"प्रयोग:कविता बघेल 4": अवतरणों में अंतर
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{निम्न में कौन | {निम्न में कौन सा खाद 'किसान खाद' कहलाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-16 | ||
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-अमोनियम सल्फेट | -अमोनियम सल्फेट | ||
-यूरिया | -[[यूरिया]] | ||
+कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट | +कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट | ||
-उपर्युक्त में कोई नहीं | -उपर्युक्त में कोई नहीं | ||
||कैल्सियम अमोनिया नाइट्रोजन को किसान खाद कहते हैं। इस खाद को हर प्रकार की भूमि प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि यह उदासीन होता है। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 25% तक होती है। | ||कैल्सियम अमोनिया नाइट्रोजन को किसान खाद कहते हैं। इस खाद को हर प्रकार की भूमि प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि यह उदासीन होता है। इसमें [[नाइट्रोजन]] की मात्रा लगभग 25% तक होती है। | ||
{अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संस्था की स्थापना हुई | {अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संस्था की स्थापना कब हुई थी? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-22 | ||
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+1921 | +[[1921]] | ||
-1924 | -[[1924]] | ||
-1932 | -[[1932]] | ||
-1905 | -[[1905]] | ||
||विभिन्न देशों की बीच परीक्षण विधियों में समानता लेने के उद्देश्य से वर्ष 1921 में अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ (I.S.T.A.) की स्थापना की गयी। | ||विभिन्न देशों की बीच परीक्षण विधियों में समानता लेने के उद्देश्य से वर्ष [[1921]] में अंतर्राष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ (I.S.T.A.) की स्थापना की गयी। | ||
{'अर्का नवनीत' | {'अर्का नवनीत' निम्न में से किसकी किस्म है?(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-16 | ||
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+ | +[[बैंगन]] | ||
-प्याज | -प्याज | ||
-बंदगोभी | -[[बंदगोभी]] | ||
-आलू | -[[आलू]] | ||
||'अर्का नवनीत' बैंगन की गोल आकार के फल वाली किस्म है। | ||'अर्का नवनीत' [[बैंगन]] की गोल आकार के फल वाली किस्म है। | ||
{लाख में रेजिन का अंश होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-18 | {लाख में रेजिन का अंश होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-18 | ||
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{निम्न में से किस एक फसल को छोड़कर एक घंटे से अधिक पानी नहीं ठहरने देना चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-13 | {निम्न में से किस एक फसल को छोड़कर शेष अन्य में एक घंटे से अधिक पानी नहीं ठहरने देना चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-13 | ||
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-मक्का | -[[मक्का]] | ||
-बाजरा | -[[बाजरा]] | ||
+धान | +[[धान]] | ||
-चाय | -[[चाय]] | ||
||धान की फसल के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए इसमें पानी भरा रहना लाभप्रद है जबकि बाजरा, मक्का, चाय की फसल के लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है | ||[[धान]] की फसल के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए इसमें पानी भरा रहना लाभप्रद है जबकि [[बाजरा]], [[मक्का]], [[चाय]] की फसल के लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है इसमें पानी एक घंटे से ज्यादा न भरा रहें। | ||
{'इपीरीकैनिआ मिलैनोल्यूका' | {'इपीरीकैनिआ मिलैनोल्यूका' किसका परजीवी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-63,प्रश्न-17 | ||
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-मकड़ी | -मकड़ी | ||
