अनंत शयनम आंयगर
अनंत शयनम आयंगर (जन्म- 4 फ़रवरी, 1891, आंध्र प्रदेश; मृत्यु- 19 मार्च, 1978) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और संस्कृत के विद्वान थे। सन 1940 के ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह’ में और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण उन्होंने जेल की सजाएँ भोगीं। 1947 में वे केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और कांग्रेस संसदीय दल के सदस्य बने। अनंत शयनम आयंगर पहली और दूसरी लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
परिचय
अनंत शयनम आयंगर का जन्म आंध्र प्रदेश के तिरुपति के निकट 4 फ़रवरी, 1891 को हुआ था। उनके पिता का नाम एम. वेंकटवरधाचारियर था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से विधि स्नातक के रूप में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी। क़ानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने चित्तूर में वकालत प्रारम्भ की। अनंत शयनम आयंगर का विवाह श्रीमती चूड़म्मल आयंगर के साथ हुआ था। वे चार पुत्र और आठ पुत्रियों के पिता थे।
कार्यक्षेत्र
- सार्वजनिक कार्यों में भी अनंत शयनम आयंगर रुचि लेने लगे थे। 1922 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने 1 वर्ष के लिए वकालत छोड़ दी थी।
- वे छुआछूत के निवारण और अंत्यजों के मंदिर प्रवेश के पक्ष में भी काम करते रहे।
- 1934 में अनंत शयनम आयंगर केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। वहां भूलाभाई देसाई, गोविंद बल्लभ पंत जैसे नेताओं का उन्हें साथ मिला।
- अनंत शयनम आयंगर ने 1940 के ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह’ में और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के कारण जेल की सजाएँ भोगीं।
- 1947 में वे पुन: केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और कांग्रेस संसदीय दल के सदस्य बने।
- 1949 में अनंत शयनम आयंगर को सदन का उपाध्यक्ष चुना गया।
- नया संविधान लागू होने पर वे पहली लोकसभा के उपाध्यक्ष और 1956 में अध्यक्ष चुने गए।
- 1957 के निर्वाचन के बाद वह पुनः लोकसभा के अध्यक्ष बने।
- 1962 से 1967 तक उन्होंने बिहार के राज्यपाल का भी पदभार संभाला।
- संस्कृत भाषा और साहित्य में विशेष रुचि के कारण वे लंबे समय तक तिरुपति के केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ के अध्यक्ष भी रहे।
मृत्यु
अनंत शयनम आयंगर का निधन 19 मार्च, 1978 को हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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