"कलसी उत्तराखण्ड": अवतरणों में अंतर
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'''कलसी''' अथवा 'कालसी' [[उत्तराखण्ड]] के [[देहरादून|ज़िला देहरादून]] की तहसील चकरौता में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर [[भारतीय इतिहास]] में प्रसिद्ध [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के [[अशोक के शिलालेख|चतुर्दश शिलालेख]] एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित था। महाभारत से भी इस स्थान का सम्बन्ध रहा है। आज कलसी एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। | '''कलसी''' अथवा 'कालसी' [[उत्तराखण्ड]] के [[देहरादून|ज़िला देहरादून]] की तहसील चकरौता में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर [[भारतीय इतिहास]] में प्रसिद्ध [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के [[अशोक के शिलालेख|चतुर्दश शिलालेख]] एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित था। महाभारत से भी इस स्थान का सम्बन्ध रहा है। आज कलसी एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। | ||
==स्थिति== | ==स्थिति== | ||
कलसी उत्तराखण्ड के देहरादून ज़िले में [[समुद्र]] स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर आदिवासी क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानी जाती है, जो दो नदियों- [[यमुना नदी]] और [[टोंस नदी]] के संगम पर स्थित है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। | कलसी उत्तराखण्ड के देहरादून ज़िले में [[समुद्र]] स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर आदिवासी क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानी जाती है, जो दो नदियों- [[यमुना नदी]] और [[टोंस नदी]] के संगम पर स्थित है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। | ||
====इतिहास==== | ====इतिहास==== | ||
[[महाभारत]] काल में कलसी का शासक [[विराट|राजा विराट]] था और उसकी राजधानी [[विराटनगर]] थी। [[अज्ञातवास]] के समय [[पांडव]] रूप बदलकर राजा विराट के यहाँ ही रहे थे। यमुना नदी के किनारे कलसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं [[सदी]] में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कलसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ [[वर्ष]] पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र [[गढ़वाल]] के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर [[महमूद गजनवी|इब्राहिम बिन महमूद गजनवी]] का हमला हुआ। | [[महाभारत]] काल में कलसी का शासक [[विराट|राजा विराट]] था और उसकी राजधानी [[विराटनगर]] थी। [[अज्ञातवास]] के समय [[पांडव]] रूप बदलकर राजा विराट के यहाँ ही रहे थे। यमुना नदी के किनारे कलसी में [[अशोक के शिलालेख]] प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं [[सदी]] में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कलसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ [[वर्ष]] पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र [[गढ़वाल]] के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर [[महमूद गजनवी|इब्राहिम बिन महमूद गजनवी]] का हमला हुआ।<ref name="aa">{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/kalsi/ |title=कालसी- एक ख़ूबसूरत हेमलेट|accessmonthday=26 जून|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक 'अशोक रॉक ईडिक्ट' कलसी के अति | भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक 'अशोक रॉक ईडिक्ट' कलसी के अति महत्त्वपूर्ण स्मारक और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह वह पत्थर है, जिस पर [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के 14वें आदेश को 253 ई. पू. में उत्कीर्ण किया गया था। यह आदेश राजा के बताये गए सुधारों और सलाह का संकलन है, जिसको [[प्राकृत भाषा]] और [[ब्राह्मी लिपि]] में उत्कीर्ण किया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फुट और चौड़ाई 8 फुट है। | ||
कलसी आने वाले पर्यटक आसन बैराज भी देख सकते हैं, जो की विभिन्न लुप्त प्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। आईयूसीएन की रेड डाटा बुक<ref>प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ</ref> ने यहाँ के पक्षियों को दुर्लभ प्रजाति घोषित किया है। एक उत्सुक पक्षी प्रेमी विभिन्न अद्वितीय पक्षियों की प्रजातियों, जैसे- मल्लार्ड्स, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ओस्प्रेय्स, और स्टेपी ईगल्स को देखने का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक यहाँ 90 प्रतिशत जल पक्षियों एवं 11 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को [[अक्टूबर]] से [[नवम्बर]] और [[फ़रवरी]] से [[मार्च]] तक की अवधि में देख सकते हैं। विकासनगर, कलसी में | कलसी आने वाले पर्यटक आसन बैराज भी देख सकते हैं, जो की विभिन्न लुप्त प्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। आईयूसीएन की रेड डाटा बुक<ref>प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ</ref> ने यहाँ के पक्षियों को दुर्लभ प्रजाति घोषित किया है। एक उत्सुक पक्षी प्रेमी विभिन्न अद्वितीय पक्षियों की प्रजातियों, जैसे- मल्लार्ड्स, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ओस्प्रेय्स, और स्टेपी ईगल्स को देखने का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक यहाँ 90 प्रतिशत जल पक्षियों एवं 11 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को [[अक्टूबर]] से [[नवम्बर]] और [[फ़रवरी]] से [[मार्च]] तक की अवधि में देख सकते हैं। विकासनगर, कलसी में ख़रीदारी करने के लिए एक आदर्श स्थल है। दूसरी ओर डक पत्थर है, जो एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है, जहाँ कैनोइंग, नौकायन, वाटर स्कीइंग, और होवरक्राफ्ट जैसी हर तरह की विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आनन्द लिया जा सकता है।<ref name="aa"/> | ||
