"पंचनद (महाभारत)": अवतरणों में अंतर
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06:59, 18 मार्च 2016 के समय का अवतरण
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पंचनद पंजाब का प्राचीन नाम था। इसका पंचनद नाम यहाँ की झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और व्यास नदी नदियों के कारण हुआ था। महाभारत के युद्ध में पंचनद निवासियों ने दुर्योधन की सेना का पक्ष लिया था। पंचनद के एक छोर पर दुर्योधन की माता गांधारी के पिता का गांधार देश स्थित था।[1] महाभारत में पंचनद का नामोल्लेख है-
'कृत्स्नं पंचनद चैव तथैवामरपर्वतम्, उत्तरज्योतिष चैव तथा दिव्यकटं पुरम्' [2]
'तत: पंचनद गत्वा नियतो नियताशन:'।
- महाभारत वनपर्व[3] से पंचनद की तीर्थ रूप में भी मान्यता सिद्ध होती है।
- पंचनद अग्निपुराण[4] में भी उल्लिखित है।
- विष्णुपुराण[5] में श्रीकृष्ण के स्वर्गारोहण के पश्चात् और द्वारका के समुद्र में बह जाने पर अर्जुन द्वारा द्वारकावासियों को पंचनद प्रदेश में बसाए जाने का उल्लेख है-
'पार्थ: पंचनदे देशे बहुधान्यधनान्विते, चकारवासं सर्वस्य जनस्य मुनिसत्तम'।
उपर्युक्त श्लोक में (पंचनद) पंजाब को धन धान्य समन्वित देश बताया गया है, जो इस प्रदेश की आज भी विशेषता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, सभापर्व, अध्याय 32, वनपर्व, अध्याय 42, 43, 134 उद्योगपर्व, अध्याय 4, 19, कर्णपर्व, अध्याय 45.
- ↑ महाभारत, सभापर्व 32, 11.
- ↑ महाभारत वनपर्व 83, 16
- ↑ अग्निपुराण 109
- ↑ विष्णुपुराण 38, 12