नीति नियोजन प्रभाग

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नीति नियोजन प्रभाग भारत के गृह मंत्रालय के अधीन आन्तकरिक सुरक्षा के मुद्दों, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, अंतर्राष्ट्री य प्रसंविदा, द्विपक्षीय संधियों के बारे में नीति निर्धारण और इनसे संबंधित मामलों का कार्य देखता है।

नीति आयोजन और वी.आई.पी. सुरक्षा प्रभाग

  • यह प्रभाग अन्तराष्ट्रीय द्विपक्षीय सुरक्षा विषयों जैसे पारस्परिक विधिक सहयोग संधि, करार, सुरक्षा मामलों संबंधी समझौता ज्ञापन, दक्षेस, बिम्सटेक, आसियान आदि से संबंधित सुरक्षा मुद्दों के बारे में नीतियों/समन्वय संबंधी मामलों को देखता है।
  • यह देश में अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों, महत्वपूर्ण स्थापनाओं आदि की सुरक्षा के बारे में समन्वय को भी देखता है।
  • अपराधकर्ता अथवा सम्भावित अपराधकर्ताओं की कार्य-प्रणाली में, विशेषकर उनकी जो अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, संगठित अपराध और स्वापक द्रव्य आदि के अवैध व्यापार में लिप्त हैं, तकनीकी विकास के साथ विकास और परिवर्तन हुआ है तथा इसने दूसरे देशों में भी विस्तार पा लिया है। तदनुसार मंत्रालय पर राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और ड्रग के अवैध व्यापार, धन-शोधन, जाली नोट, शस्त्रों और विस्फोटकों आदि की तस्करी जैसे अन्य गंभीर अपराधों की रोकथाम के लिए विभिन्न देशों के साथ सुरक्षा संबंधी मुद्दों के बारे में विभिन्न बहुपक्षीय/द्विपक्षीय पहलें कर चुका है और उन पर कार्रवाई कर रहा है।

द्विपक्षीय और बहुपक्षीय पहलें

विधिक ढांचे में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद सहित अपराध का सामना करने हेतु द्विपक्षीय आधार पर भारत और अन्य देशों के मध्य हस्ताक्षरित आपराधिक मामलों में पारस्पररिक विधिक सहयोग संबंधी संधियां, संगठित अपराधों को रोकने के लिए समझौता ज्ञापन/द्विपक्षीय करार, आतंकवाद रोधी/अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी संयुक्त‍ कार्य दल शामिल हैं। इस प्रकार की संधिया/करार आतंकवाद, ड्रग के अवैध व्यापार, धन-शोधन, भारतीय करेंसी नोट के जाली नोट जैसे विभिन्न प्रकार के अपराध के विरुद्ध द्विपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करने की दृष्टि से किए जाते हैं।