-दीमक | -दीमक | ||
+पायरिल्ला | +पायरिल्ला | ||
-कॉकरोच | -कॉकरोच | ||
||'इपीरीकैनिआ मिलैनोल्यूका' पायरिल्ला का परजीवी कहलाता है। | ||'इपीरीकैनिआ मिलैनोल्यूका' पायरिल्ला का परजीवी कहलाता है। | ||
{गाय में आदर्श शुष्क काल (Dry period) | {[[गाय]] में आदर्श शुष्क काल (Dry period) होता है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-77 | ||
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-30 दिन | -30 दिन | ||
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-50 दिन | -50 दिन | ||
-40 दिन | -40 दिन | ||
||गाय | ||[[गाय]] में आदर्श शुष्क काल (Dry Period) दो महीने (60 दिन) का होता है। | ||
{के.पी.जी.- 59 (उदय) प्रजाति है | {के.पी.जी.- 59 (उदय) प्रजाति किसकी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-17 | ||
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-मटर | -मटर | ||
-सब्जी मटर | -[[मटर|सब्जी मटर]] | ||
-मसूर | -मसूर | ||
+चना | +[[चना]] | ||
||के.पी.जी.-59 (उदय) प्रजाति चना की है, जो एक पछेती प्रजाति है। नवम्बर के आखिरी सप्ताह से दिसम्बर के पहले सप्ताह तक इसकी बुआई कर सकती हैं। | ||के.पी.जी.-59 (उदय) प्रजाति [[चना]] की है, जो एक पछेती प्रजाति है। [[नवम्बर]] के आखिरी सप्ताह से [[दिसम्बर]] के पहले सप्ताह तक इसकी बुआई कर सकती हैं। | ||
{पडलिंग का काम है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-87 | {पडलिंग का काम है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-87 | ||
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+जल का परकोलेशन कम करना | +जल का परकोलेशन कम करना | ||
-मृदा को पल्वेराइज करना | -[[मृदा]] को पल्वेराइज करना | ||
-खरपतवार मारना | -खरपतवार मारना | ||
-क्षेत्र को समतल करना | -क्षेत्र को समतल करना | ||
||धान के खेत में रोपाई के पूर्ण जल के परकोलेशन को कम करने के लिए पडलिंग की | ||[[धान]] के खेत में रोपाई के पूर्ण जल के परकोलेशन को कम करने के लिए पडलिंग की जाती है। | ||
{कौन-सा पोषक तत्त्वों | {कौन-सा पोषक तत्त्वों के ग्रुप N<sub>2</sub> स्थिरीकरण में भाग लेता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-17 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-P,S, MO | -P,S, MO(2) | ||
-P,S, CO | -P,S, CO(3) | ||
-P, MO, CO | -P, MO, CO | ||
+ | +उपरोक्त सभी | ||
||नाइट्रोजन स्थिरीकरण में फॉस्फोरस, सल्फर, मॉलिब्डेनम कोबाल्ट आदि तत्त्व भाग लेते हैं। | ||[[नाइट्रोजन]] स्थिरीकरण में [[फॉस्फोरस]], [[सल्फर]], मॉलिब्डेनम [[कोबाल्ट]] आदि तत्त्व भाग लेते हैं। | ||
{इनमें कौन-सा फारमर्स सीड है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-23 | {इनमें कौन-सा फारमर्स सीड है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-23 | ||
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||सामान्य बीज उत्पादन प्रयोगों के अनुसार, प्रमाणित बीज आमतौर पर प्रगतिशील किसानों द्वारा उगाया जाता है। प्रमाणित बीज वाणिज्य फसल उत्पादन हेतु किसानों को सामान्य वितरण के लिए उपलब्ध कराया जाता है। | ||सामान्य बीज उत्पादन प्रयोगों के अनुसार, प्रमाणित बीज आमतौर पर प्रगतिशील किसानों द्वारा उगाया जाता है। प्रमाणित बीज वाणिज्य फसल उत्पादन हेतु किसानों को सामान्य वितरण के लिए उपलब्ध कराया जाता है। | ||
{ | {[[मूली]] में तीखापन किससे होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-42,प्रश्न-52 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -सोलोनिन | ||
-कैपसिसिन | |||
- | -एलीसिन | ||
+आइसोसाइनेट | |||
|| | ||मूली में 'आइसोसाइनेट' तत्त्व की उपस्थिति के कारण तीखापन पाया जाता है। | ||
{सेरीकल्चर कहते हैं | {सेरीकल्चर किसे कहते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-19 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मधुमक्खी पालन | -मधुमक्खी पालन | ||
