तब गनपति सिव सुमिरि
तब गनपति सिव सुमिरि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
- प्रयाग पहुँचना, भरद्वाज संवाद, यमुनातीर निवासियों का प्रेम
तब गनपति सिव सुमिरि प्रभु नाइ सुरसरिहि माथ। |
- भावार्थ
तब प्रभु श्री रघुनाथजी गणेशजी और शिवजी का स्मरण करके तथा गंगजी को मस्तक नवाकर सखा निषादराज, छोटे भाई लक्ष्मणजी और सीताजी सहित वन को चले॥104॥