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*कहीं अन्यत्र से आकर ये [[वृंदावन]] के पास माधुरीकुंड पर रहने लगे और अपना उपनाम 'माधुरी' रखा।
 
*कहीं अन्यत्र से आकर ये [[वृंदावन]] के पास माधुरीकुंड पर रहने लगे और अपना उपनाम 'माधुरी' रखा।
 
*'वंशीबटमाधुरी', 'केलिमाधुरी', 'उत्कंठामाधुरी' तथा 'वृंदावनमाधुरी' आदि इनकी छोटी-छोटी रचनाएँ हैं, जिनका एक संग्रह प्रकाशित हो चुका है। दो रचनाओं में [[संवत]] 1687 तथा संवत 1699 रचना काल दिया है, अत: इनका समय संवत 1650-1710 तक निश्चित रूप से माना जा सकता है।
 
*'वंशीबटमाधुरी', 'केलिमाधुरी', 'उत्कंठामाधुरी' तथा 'वृंदावनमाधुरी' आदि इनकी छोटी-छोटी रचनाएँ हैं, जिनका एक संग्रह प्रकाशित हो चुका है। दो रचनाओं में [[संवत]] 1687 तथा संवत 1699 रचना काल दिया है, अत: इनका समय संवत 1650-1710 तक निश्चित रूप से माना जा सकता है।
*यह [[चैतन्य सम्प्रदाय|चैतन्य संप्रदाय]] के थे, क्योंकि सभी रचनाओं में [[चैतन्य महाप्रभु|श्री चैतन्य महाप्रभु]] तथा [[रूप गोस्वामी|रूप सनातन]] की वंदना की है।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%B5_%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2 |title=माधुरी माधवदास |accessmonthday= 14 सितम्बर |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref>
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12:51, 14 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण

माधुरी माधवदास (समय संवत 1650-1710) चैतन्य सम्प्रदाय के प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे। ये ब्रज क्षेत्र में आकर वृन्दावन में निवास करने लगे थे।

  • इनका एक अन्य नाम माधव दास भी था और ये कपूर खत्री थे।
  • कहीं अन्यत्र से आकर ये वृंदावन के पास माधुरीकुंड पर रहने लगे और अपना उपनाम 'माधुरी' रखा।
  • 'वंशीबटमाधुरी', 'केलिमाधुरी', 'उत्कंठामाधुरी' तथा 'वृंदावनमाधुरी' आदि इनकी छोटी-छोटी रचनाएँ हैं, जिनका एक संग्रह प्रकाशित हो चुका है। दो रचनाओं में संवत 1687 तथा संवत 1699 रचना काल दिया है, अत: इनका समय संवत 1650-1710 तक निश्चित रूप से माना जा सकता है।
  • यह चैतन्य संप्रदाय के थे, क्योंकि सभी रचनाओं में श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रूप सनातन की वंदना की है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. माधुरी माधवदास (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2015।

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