"एक व्यक्तित्व": अवतरणों में अंतर
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<center>'''[[जयशंकर प्रसाद]]'''</center> | |||
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'''[[जयशंकर प्रसाद]]''' [[हिंदी|हिन्दी]] नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। [[कविता]], [[नाटक]], [[कहानी]], [[उपन्यास]] सभी क्षेत्रों में प्रसाद जी एक नवीन 'स्कूल' और नवीन जीवन-दर्शन की स्थापना करने में सफल हुए। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से [[ब्रजभाषा]] में एक [[सवैया]] लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था। [[जयशंकर प्रसाद|... और पढ़ें]] | |||
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08:51, 17 नवम्बर 2014 का अवतरण
मुखपृष्ठ पर चयनित एक व्यक्तित्व के लेखों की सूची
![]() जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास सभी क्षेत्रों में प्रसाद जी एक नवीन 'स्कूल' और नवीन जीवन-दर्शन की स्थापना करने में सफल हुए। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से ब्रजभाषा में एक सवैया लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था। ... और पढ़ें |
![]() रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं निबंधकार हैं। 'दिनकर' आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। 'दिनकर' पद्म भूषण के अतिरिक्त अपनी गद्य रचना 'संस्कृति के चार अध्याय' के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा काव्य-नाटक उर्वशी के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हैं। 'दिनकर' भारत की प्रथम संसद में राज्यसभा के सदस्य भी चुने गये। 12 वर्ष तक संसद सदस्य रहने के बाद इन्हें 'भागलपुर विश्वविद्यालय' का कुलपति नियुक्त किया गया लेकिन अगले ही वर्ष भारत सरकार ने इन्हें अपना 'हिन्दी सलाहकार' नियुक्त किया। ... और पढ़ें |
![]() सूरदास हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में कृष्ण भक्ति के भक्त कवियों में अग्रणी है। महाकवि सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने शृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षा दे कर कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास जी अष्टछाप कवियों में एक थे। सूरदास की सर्वसम्मत प्रामाणिक रचना 'सूरसागर' है। ... और पढ़ें |
![]() सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के प्रमुख नेताओं में से वे एक थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद पहले तीन वर्ष वे उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे थे। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप द्वारा उन्होंने अधिकांश रियासतों को तिरंगे के तले लाने में सफलता प्राप्त की। नीतिगत दृढ़ता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें 'सरदार' और 'लौह पुरुष' की उपाधि दी। सरदार पटेल को मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया गया। सरदार पटेल के ऐतिहासिक कार्यों में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निमाण, गांधी स्मारक निधि की स्थापना, कमला नेहरू अस्पताल की रूपरेखा आदि कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे। ... और पढ़ें |
![]() अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात हैं। इन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत है कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते हैं। यह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय हैं, जो सभी के लिए 'एक महान आदर्श' बन चुके हैं। ये भारत के विशिष्ट वैज्ञानिक हैं, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि के अतिरिक्त भारत के नागरिक सम्मान के रूप में पद्म भूषण, पद्म विभूषण एवं भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। ... और पढ़ें |
![]() देवकीनन्दन खत्री हिन्दी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने 'चन्द्रकान्ता ', 'चंद्रकांता संतति', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और 'भूतनाथ' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनन्दन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। ... और पढ़ें |
