"गीता 15:13": अवतरणों में अंतर
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और मैं ही [[पृथ्वी]] में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण करता हूँ और रस स्वरूप अर्थात् अमृतमय < | और मैं ही [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण करता हूँ और रस स्वरूप अर्थात् अमृतमय [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]]<ref>पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है जिसका नाम 'सोम' है।</ref> होकर सम्पूर्ण औंषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ ।।13।। | ||
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11:06, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-13 / Gita Chapter-15 Verse-13
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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