संयुक्त समाजवादी दल
मई, 1964 ई. में 'प्रजा समाजवादी दल'[1] तथा 'समाजवादी दल'[2] के रामगढ़ और गया अधिवेशनों में विलयन का निश्चय किया गया और 6 जून, 1964 ई. को दिल्ली में दोनों दलों की संयुक्त बैठक में विलयन की पुष्टि की गई। इस प्रकार संयुक्त समाजवादी दल दोनों के एकीकरण से बना।
स्थापना
इस दल का स्थापनाधिवेशन 29 जनवरी, 1965 ई. को वाराणसी में हुआ। इस अधिवेशन के पूर्व 26 जनवरी को संसोपा की राष्ट्रीय समिति की बैठक सारनाथ में हुई। इस बैठक की अध्यक्षता दल के अध्यक्ष श्री एस. एम. जोशी ने की। दिल्ली में हुई समिति की बैठक की कार्रवाई पढ़ी जाने पर उसे गलत बताया गया और यह आरोप किया गया कि प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर कार्रवाई तोड़-मरोड़कर लिखी गई। बैठक की समाप्ति तक कोई निर्णय नहीं हो सका। दूसरे दिन की बैठक में प्रतिनिधित्व का प्रश्न हल हो गया और संशोधित कार्रवाई की पुष्टि हुई। किंतु बहुमत के तीव्र विरोध के कारण स्थापनाधिवेशन में राममनोहर लोहिया को आमंत्रित करने का सर्वाधिक विवादग्रस्त और बहुचर्चित प्रस्ताव पास न हो सका।[3]
अधिवेशन
स्थापना अधिवेशन में अध्यक्ष श्री. एस. एम. जोशी ने ध्वज फहराते हुए देश में मौलिक क्रांति करने के लिए पार्टी के सदस्यों का आह्वान किया। इस अधिवेशन में लगभ 21 सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अधिवेशन के प्रथम दिन लोहिया समर्थक प्रतिनिधियों को एक बिल्ला बाँटा गया। बिल्ले पर पार्टी के झंडे के ऊपर छपा था- लोहिया छोड़ेंगे नहीं पार्टी तोड़ेगें नहीं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
- ↑ सोशलिस्ट पार्टी
- ↑ 3.0 3.1 3.2 संयुक्त समाजवादी दल (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2014।