बरवै रामायण
बरवै रामायण
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास | |
मूल शीर्षक | 'बरवै रामायण' | |
मुख्य पात्र | श्रीराम | |
देश | भारत | |
भाषा | अवधी | |
शैली | बरबा छन्द | |
विषय | श्रीराम की जीवन कथा। | |
टिप्पणी | 'बरवै रामायण' रचना के मुद्रित पाठ में स्फुट 69 बरवै हैं, जो 'कवितावली' की ही भांति सात काण्डों में विभाजित है। |
बरवै रामायण गोस्वामी तुलसीदास की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। इसमें 'बरवै' छन्दों में भगवान श्रीराम की कथा कही गयी है।
छन्दों का संग्रह
'बरवै रामायण' रचना के मुद्रित पाठ में स्फुट 69 बरवै हैं, जो 'कवितावली' की ही भांति सात काण्डों में विभाजित है। प्रथम छ: काण्डों में रामकथा के छन्द हैं, उत्तरखण्ड में रामभक्ति के छन्द हैं। यह रचना बहुत स्फुट ढंग पर निर्मित हुई है, या यों कहना चाहिए कि इसमें बहुत स्फुट ढंग पर रचे हुए रामकथा तथा रामभक्ति सम्बन्धी बरवा छन्दों का संग्रह हुआ है।
वर्णन
'किष्किन्धाकाण्ड' में सुग्रीव का राम से प्रश्न है,
"कुजन पाल गुन वर्जित अकुल अनाथ,
कहहु कृपानिधि राउर कर गुन नाथ॥"
किंतु यहीं पर 'किष्किन्धाकाण्ड' समाप्त हो जाता है। 'लंकाकाण्ड' में राम की जलधि सदृश राम की वाहिनी का एक छन्द में वर्णन किया गया है और यही एक मात्र छन्द लंकाकाण्ड की कथा का है। उत्तराकाण्ड की कथा का एक भी छन्द नहीं है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 370।