नीतिकथा

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नीतिकथा (अंग्रेज़ी: Fable) एक साहित्यिक विधा है, जिसमें पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों एवं अन्य निर्जीव वस्तुओं को मानव जैसे गुणों वाला दिखाकर उपदेशात्मक कथा कही जाती है। नीतिकथा, पद्य या गद्य में हो सकती है। पंचतन्त्र, हितोपदेश आदि प्रसिद्ध नीति कथाएँ हैं।

  • भारतीय जीवन का प्राकृतिक पदार्थो के साथ इतना घनिष्ट संबध हो गया था कि पशु पक्षियों आदि के उदाहरणों से व्यावहारिक उपदेश देने की प्रवृत्ति वैदिक काल से ही लक्षित होती है।
  • मनुष्य और मछली की कथा ऋग्वेद में प्राप्त होती है। छान्दोग्योपनिषद में भी उद्गीथ श्वान का आख्यान वर्णित है।
  • पुराणों में तो बहुत-सी नीति-कथायें प्राप्त होती हैं। महाभारत में विदुर के मुख से ऐसी ही अनेक कथायें कहलाई गई हैं।
  • तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के भरहुत के स्तूप पर बहुत सी नीति-कथाओं के नाम खुदे हैं।
  • पतंजलि ने अपने महाभाष्य में भी 'अजाकृपाणीय’ और ’काकतालीय’ जेसी लोकोक्तियों का प्रयोग किया है। जैनों और बौद्धों की लिखी हुई नीति-कथायें भी इसी समय की हैं। बौद्ध ग्रन्थ 'जातक संग्रह' 380 ई.पू. में ही विद्यमान था। इसके अतिरिक्त 668 ई. के एक चीनी विश्वकोष में अनेक भारतीय नीति-कथाओं के अनुवाद उपलब्ध होते हैं।
  • इन सब प्रमाणों के आधार पर यह स्पष्ट सिद्ध हो जाता है कि नीति कथायें भारत की ही अपनी वस्तु हैं, जिन्हें अन्य देशों ने उनसे उधार लिया है तथा यह भी ज्ञात होता है कि यह ईसा पूर्व पर्याप्त संख्या में विद्यमान थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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