"मंगलोर": अवतरणों में अंतर
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'''मंगलोर''' [[दक्षिण भारत|दक्षिण]]-[[पश्चिम भारत]] के दक्षिण-पश्चिम [[कर्नाटक]] राज्य के दक्षिण कन्नड़ ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। मंगलोर [[अरब सागर]] पर स्थित एक बंदरगाह् भी है। नेत्रवती और गुरपुर नदियों द्वारा निर्मित पश्चजल के पास यह शहर [[मालाबार तट]] के किनारे स्थित पुराना पोताश्रय है। [[कोंकणी भाषा]] इस शहर से जुड़ी हुई है और यहाँ के निवासियों का बड़ा प्रतिशत [[ईसाई]] है। इस शहर को डीज़ल विद्युत केंद्र द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है। मंगलोर में रोमन कैथॅलिक बिशप और लूथरन मिशन का केंद्र है। | '''मंगलोर''' [[दक्षिण भारत|दक्षिण]]-[[पश्चिम भारत]] के दक्षिण-पश्चिम [[कर्नाटक]] राज्य के दक्षिण कन्नड़ ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। मंगलोर [[अरब सागर]] पर स्थित एक बंदरगाह् भी है। नेत्रवती और गुरपुर नदियों द्वारा निर्मित पश्चजल के पास यह शहर [[मालाबार तट]] के किनारे स्थित पुराना पोताश्रय है। [[कोंकणी भाषा]] इस शहर से जुड़ी हुई है और यहाँ के निवासियों का बड़ा प्रतिशत [[ईसाई]] है। इस शहर को [[डीज़ल]] विद्युत केंद्र द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है। मंगलोर में रोमन कैथॅलिक बिशप और लूथरन मिशन का केंद्र है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
13वीं शताब्दी में यह नगर अलूप वंश की राजधानी था। 14वीं शताब्दी में ईरान के खाड़ी व्यापार में संग्लन मंगलोर पर 16वीं शताब्दी के मध्य में [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने क़ब्ज़ा कर लिया। [[मैसूर]] के सुल्तानों के तहत (1763) यह सामरिक महत्त्व का पोत निर्माण केंद्र बन गया, जिस पर 1799 में कई बार की घेराबंदी के बाद [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने क़ब्ज़ा कर लिया। | 13वीं शताब्दी में यह नगर अलूप वंश की राजधानी था। 14वीं शताब्दी में ईरान के खाड़ी व्यापार में संग्लन मंगलोर पर 16वीं शताब्दी के मध्य में [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने क़ब्ज़ा कर लिया। [[मैसूर]] के सुल्तानों के तहत (1763) यह सामरिक महत्त्व का पोत निर्माण केंद्र बन गया, जिस पर 1799 में कई बार की घेराबंदी के बाद [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने क़ब्ज़ा कर लिया। | ||
==उद्योग और व्यापार== | ==उद्योग और व्यापार== | ||
[[नारियल]] के प्रचुर बाग़ों से युक्त यह शहर गाँव जैसा दिखाई देता है। यह एक व्यस्त माल परिवहन केंद्र है; रेत के अवरोधों के कारण जहाज़ यहाँ से पाँच किमी पहले ही लंगर डाल देते है; लेकिन कुद्रेमुख के खनिज अयस्कों की ढुलाई के लिए गहरे जल वाले बंदरगाह का विकास किया गया है। [[मैसूर ज़िला|मैसूर]] और कुर्ग ज़िलों से काजू, कॉफ़ी और [[चंदन]] की लकड़ी यहाँ आती है; [[चावल]], सुपारी, नारियल के रेशे, [[मछली]] और [[इलायची]] यहाँ के स्थानीय उत्पाद हैं। 19वीं शताब्दी में जर्मन बेसल मशिन ने यहाँ सूती वस्त्र की बुनाई और टाइल निर्माण की शुरुआत की और आज भी मंगलोर छत बनाने में काम आने वाले टाइल का प्रमुख उत्पादक है। अन्य उद्योगों में नौका निर्माण, कॉफ़ी प्रसंस्करण, [[मिट्टी]] के बर्तन का निर्मान और ईंट के भट्टे शामिल हैं। उल्लाल अपनगर में होज़री और नारियल के रेशों का उत्पादन होता है। मंगलोर के तटीय क्षेत्र में विशाल बाज़ार स्थित है। | [[नारियल]] के प्रचुर बाग़ों से युक्त यह शहर गाँव जैसा दिखाई देता है। यह एक व्यस्त माल परिवहन केंद्र है; रेत के अवरोधों के कारण जहाज़ यहाँ से पाँच किमी पहले ही लंगर डाल देते है; लेकिन [[कुद्रेमुख]] के खनिज अयस्कों की ढुलाई के लिए गहरे जल वाले बंदरगाह का विकास किया गया है। [[मैसूर ज़िला|मैसूर]] और कुर्ग ज़िलों से काजू, कॉफ़ी और [[चंदन]] की लकड़ी यहाँ आती है; [[चावल]], सुपारी, नारियल के रेशे, [[मछली]] और [[इलायची]] यहाँ के स्थानीय उत्पाद हैं। 19वीं शताब्दी में जर्मन बेसल मशिन ने यहाँ सूती वस्त्र की बुनाई और टाइल निर्माण की शुरुआत की और आज भी मंगलोर छत बनाने में काम आने वाले टाइल का प्रमुख उत्पादक है। अन्य उद्योगों में नौका निर्माण, कॉफ़ी प्रसंस्करण, [[मिट्टी]] के बर्तन का निर्मान और ईंट के भट्टे शामिल हैं। उल्लाल अपनगर में होज़री और नारियल के रेशों का उत्पादन होता है। मंगलोर के तटीय क्षेत्र में विशाल बाज़ार स्थित है। | ||
