"गीता 4:2": अवतरणों में अंतर
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हे परन्तप <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | हे परन्तप <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! इस प्रकार परम्परा से प्राप्त इस योग को राजर्षियों ने जाना; किंतु उसके बाद वह योग बहुत काल से इस [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] लोक में लुप्त प्राय हो गया ।।2।। | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! इस प्रकार परम्परा से प्राप्त इस योग को राजर्षियों ने जाना; किंतु उसके बाद वह योग बहुत काल से इस [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] लोक में लुप्त प्राय हो गया ।।2।। | ||
07:52, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-4 श्लोक-2 / Gita Chapter-4 Verse-2
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