चक्रव्यूह
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चक्रव्यूह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। इस व्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी।
- अर्जुन के अतिरिक्त और कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था।
- युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की गयी थी।
- दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य में था।
- इस व्यूह में बाकी सात महारथी व्यूह की विभिन्न परतों में थे।
- व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था।
- अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया पर वो अंतिम द्वार को पार नहीं कर सका तथा बाद में सात महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी।[1]
- महाभारत युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा रचे गए व्यूह निम्न थे-
- वज्र व्यूह
- क्रौंच व्यूह
- अर्धचन्द्र व्यूह
- मंडल व्यूह
- चक्रशकट व्यूह
- मगर व्यूह
- औरमी व्यूह
- गरुड़ व्यूह
- श्रीन्गातका व्यूह
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 46 |
- ↑ महाभारत का चक्रव्यूह तथा दूसरे व्यूह Dev Rana=हिन्दी। अभिगमन तिथि: 8 जनवरी, 2016।
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