==यातायात और परिवहन== | ==यातायात और परिवहन== |
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मंगलोर दक्षिण-पश्चिम भारत के दक्षिण-पश्चिम कर्नाटक राज्य के दक्षिण कन्नड़ ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। मंगलोर अरब सागर पर स्थित एक बंदरगाह् भी है। नेत्रवती और गुरपुर नदियों द्वारा निर्मित पश्चजल के पास यह शहर मालाबार तट के किनारे स्थित पुराना पोताश्रय है। कोंकणी भाषा इस शहर से जुड़ी हुई है और यहाँ के निवासियों का बड़ा प्रतिशत ईसाई है। इस शहर को डीज़ल विद्युत केंद्र द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है। मंगलोर में रोमन कैथॅलिक बिशप और लूथरन मिशन का केंद्र है।
इतिहास
13वीं शताब्दी में यह नगर अलूप वंश की राजधानी था। 14वीं शताब्दी में ईरान के खाड़ी व्यापार में संग्लन मंगलोर पर 16वीं शताब्दी के मध्य में पुर्तग़ालियों ने क़ब्ज़ा कर लिया। मैसूर के सुल्तानों के तहत (1763) यह सामरिक महत्त्व का पोत निर्माण केंद्र बन गया, जिस पर 1799 में कई बार की घेराबंदी के बाद अंग्रेज़ों ने क़ब्ज़ा कर लिया।
उद्योग और व्यापार
नारियल के प्रचुर बाग़ों से युक्त यह शहर गाँव जैसा दिखाई देता है। यह एक व्यस्त माल परिवहन केंद्र है; रेत के अवरोधों के कारण जहाज़ यहाँ से पाँच किमी पहले ही लंगर डाल देते है; लेकिन कुद्रेमुख के खनिज अयस्कों की ढुलाई के लिए गहरे जल वाले बंदरगाह का विकास किया गया है। मैसूर और कुर्ग ज़िलों से काजू, कॉफ़ी और चंदन की लकड़ी यहाँ आती है; चावल, सुपारी, नारियल के रेशे, मछली और इलायची यहाँ के स्थानीय उत्पाद हैं। 19वीं शताब्दी में जर्मन बेसल मशिन ने यहाँ सूती वस्त्र की बुनाई और टाइल निर्माण की शुरुआत की और आज भी मंगलोर छत बनाने में काम आने वाले टाइल का प्रमुख उत्पादक है। अन्य उद्योगों में नौका निर्माण, कॉफ़ी प्रसंस्करण, मिट्टी के बर्तन का निर्मान और ईंट के भट्टे शामिल हैं। उल्लाल अपनगर में होज़री और नारियल के रेशों का उत्पादन होता है। मंगलोर के तटीय क्षेत्र में विशाल बाज़ार स्थित है।
यातायात और परिवहन

यहाँ हवाई अड्डा, राष्ट्रीय राजमार्ग और दक्षिण रेलवे की पश्चिम तटीय शाखा का टर्मिनल है।
वायुमार्ग
मंगलौर से 20 किमी दूर बाजपे नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट बैंगलोर, चैन्नई और मुम्बई से नियमित फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
रेलमार्ग
मंगलौर जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से विभिन्न ट्रेनों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
मंगलौर राज्य परिवहन की बसों से कर्नाटक के प्रमुख शहरों से जुड़ा है। बैंगलोर से प्रतिदिन रात्रि में डीलक्स बसें मंगलौर के लिए रवाना होती हैं।
शिक्षण संस्थान
यहाँ कई सरकारी प्रशिक्षण और शिक्षण महाविद्यालय हैं। यहाँ मंगलोर विश्वविद्यालय से संबद्ध एक समाज सेवा संस्थान, सेंट एग्नेस कॉलेज और सेंट एन्स कॉलेज हैं। मंगलोर का संबंध सफल वित्तीय और बैंकिंग संस्थानों से रहा है। इसके उत्तर में स्थित मणिपाल कॉलज ऑफ़ मेडिसिन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। इसके अलावा यहाँ राजीव गाँधी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज़ से संबद्ध कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज; ए.बी.एस.एम. इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंसेज; कर्नाटक रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज और एम.वी. शेट्टी मेमोरियल ट्रस्ट कॉलेज भी हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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