आपराधिक मामलों में पारस्पृरिक विधिक सहयोग संधि

  • गृह मंत्रालय अन्वेषण, अभियोजन और अपराध की रोकथाम, सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेज देने, वारंट और अन्य न्यायिक आयोगों का निष्पादन करने और आगमों को खोजने उनका अवरोध, समपहरण या अधिग्रहण करने और अपराध की लिखत के लिए आपसी सहयोग के व्यापक उपाय सुलभ करने की दृष्टि से तैयार किए जाने वाले आपराधिक मामलों में पारस्परिक विधिक सहयोग संधियों को अंतिम रूप देने के लिए नोडल मंत्रालय है।
  • राष्ट्रीय संगठित अपराधों, सीमा पर आतंकवाद, अपराधों और अन्य गंभीर अपराधों जैसे ड्रग का अवैध व्यापार, धन शोधन, जाली करेंसी, शस्त्रों और विस्फोटकों की तस्करी का सामना करने में महत्व रखते हैं। भारत ने अभी तक निम्नलिखित 34 देशों के साथ इन संधियों का परिचालनीकरण किया है:-
ऑस्ट्रेलिया बहरीन बांग्लादेश बेलारूस बुल्गासरिया
बोस्निोया एंड हेरजिगोविना कनाडा मिस्र फ्रांस ईरान
कजाकिस्तान कुवैत मलेशिया मॉरीशस मैक्सिको
म्यांमार मंगोलिया रूस सिंगापुर स्पेन
श्रीलंका तुर्की यूक्रेन संयुक्त अरब अमीरात यूनाइटेड किंगडम
संयुक्त राज्य अमेरिका उज्बेककिस्तान वियतनाम हांगकांग
  • इसके अतिरिक्त, 3 देशों नाम: किर्गिस गणराज्य्, आज़रबाइजान और इंडोनेशिया के साथ संधियाँ हस्तारक्षरित हो चुकी है और इसकी अभिपुष्टि की जानी बाकी है। यह संधियाँ हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा अभिपुष्टि की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात् लागू की जाएगी।
  • फिर भारत ने अन्य सार्क देशों के साथ वर्ष 2008 में आपराधिक मामलों पर एक पारस्पररिक सहायता पर अभिसमय पर हस्तााक्षर किए। तबसे भारत ने अभिसमय की पुष्टि की है। नेपाल, पाकिस्ता‍न और अफ़ग़ानिस्तान द्वारा अभिसमय की अभिपुष्टि किए जाने के उपरान्त यह लागू होगी। अभिसमय का लक्ष्य जांच और अपराध अभियोजित करने में क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना है।

आतंकवाद का सामना करने के लिए संयुक्त कार्यदल का गठन

आतंकवाद का सामना करने, आतंकवाद का सामना करने और राष्ट्रीय संगठित अपराध का सामना करने के लिए सूचना के आदान-प्रदान और अंतरराष्ट्रीसय सहयोग को सुदृढ़ बनाने के लिए संयुक्त कार्य दल के गठन हेतु विदेश मंत्रालय नोडल प्राधिकरण है। पी.पी. प्रभाग द्विपक्षीय सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श करने हेतु भारत और अन्य देशों के बीच आतंकवाद का सामना करने के लिए गठित संयुक्त कार्य दल से संबंधित मुद्दों पर विदेश मंत्रालय के साथ एक अंर्तप्रदेश के रुप में कार्य करता है।

वर्ष 2013 के दौरान उच्च स्तरीय द्विपक्षीय दौरे

  • 10 जनवरी, 2013 को कनाडा के माननीय अप्रवासन मंत्री, नई दिल्ली में माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री, से मिले और उन्हो्ंने पारस्परिक हित के द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार विर्मश किया।
  • 23 जनवरी, 2013 को, कनाडा के उपमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा और कनाडा के उप मंत्री, लोक सुरक्षा ने केन्द्रीय गृह सचिव से भेंट की और भारत एवं कनाडा के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार-विमर्श किया।
  • 4 अप्रैल, 2013 को नई दिल्ली में भारत और आज़रबाइजान के बीच आपराधिक मामलों पर पारस्परिक विधिक सहायता पर संधि पर हस्ताक्षर किए गए। संधि पर भारत सरकार की ओर से माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री और आज़रबाइजान गणराज्य की ओर से माननीय न्याय मंत्री द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
  • 10-12 अप्रैल, 2013 को माननीय गृह मंत्री, के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल ने रूस का दौरा किया और माननीय आंतरिक सुरक्षा मंत्री और माननीय आकस्मिक स्थिति मंत्री के नेतृत्व में रूस सरकार के प्रतिनिधिमण्डल से भेंट की। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार विमर्श किया गया।
  • 16 अप्रैल, 2013 को नई दिल्ली में माननीय रक्षा मंत्री मालद्वीप सरकार और माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार के प्रतिनिधिमण्डल के बीच बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार-विमर्श किया गया।
  • भारत और अमेरिका के बीच द्वितीय होमलैंड सुरक्षा वार्तालाप हेतु जो 21 मई, 2013 को वाशिंगटन में आयोजित किया गया, के लिए 20 मई से 22 मई, 2013 तक माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार के प्रतिनिधिमण्डल ने अमेरिका का दौरा किया। गृह मंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार के प्रतिनिधिमण्डल और माननीय सचिव, होमलैंड सुरक्षा विभाग के नेतृत्व में अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधिमण्डल के बीच वार्तालाप हुआ।
  • 24 जून, 2013 को कार्यवाहक उप सचिव, होमलैंड सुरक्षा विभाग, अमेरिका सरकार ने नई दिल्लीे में माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री और गृह सचिव से भेंट की और भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

