"गीता 2:71": अवतरणों में अंतर

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इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के चारों प्रश्नों का उत्तर देने के अनन्तर अब स्थितप्रज्ञ पुरुष महत्व बतलाते हुए इस अध्याय का उपसंहार करते हैं-
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के चारों प्रश्नों का उत्तर देने के अनन्तर अब स्थितप्रज्ञ पुरुष महत्त्व बतलाते हुए इस अध्याय का उपसंहार करते हैं-
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10:26, 13 मार्च 2011 का अवतरण

गीता अध्याय-2 श्लोक-71 / Gita Chapter-2 Verse-71

प्रसंग-


इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के चारों प्रश्नों का उत्तर देने के अनन्तर अब स्थितप्रज्ञ पुरुष महत्त्व बतलाते हुए इस अध्याय का उपसंहार करते हैं-


विहाय कामान्य: सर्वान्पुमांश्चरति नि:स्पृह ।
निर्ममो निरहंकार स शान्तिमधिगच्छति ।।71।।




जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं को त्यागकर ममतारहित, अहंकार रहित और स्पृहारहित हुआ विचरता है वही शान्ति को प्राप्त होता है अर्थात् वह शान्ति को प्राप्त है ।।71।।


He who has given up all desires, and moves free from attachment, agoism and thirst for enjoyment attains peace.(71)


य: = जो ; पुमान् = पुरुष ; सर्वान् = संपूर्ण ; कामान् = कामनाओंको ; विहाय = त्यागकर ; निर्मम: = ममतारहित (और) ; निरहंकार: = अहंकाररहित ; नि:स्पृह: = स्पृहारहित हुआ ; चरति = बर्तता है ; स: = वह ; शान्तिम् = शान्तिको ; अधिगच्छति = प्राप्त होता है



अध्याय दो श्लोक संख्या
Verses- Chapter-2

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 , 43, 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)