==कैसे पहुँचें== | ==कैसे पहुँचें== | ||
कलसी से निकटतम हवाई अड्डा [[देहरादून]] का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो इस गंतव्य से 73 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पर्यटक रेल के माध्यम से भी देहरादून से यहाँ तक पहुँच सकते हैं। कलसी के लिए [[नई दिल्ली]] सहित आस-पास के शहरों से बसें उपलब्ध रहती हैं। | कलसी से निकटतम हवाई अड्डा [[देहरादून]] का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो इस गंतव्य से 73 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पर्यटक रेल के माध्यम से भी देहरादून से यहाँ तक पहुँच सकते हैं। कलसी के लिए [[नई दिल्ली]] सहित आस-पास के शहरों से बसें उपलब्ध रहती हैं। |
12:55, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
कलसी उत्तराखण्ड
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विवरण | 'कलसी' उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ सम्राट अशोक का शिलालेख सुरक्षित रखा हुआ है। |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | देहरादून |
भौगोलिक स्थिति | समुद्र स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर। |
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जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून |
क्या देखें | अशोक रॉक ईडिक्ट, आसन बैराज, डक पत्थर |
संबंधित लेख | उत्तराखण्ड, अशोक, ह्वेनसांग
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विशेष | सातवीं सदी में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। |
अन्य जानकारी | भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक 'अशोक रॉक ईडिक्ट' कलसी के अति महत्त्वपूर्ण स्मारक और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। |
कलसी अथवा 'कालसी' उत्तराखण्ड के ज़िला देहरादून की तहसील चकरौता में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मौर्य सम्राट अशोक के चतुर्दश शिलालेख एक चट्टान पर अंकित हैं। सम्भवत: यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित था। महाभारत से भी इस स्थान का सम्बन्ध रहा है। आज कलसी एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
स्थिति
कलसी उत्तराखण्ड के देहरादून ज़िले में समुद्र स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर आदिवासी क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानी जाती है, जो दो नदियों- यमुना नदी और टोंस नदी के संगम पर स्थित है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
इतिहास
महाभारत काल में कलसी का शासक राजा विराट था और उसकी राजधानी विराटनगर थी। अज्ञातवास के समय पांडव रूप बदलकर राजा विराट के यहाँ ही रहे थे। यमुना नदी के किनारे कलसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कलसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ वर्ष पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर इब्राहिम बिन महमूद गजनवी का हमला हुआ।[1]
पर्यटन स्थल
भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक 'अशोक रॉक ईडिक्ट' कलसी के अति महत्त्वपूर्ण स्मारक और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह वह पत्थर है, जिस पर मौर्य सम्राट अशोक के 14वें आदेश को 253 ई. पू. में उत्कीर्ण किया गया था। यह आदेश राजा के बताये गए सुधारों और सलाह का संकलन है, जिसको प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फुट और चौड़ाई 8 फुट है।
कलसी आने वाले पर्यटक आसन बैराज भी देख सकते हैं, जो की विभिन्न लुप्त प्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। आईयूसीएन की रेड डाटा बुक[2] ने यहाँ के पक्षियों को दुर्लभ प्रजाति घोषित किया है। एक उत्सुक पक्षी प्रेमी विभिन्न अद्वितीय पक्षियों की प्रजातियों, जैसे- मल्लार्ड्स, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ओस्प्रेय्स, और स्टेपी ईगल्स को देखने का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक यहाँ 90 प्रतिशत जल पक्षियों एवं 11 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को अक्टूबर से नवम्बर और फ़रवरी से मार्च तक की अवधि में देख सकते हैं। विकासनगर, कलसी में ख़रीदारी करने के लिए एक आदर्श स्थल है। दूसरी ओर डक पत्थर है, जो एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है, जहाँ कैनोइंग, नौकायन, वाटर स्कीइंग, और होवरक्राफ्ट जैसी हर तरह की विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आनन्द लिया जा सकता है।[1]
कैसे पहुँचें
कलसी से निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो इस गंतव्य से 73 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पर्यटक रेल के माध्यम से भी देहरादून से यहाँ तक पहुँच सकते हैं। कलसी के लिए नई दिल्ली सहित आस-पास के शहरों से बसें उपलब्ध रहती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 कालसी- एक ख़ूबसूरत हेमलेट (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 26 जून, 2013।
- ↑ प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ
बाहरी कड़ियाँ
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