![]() गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी साहित्य के आकाश के परम नक्षत्र, भक्तिकाल की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ कवि, भक्त तथा समाज सुधारक तीनों रूपों में मान्य है। श्रीराम को समर्पित विश्वविख्यात ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस को समस्त उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। अपनी पत्नी 'रत्नावली' से अत्याधिक प्रेम के कारण तुलसीदास को रत्नावली की फटकार "लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ" सुननी पड़ी जिससे इनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। ... और पढ़ें |
![]() सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। हिंदी साहित्य के ‘विलियम वर्ड्सवर्थ’ कहे जाने वाले इस कवि ने महानायक अमिताभ बच्चन को ‘अमिताभ’ नाम दिया था। आधी सदी से भी अधिक लंबे उनके रचनाकाल में आधुनिक हिंदी कविता का एक पूरा युग समाया हुआ है। ... और पढ़ें |
![]() सुभाष चंद्र बोस के अतिरिक्त भारत के इतिहास में ऐसा कोई व्यक्तित्व नहीं हुआ, जो एक साथ महान सेनापति, वीर सैनिक, राजनीति का अद्भुत खिलाड़ी और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरुषों, नेताओं के समकक्ष साधिकार बैठकर कूटनीति तथा चर्चा करने वाला हो। गाँधीजी ने भी उनकी देश की आज़ादी के प्रति लड़ने की भावना देखकर ही उन्हें 'देशभक्तों का देशभक्त' कहा था। नेताजी उस समय भारतीयता की पहचान ही बन गए थे और भारतीय युवक आज भी उनसे प्रेरणा ग्रहण करते हैं। वे भारत की अमूल्य निधि थे। 'जयहिन्द' का नारा और अभिवादन उन्हीं की देन है। ... और पढ़ें |
![]() स्वामी विवेकानन्द एक युवा संन्यासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगन्ध विदेशों में बिखरने वाले साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान थे। विवेकानन्द जी का मूल नाम 'नरेंद्रनाथ दत्त' था। इन्होंने हिन्दू धर्म को गतिशील तथा व्यवहारिक बनाया और सुदृढ़ सभ्यता के निर्माण के लिए आधुनिक मानव से पश्चिमी विज्ञान व भौतिकवाद को भारत की आध्यात्मिक संस्कृति से जोड़ने का आग्रह किया। भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ... और पढ़ें |
![]() महाराणा प्रताप की वीरता और स्वार्थ-त्याग का वृत्तान्त मेवाड़ के इतिहास में अत्यन्त गौरवमय समझा जाता है। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि राणा प्रताप का जन्म हुआ। इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वह 'माता के पवित्र दूध को कभी कलंकित नहीं करेंगे' और इस प्रतिज्ञा का पालन इन्होंने पूरी तरह से किया। महाराणा प्रताप प्रजा के हृदय पर शासन करने वाले राजा थे। महाराणा प्रताप ने एक प्रतिष्ठित कुल के मान-सम्मान और उसकी उपाधि को प्राप्त किया। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। ... और पढ़ें |
![]() मीरांबाई अथवा मीराबाई हिन्दू आध्यात्मिक कवयित्री थीं, जिनके श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित भजन उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। मीरा का सम्बन्ध एक राजपूत परिवार से था। एक साधु द्वारा बचपन में उन्हें कृष्ण की मूर्ति दिए जाने के साथ ही उनकी आजन्म कृष्णभक्ति की शुरुआत हुई, जिनकी वह दिव्य प्रेमी के रूप में आराधना करती थीं। ... और पढ़ें |
![]() हरिवंश राय बच्चन के काव्य की विलक्षणता उनकी लोकप्रियता है। यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि आज भी हिन्दी के ही नहीं, सारे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में 'बच्चन' का स्थान सुरक्षित है। हिन्दी में 'हालावाद' के जनक 'बच्चन' की मुख्य कृतियाँ 'मधुशाला', 'मधुबाला' और 'मधुकलश' ने हिंदी काव्य पर अमिट छाप छोड़ी। हरिवंश राय बच्चन के पुत्र अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा जगत के प्रसिद्ध सितारे हैं। ... और पढ़ें |
![]() नज़ीर अकबराबादी उर्दू में नज़्म लिखने वाले पहले कवि माने जाते हैं। समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी को नज़ीर साहब ने कविता में तब्दील कर दिया। ककड़ी, जलेबी और तिल के लड्डू जैसी वस्तुओं पर लिखी गई कविताओं को आलोचक कविता मानने से इन्कार करते रहे। बाद में नज़ीर साहब की 'उत्कृष्ट शायरी' को पहचाना गया और आज वे उर्दू साहित्य के शिखर पर विराजमान चन्द नामों के साथ बाइज़्ज़त गिने जाते हैं। ... और पढ़ें |
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