रसिया थे राजा रवि वर्मा (हिन्दी) नवभारत टाइम्स। अभिगमन तिथि: 9 मार्च, 2016।
- ↑ भारतीय कला इतिहास के सबसे महान चित्रकार थे राजा रवि वर्मा (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 12 मार्च, 2024।
बाहरी कड़ियाँ
- आधिकारिक वेबसाइट
- राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत् के अनश्वर नागरिक
- राजा रवि वर्मा आदरांजली – चित्र प्रदर्शनी
- आम लोगों के क़रीब थी राजा रवि वर्मा की शैली
- raja ravi verma gallery
- Raja Ravi Varma (1848-1906) (Oil paintings)
- Paintings by Raja Ravi Varma
संबंधित लेख