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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

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जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न

जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जे.एन.यू.), नई दिल्ली की स्थापना 'जेएनयू अधिनियम 1966'[1] के अन्तर्गत भारतीय संसद द्वारा 22 दिसंबर, 1966 में की गई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू को और अधिक सम्मान देने की दॄष्‍टि से विश्वविद्यालय का औपचारिक उद्‍घाटन भारत के तत्कालीन राष्‍ट्रपति वाराहगिरि वेंकट गिरि द्वारा उनके जन्म दिवस के अवसर पर 14 नवम्बर, 1969 को किया गया था। संयोगवश यह वर्ष महात्मा गाँधी का 'जन्मशती वर्ष' भी था।

स्थापना

वर्ष 1969 में 'जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय' की स्थापना देश की सामाजिक ज़रूरतों को समझने और समाज के हर तबके को श्रेष्ठ अकादमिक शिक्षा मुहैया कराने के मकसद से की गई थी। इस संस्थान को माकपा महासचिव प्रकाश करात, माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम यूचुरी, अमेरिका स्थित 'मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी' में फ़ोर्ड फ़ाउण्डेशन के प्रोफ़ेसर अभिजित बनर्जी और दिल्ली स्थित 'विदेशी सेवा संस्थान' के डीन ललित मानसिंह सरीखे देश के कुछ प्रमुख राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और वैज्ञानिकों को उत्पन्न करने का श्रेय हासिल है।

शोध विश्वविद्यालय

जे.एन.यू. मूलत: शोध विश्वविद्यालय है, जो गुणवत्तायुक्त अकादमिक शिक्षक सामने लाने के लिए प्रसिद्ध है। इसका श्रेय अध्यापन और अनुसंधान के बीच सहजीवी सम्बन्धों को दिया जा सकता है। इस प्रमुख विश्वविद्यालय के 10 स्कूलों और तीन केन्द्रों के पोस्ट ग्रेजुएट, एम.फ़िल. और पी.एच.डी. कार्यक्रमों में 6,000 छात्र पंजीकृत हैं। इसके 'स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज' (एसएसएस) ने 'नार्थ-ईस्ट इण्डिया स्टडीज कार्यक्रम' की भी शुरुआत की है। इस विश्वविद्यालय की 2012 से एक मीडिया कोर्स शुरू करने की भी योजना है।

कम ख़र्च पर शिक्षा

यह विश्वविद्यालय बहुत कम ख़र्च पर गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है। एम.ए., एम.एस.सी. या एम.सी.ए. के किसी छात्र को सालाना महज 216 रुपये ही फ़ीस के रूप में देने होते हैं। जबकि एम.फ़िल./पीएच.डी., प्री पीएच.डी. और एम.टेक./पीएच.डी. के छात्रों को सालाना 240 रुपये देने होते हैं। इससे ज्ञात होता है कि यह बहुत ही मामूली फ़ीस है, क्योंकि बहुत से छात्र ऐसे परिवारों से हैं, जहाँ से पहली बार कोई पढ़ने आया है और इनमें से अधिकांश हिन्दी क्षेत्र से हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे निजी संस्थान का ख़र्च उठा सकें।

विशेषताएँ

विश्वविद्यालय ने अंग्रेज़ी भाषा में एक सेमेस्टर वाला एक फ़ाउण्डेशन कोर्स भी शुरू किया है। विश्वविद्यालय की ख़ास बात यह है कि उसे अपने कोर्स में बदलाव करने की आज़ादी है। सोपोरी के अनुसार- "फैकल्टी को उद्योग की ज़रूरतों के मुताबिक़ पाठ्यक्रम में थोड़ा-बहुत परिवर्तन करने की छूट है। शिक्षकों का हमारा अपना पैनल है, जो परिवर्तन को लेकर विचार करता है।" उसके बाद ही परिवर्तित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। वे उस वर्ष सम्बन्धित क्षेत्र में हुए शोधों के अनुरूप पाठ्यक्रम में बदलाव कर सकते हैं। 2012 से विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों-छात्रों का अनुपात 1:30 है। शिक्षकों से आसानी से सम्पर्क किया जा सकता है और कई मामलों में तो शिक्षक-छात्र अनुपात 1:2 है। इसके अलावा लाइब्रेरी देर तक, कभी तो रात 12 बजे तक खुली रहती है। परीक्षा के दिनों में इसका बहुत लाभ होता है। सुरक्षा के मामले में यह परिसर निराश नहीं करता। खाने की जगहें देर तक खुली रहती हैं और विद्यार्थी पूरी आज़ादी से घूमते हैं। विश्वविद्यालय ने अपने सभी 18 छात्रावासों के लिए निजी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएँ ले रखी हैं। 6,000 से ज़्यादा विद्यार्थियों, जिनमें 29 देशों के 110 विदेशी छात्र भी शामिल हैं, की वजह से परिसर में सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम प्रशासन की पहली प्राथमिकता है। इसी साल लड़कियों का एक नया छात्रावास 'शिप्रा' खुल जायेगा, जिसकी क्षमता 500 छात्राओं की है।

विश्‍वविद्यालय के उद्‍देश्य

  • अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना।
  • उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्‍ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्‍ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्‍टिकोण।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में मुख्यत: स्नातकोत्तर शिक्षा एवं अनुसंधान से संबंधित है।
  • विश्वविद्यालय के 10 स्कूल हैं जिनके 36 अध्ययन केन्द्र हैं।
  • इसके अतिरिक्त, इसके तीन स्वतंत्र अध्ययन केन्द्र हैं।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय 36 प्रतिभागी विश्‍वविद्यालयों के एम.एस-सी., जैव-प्रौद्योगिकी, एम.एस-सी., कृषि जैव-प्रौद्योगिकी, एम.वी.एस-सी. (एनिमल) जैव-प्रौद्योगिकी और एम.टेक. जैव-प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्‍त जैव-प्रौद्योगिकी प्रवेश परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है।
  • यह प्रवेश परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर विश्‍वविद्यालय में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाओं के साथ आयोजित की जाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1966 का 53

बाहरी कड़ियाँ

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