+रेशम कीट पालन | +रेशम कीट पालन | ||
-लाख उद्योग | -लाख उद्योग | ||
-मछली पालन | -मछली पालन | ||
||रेशम कीट पालन को 'सेरीकल्चर', मधुमक्खी पालन को 'एपीकल्चर' एवं मछली पालन को' 'पीसीकल्चर' कहते हैं। | ||रेशम कीट पालन को 'सेरीकल्चर', मधुमक्खी पालन को 'एपीकल्चर' एवं मछली पालन को' 'पीसीकल्चर' कहते हैं। | ||
{किस प्रकार के | {किस प्रकार के [[उर्वरक]] की पूर्ति के लिए [[भारत]] आयात पर निर्भर करता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-17 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-नाइट्रोजन्स उर्वरक | -नाइट्रोजन्स उर्वरक | ||
-फॉस्फेटिक उर्वरक | -फॉस्फेटिक उर्वरक | ||
-पोटैशियम उर्वरक | -पोटैशियम उर्वरक | ||
+ | +उपरोक्त सभी | ||
||भारत अभी भी नाइट्रोजनी उर्वरकों की अपनी खपत का 80% व फॉस्फेटी उर्वरकों उर्वरकों की खपत 70% ही उत्पादन कर पाता है। पोटाशी उर्वरक के लिए भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर है। | ||[[भारत]] अभी भी नाइट्रोजनी उर्वरकों की अपनी खपत का 80% व फॉस्फेटी उर्वरकों उर्वरकों की खपत 70% ही उत्पादन कर पाता है। पोटाशी उर्वरक के लिए भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर है। | ||
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||'कल्टीवेटर' सिंचार सम्बंधी कार्य में प्रयोग नहीं किया जाता, यह जुताई के कार्य में प्रयोग होता है जबकि फावड़ा, खुर्पी, एवं समतल पाटा को सिंचाई कार्य में प्रयोग करते हैं। | ||'कल्टीवेटर' सिंचार सम्बंधी कार्य में प्रयोग नहीं किया जाता, यह जुताई के कार्य में प्रयोग होता है जबकि फावड़ा, खुर्पी, एवं समतल पाटा को सिंचाई कार्य में प्रयोग करते हैं। | ||
{'नेशनल | {'नेशनल प्लाण्ट प्रोटेक्शन ट्रैनिंग इन्स्टीट्यूट' (NPP-TI) स्थित है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-63,प्रश्न-18 | ||
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- | -[[बेंगलुरु]] | ||
+हैदराबाद | +[[हैदराबाद]] | ||
-चेन्नई | -[[चेन्नई]] | ||
-लखनऊ | -[[लखनऊ]] | ||
||नेशनल प्लाण्ट प्रोटेक्शन ट्रैनिंग | ||नेशनल प्लाण्ट प्रोटेक्शन ट्रैनिंग इन्स्टीट्यूट-NPP-TI [[हैदराबाद]] में स्थापित किया गया। | ||
{'ऑपरेशन फ्लड' योजना सम्बंधित है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-78 | {'ऑपरेशन फ्लड' योजना सम्बंधित है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-67,प्रश्न-78 | ||
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{मैदानी क्षेत्रों में राजमा की खेती की जाती है-(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-18 | {मैदानी क्षेत्रों में राजमा की खेती की जाती है-(कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-18 | ||
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+ | +खरीफ में | ||
-रबी में | -रबी में | ||
-जायद में | -जायद में | ||
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||मैदानी क्षेत्रों में राजमा की खेती खरीफ में की जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में रबी में खेती की जाती है। | ||मैदानी क्षेत्रों में राजमा की खेती खरीफ में की जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में रबी में खेती की जाती है। | ||
{भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ था | {[[भारत]] में सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब प्रारम्भ हुआ था? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-77,प्रश्न-88 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-2 अक्टूबर, 1950 को | -[[2 अक्टूबर]], [[1950]] को | ||
+2 अक्टूबर,1952 को | +2 अक्टूबर,[[1952]] को | ||