ड्रग और संबंधित मामलों का सामना करने पर द्विपक्षीय करार

भारत ने ड्रग से संबंधित मुद्दों पर अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, बुल्गारिया, कम्बोडिया, चीन, क्रोएशिया, सायप्रस, मिस्र, इज़राइल, इटली, कुवैत, लाओस पीडी आर, मॉरीशस, म्यांमार, पोलैंड, कतर, रोमानिया, रूस, तजाकिस्तान, टर्की, यू.ए.ई., यू.एस.ए. और जाम्बिया के साथ द्विपक्षीय करारों पर हस्ताक्षर किया है फिर, ड्रग संबंधी मामलों पर भारत और भूटान, इंडोनेशिया, ईरान, ओमान, पाकिस्तान, यू.एस.ए. और वियतनाम के बीच समझौता पर भी हस्ताक्षर किए गए।

भारत अफ्रीका मंच शिखर-सम्मेलन

प्रथम आई.ए.एफ.एस. अप्रैल, 2008 में हुआ था। इस सम्मेलन का उद्देश्य‍ भारत के अफ्रीका के साथ विनियोजन का और अधिक विस्तार करना तथा पृथक् अफ्रीकी राज्यों के साथ व्यापक और दीर्घकालिक संबंध स्थापित करना था। इस शिखर सम्मेलन का सूत्रपात भारत-अफ्रीका वार्ता का विकास भारत की आवश्यकता की तर्ज पर किया गया है। इस सम्मेलन का औपचारिक परिणामी दस्तावेज एक घोषणा और एक कार्य योजना था। गृह मंत्रालय ने अफ्रीकी देशों के साथ उनके विधि प्रवर्तन अधिकारियों की क्षमता संवर्धन के अलावा उनके साथ द्विपक्षीय संस्थागत तन्त्र स्थापित कर सहयोग प्रस्तावित किया।

वर्ष 2013-14 के दौरान इस कार्यक्रम के अन्तंर्गत निम्नलिखित पाठ्यक्रम चल रहे है-

(i) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, अकादमी ग़ाज़ियाबाद द्वारा साइबर अपराध सहित आर्थिक अपराधों की जांच संबंधी पाठ्यक्रम चलाया गया था।
(ii) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा क्राम्प्रेहेंसिव आपदा जोखिम प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया था।
(iii) सीमा –शुल्क, उत्पाद-शुल्क और स्वापक राष्ट्रीय अकादमी फ़रीदाबाद द्वारा ड्रग-विधि प्रवर्तन पर आधारभूत पाठ्यक्रम संबंधी प्रशिक्षण।

