माधुरी बड़थ्वाल

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माधुरी बड़थ्वाल
माधुरी बड़थ्वाल
पूरा नाम माधुरी बड़थ्वाल
जन्म 19 मार्च, 1953
जन्म भूमि पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
अभिभावक पिता- चंद्रमणि उनियाल

माता- दमयंती देवी

पति/पत्नी डॉ. मनुराज शर्मा बड़थ्वाल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लोक संगीत
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री, 2022

नारी शक्ति पुरस्कार, 2019

प्रसिद्धि लोक गायिका
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी लोक गीतों और संगीत में माधुरी बड़थ्वाल को 50 वर्षों के समय का शोध का अनुभव है। इस शोध समय में उन्होंने सैकड़ों बच्चों को संगीत की शिक्षा दी। कई उत्तराखंड के जानेमाने कलाकारों से लेकर अनजान कलाकारों को रिकॉर्ड भी किया।
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माधुरी बड़थ्वाल (अंग्रेज़ी: Madhuri Barthwal, जन्म- 19 मार्च, 1953) उत्तराखंड के लोक संगीत से जुड़ी प्रसिद्ध लोक गायिका हैं। लोक गीतों और लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए भारत सरकार ने डॉक्टर माधुरी बड़थ्वाल को पद्म श्री, 2022 से सम्मानित किया है। माधुरी बड़थ्वाल ऑल इंडिया रेडिओ में पहली महिला संगीतकार के रूप में जानी जाती हैं। इनको वर्ष 2019 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 'नारी शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। माधुरी बड़थ्वाल उत्तराखंड के लोक संगीत के संरक्षण के लिए बरसों से काम कर रही हैं।

परिचय

माधुरी बड़थ्वाल का जन्म 19 मार्च, 1953 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। इनके पिता चंद्रमणि उनियाल एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। माता का नाम श्रीमती दमयंती देवी है। पति का नाम डॉ. मनुराज शर्मा बड़थ्वाल है। माधुरी बड़थ्वाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लैंसडाउन से प्राप्त की थी। 1969 में इन्होंने राजकीय इंटर कालेज लैंसडाउन से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद संगीत प्रभाकर की डिग्री ली।[1]

संगीत प्रशिक्षण

माधुरी बड़थ्वाल के पिता संगीत के अच्छे जानकार थे। अतः उनको बचपन से संगीत से लगाव था। संगीत प्रभाकर की शिक्षा के बाद माधुरी बड़थ्वाल ने इलाहबाद संगीत समिति से संगीत का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद आगरा यूनिवर्सिटी से संगीत में डिग्री हासिल की और साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी व्यक्तिगत माध्यम से करती रहीं। उन्होंने रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से हिंदी में परास्नातक की डिग्री हासिल की। 2007 में माधुरी बड़थ्वाल ने गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

रूढ़िवादी विचारधारा की विरोधी

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल को बचपन से ही संगीत में अगाध रूचि थी। उस समय लोग लड़कियों का गाना-बजाना गलत समझते थे। इसी रूढ़िवादी विचारधारा को ख़त्म करने के लिए उन्होंने मन में निश्चय किया कि महिलाओं को संगीत में आगे बढ़ने के लिए वे स्वयं प्रयास करेंगी। अपनी पढाई जारी रखते हुए उन्होंने आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए भी कार्य किया। इनको ऑल इंडिया रेडिओ नजीबाबाद की प्रथम महिला संगीतकार के रूप में भी जाना जाता है।

आकाशवाणी नजीबाबाद से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'धरोहर' के द्वारा लोकगीत संगीत और लोक गाथाओं का प्रचार व प्रसार किया। महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी विचारधारा का अंत करने के लिए माधुरी बड़थ्वाल ने पारम्परिक मंगल टीमें बनाई। ढोल वादन में पुरुषों के वर्चस्व को चुनौती दी। इस चुनौती भरे जीवन में इस कार्य के लिए उनके पति डॉ. मनुराज शर्मा बड़थ्वाल का भरपूर साथ मिला। 32 वर्ष आकाशवाणी के साथ काम करने के बाद वे चुप नहीं बैठी। उन्होंने लोक संगीत के संरक्षण में अपने अथक प्रयासों को बढ़ाये रखा। मांगल टीमों द्वारा महिलाओं को ढोल वादन में पारंगत किया गया। आज उनके महिलाओं का बैंड एक मिसाल है।[1]

लोक गीतों और संगीत में माधुरी बड़थ्वाल को 50 वर्षों के समय का शोध का अनुभव है। इस शोध समय में उन्होंने सैकड़ों बच्चों को संगीत की शिक्षा दी। कई उत्तराखंड के जानेमाने कलाकारों से लेकर अनजान कलाकारों को रिकॉर्ड भी किया। उन्होंने उत्तराखंड के दुर्लभ वाद्य यंत्रों को दस्तावेज स्वरूप में सहेजने और संजोने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने उत्तराखंड के लोक संगीत को भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ मिलाकर लोक संगीत को एक नया रूप दिया। डॉ. माधुरी बड़थ्वाल अपनी संस्था 'मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर सवर्धन संस्थान' के द्वारा लोक संगीत लोक परम्पराओं और लोक वाद्यों व लोक संस्कृति के संरक्षण में सदा प्रयासरत हैं।

पुरस्कार व सम्मान


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 डॉ माधुरी बड़थ्वाल का जीवन परिचय (हिंदी) devbhoomidarshan.in। अभिगमन तिथि: 30 मई, 2022।

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