-2अक्टूबर, 1951 को | -2अक्टूबर, [[1951]] को | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||1.सामुदायिक विकास कार्यक्रम -2 अक्टूबर, 1952 | ||1.सामुदायिक विकास कार्यक्रम -[[2 अक्टूबर]], [[1952]], 2.[[योजना आयोग]] -2 अक्टूबर, [[1950]], 3.[[पंचवर्षीय योजना]] -2 अक्टूबर, [[1951]], 4.[[भूदान आंदोलन]] -2 अक्टूबर, [[1952]] | ||
2.योजना आयोग -2 अक्टूबर, 1950 | |||
3.पंचवर्षीय योजना - | |||
4.भूदान आंदोलन -2 अक्टूबर, 1952 | |||
{नीचे दिये गये पोषक तत्त्वों में प्राथमिक पोषक तत्त्व नहीं है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-18 | {नीचे दिये गये पोषक तत्त्वों में प्राथमिक पोषक तत्त्व नहीं है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-18 | ||
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-K | -K | ||
-P | -P | ||
||प्राथमिक तत्त्व: 1.नाइट्रोजन 2.मैग्नीशियम 3. | ||प्राथमिक तत्त्व: 1.[[नाइट्रोजन]] 2.[[मैग्नीशियम]] 3.[[पोटेशियम|पोटाश]]। द्वितीयक तत्त्व: 1.[[कैल्सियम]], 2.[[मैग्नीशियम]] 3.[[सल्फर]]। | ||
{बीज के भण्डारण हेतु कितने प्रतिशत नमी होनी चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-24 | {बीज के भण्डारण हेतु कितने प्रतिशत नमी होनी चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-24 | ||
पंक्ति 656: | पंक्ति 653: | ||
-20-25% | -20-25% | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
||बीजों को उच्च प्रक्तिया और सुरक्षित संग्रहण के लिए अनुकूल नमी स्तर पर सुखाना चाहिए। अनुकूल नमी स्तर एक फसल की नसल से दूसरी फसल में बदलता रहता है। चावलों के उदाहरण में यह 13% तक, पत्तागोभी और तरबूज में 7% तक और मूली में यह 6% तक की भिन्नता रखता है। | ||बीजों को उच्च प्रक्तिया और सुरक्षित संग्रहण के लिए अनुकूल नमी स्तर पर सुखाना चाहिए। अनुकूल नमी स्तर एक फसल की नसल से दूसरी फसल में बदलता रहता है। चावलों के उदाहरण में यह 13% तक, [[पत्तागोभी]] और [[तरबूज]] में 7% तक और [[मूली]] में यह 6% तक की भिन्नता रखता है। | ||
{'गोल्डन एकर' एक प्रजाति है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-18 | {'गोल्डन एकर' एक प्रजाति है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-फूलगोभी | -[[फूलगोभी]] | ||
+पत्तागोभी | +[[पत्तागोभी]] | ||
-गाजर | -[[गाजर]] | ||
-प्याज | -प्याज | ||
||पत्तागोभी की गोल सिर वाली अगेती प्रजाति गोल्डन एकर है। | ||पत्तागोभी की गोल सिर वाली अगेती प्रजाति 'गोल्डन एकर' है। | ||
{वैधानिक मानक के अनुसार मक्खन में कम-से-कम वसा का अंश होता है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-20 | {वैधानिक मानक के अनुसार [[माखन|मक्खन]] में कम-से-कम [[वसा]] का अंश होता है। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-20 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-84% | -84% | ||
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-90% | -90% | ||
-70% | -70% | ||
||मक्खन में 80% से कम वसा और 20% से अधिक अन्य पदार्थ, जैसे-पानी, नमक एवं एजेंटो रंजक होने चाहिए। पानी 16% से अधिक नहीं होना चाहिए। | ||[[माखन|मक्खन]] में 80% से कम वसा और 20% से अधिक अन्य पदार्थ, जैसे-[[पानी]], [[नमक]] एवं एजेंटो रंजक होने चाहिए। पानी 16% से अधिक नहीं होना चाहिए। | ||
{किस प्रकार की सहकारी खेती में भूमि स्वामित्व सामूहिक होता है तथा खेती व्यक्तिगत स्तर पर की जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-18 | {किस प्रकार की सहकारी खेती में भूमि स्वामित्व सामूहिक होता है तथा खेती व्यक्तिगत स्तर पर की जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सहकारी संयुक्त खेती | -सहकारी संयुक्त खेती | ||
-सहकारी सामूहिक | -सहकारी सामूहिक खेती | ||
+सहकारी काश्तकारी खेती | +सहकारी काश्तकारी खेती | ||
-सहकारी उन्नत खेती | -सहकारी उन्नत खेती |
11:19, 7 जनवरी 2017 का अवतरण
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