सार्क

  • सार्क की स्थापना देशों के संघ के रूप में 1985 में की गई थी इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया की जनसंख्या के कल्याण को बढ़ावा देना और उनके जीवन स्तर में सुधार करना; आर्थिक विकास को गति प्रदान करना, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास करना; इस क्षेत्र के देशों के मध्यक सम्पर्क सुदृढ़ करना; और अन्त में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकि और वैज्ञानिकी क्षेत्रों में आपसी सहयोग और सहायता को बढ़ावा देना था।
  • सार्क दक्षिण एशिया में सहयोग के लिए एकमात्र क्षेत्रीय संगठन है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में बात-चीत और सहयोग के माध्यम से शान्ति, व्यापार और विकास को बढ़ावा देना है। सार्क सचिवालय काठमांडु (नेपाल) में स्थित है।
  • सामान्यत:, सार्क बैठकें गृह मंत्रियों / गृह सचिवों और आप्रवासन प्राधिकारियों के स्तर पर वार्षिक रूप से किसी एक सार्क देश में आयोजित की जाती हैं। ये बैठकें एस.टी.एम.ओ.डी., एस.डी.एम.ओ.डी. की सार्क बैठकों और पुलिस मामलों में सहयोग संबंधी सार्क सम्मेलन से पूर्व की जाती हैं। इस तरह की पिछली बैठकें वर्ष 2012 में नीचे दिए गए विवरणानुसार आयोजित की गईं थीं:-
    • सार्क आप्रवासन प्राधिकारियों की 5वीं बैठक, सार्क गृह सचिवों की 5वीं बैठक और सार्क गृह मंत्रियों की 5वीं बैठक 24 सितम्बर से 26 सितम्बर, 2012 तक मालद्वीप में हुई थीं। भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व माननीय केन्द्रीय गृहमंत्री द्वारा किया गया था।
    • पुलिस मामलों में सहयोग संबंधी 10वां सार्क सम्मेलन और आतंकवादी अपराध निगरानी डेस्क के सार्क फोकस बिन्दुओं (एस.टी.ओ.एम.डी.) और सार्क नशीली दवा अपराध निगरानी डेस्क (एस.डी.ओ.एम.डी.) की पांचवीं बैठकें 30-31 मई, 2012 तक नई दिल्ली, भारत में आयोजित की गई थी।

एशियाई

दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र एसोसिएशन (एशियाई) ऐसे देशों का समूह है जिसमें दस देश शामिल हैं नाम:- ब्रूनेई दारुसलम, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपीन्स , सिंगापुर, थाइलैंड, और वियतनाम के साथ एम.एल.ए.टीज़ पहले से ही प्रवृत्त हैं। आपराधिक मामलों में परस्पर विधिक सहायता संधि (एम.एल.ए.टी) पर इंडोनेशिया के साथ भारत द्वारा पहले ही वर्ष 2011 में हस्ताक्षर कर दिए गए हैं जिसकी इंडोनेशिया द्वारा अभी संपुष्टि की जानी है।

वी.आई.पी.सुरक्षा अनुभाग

व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करना

  • भारत के संविधान के अंतर्गत कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, मुख्य रूप से यह संबंधित राज्य सरकार का उत्तरदायित्व है कि उस व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करे, जिसके क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत वह व्यक्ति सामान्यक रूप से रहता है।
  • सुरक्षा एजेन्सियों द्वारा धमकी के व्यापक मूल्यांकन के आधार पर सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसी धमकी मुख्य रूप से उग्रवादियों अथवा आंतकवादियों से आनी चाहिए। तथापि उन मामलों पर भी उचित रूप से विचार किया जाता है जहां ऐसी धमकियां संगठित अपराधी माफिया या समूहों से प्राप्त होती हैं।
  • सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के लिए धमकी का आकलन एक सतत प्रक्रिया है और धमकी प्राप्त व्यक्ति के लिए सुरक्षा प्रबन्ध ऐसी धमकी के मूल्यांकन के आधार पर उन्नयनित/अवनत किए/वापिस लिए/जारी रखे जाते हैं।
  • दो समितियों जिसमें सुरक्षा विशेषज्ञ सदस्य हैं, द्वारा अंतिम धमकी के आधार पर धमकी प्राप्त व्यक्तियों को उपलब्ध सुरक्षा की आवधिक समीक्षा की एक प्रणाली विद्यमान है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा धमकी प्राप्त व्यक्तियों और उनके क्रियाकलापों से संबंधित सुरक्षा मुद्दों के बारे में राज्य सरकारों को भी लगातार संवेदनशील किया जाता है। इस संबंध में समय-समय पर संबंधित राज्य‍ सरकार को धमकी की जानकारी संबंधी यथा अपेक्षित परामर्श दिया जाता है।

