"गीता 18:9": अवतरणों में अंतर
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! जो शास्त्रविहित कर्म करना कर्तव्य है- इसी भाव से आसक्ति और फल का त्याग करके किया जाता है – वही सात्त्विक त्याग माना गया है ।।9।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:39, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-18 श्लोक-9 / Gita Chapter-18 Verse-9
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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