महत्त्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा

  • यू.एस.ए. में 11 सितम्बर, 2011 को हुए हमले के बाद वर्तमान समय में विमानन क्षेत्र की सुरक्षा पर विशेष बल दिया गया है। अत: इस प्रकार की किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हवाई अड्डों पर के.औ.सु.ब. के अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और आधुनिक सुरक्षा उपकरणों के अर्जन पर सम्यक ध्यान दिया गया है। इसके अतिरिक्त, नागर विमानन मंत्रालय, के.औ.सु.ब. आदि के साथ परामर्श से किसी प्रकार की आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए आपात निर्वाह उपाय भी किए गए हैं। इनके साथ-साथ समय-समय पर देश के सभी नागरिक हवाई अड्डों पर उनके लिए प्रबल धमकी अवबोधन के अनुसार सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए परामर्शी-निर्देश भी जारी किए जाते रहे हैं।
  • देश की महत्त्वपूर्ण स्थापनाओं की सुरक्षा का मूलभूत सरोकार और जिम्मेदारी संबंधित मंत्रालय/विभाग/राज्य सरकार की है तथापि, गृह मंत्रालय केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों के विद्यमान प्रबंधों के आवधिक मूल्यांकन के आधार पर उनको समय-समय पर विभिन्न स्थापनाओं की सुरक्षा आवश्यकताओं संबंधी सलाह देता है। इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण स्थापना के बारे में केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त होने वाली धमकी संबंधी सूचनाओं को भी संबंधित राज्य सरकारों/संघ/राज्य प्रशासनों के साथ तुरन्त साझा किया जाता है तथा उनके सुरक्षा प्रबंधों को और कड़ा करने के उद्देश्य से आवश्ययक परामर्श-निर्देश जारी किए जाते हैं। सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को विशिष्ट जनशक्ति, प्रशिक्षण तथा उपस्कर भी प्रदान करता है।
  • धमकी अवबोधन और संवेदनशीलता के आधार पर, सरकार ऐसे संयंत्रों/स्थापनाओं को ‘क’, ‘ख’ और ‘ग’ श्रेणी में वर्गीकृत करती है। सुरक्षा पक्षों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए इन स्थापनाओं की आवधिक सुरक्षा समीक्षा भी की जाती है।

धार्मिक तीर्थ-मंदिर एवं स्थानों की सुरक्षा

  • देश में धार्मिक तीर्थ-मंदिरों एवं स्थानों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व मुख्यत: संबंधित राज्यं सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन का है तथापि, इनके संबंध में जब भी कोई विशिष्टत जानकारी प्राप्ति होती है तो गृह मंत्रालय संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य् क्षेत्र प्रशासनों को ऐसे धार्मिक तीर्थ-मंदिरों/स्थानों की सुरक्षा के सुदृढ़ीकरण हेतु आवश्यक परामर्शी निर्देश जारी करता है। गृह मंत्रालय सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकारों को विशेषीकृत जन साधन, प्रशिक्षण व उपस्कर भी उपलब्ध कराता है।
  • उपर्युक्त के अतिरिक्त, केन्द्रीय सरकार, संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध पर, महत्वपूर्ण अवसरों जैसे कुम्भ मेला आदि पर प्रबंधों को बढ़ाने के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती भी करती है।
  • महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों/तीर्थ स्थानों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों को सुरक्षा योजनाएं तैयार करने के लिए राज्य स्तररीय सुरक्षा समन्वय समितियों की स्थापना का परामर्श भी दिया गया है और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटनाओं की रोकथाम के लिए ऐसी सुरक्षा योजनाओं के कार्यान्वन और इसके प्रावधानों की निगरानी के लिए कहा गया है।


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