"गीता 15:10" के अवतरणों में अंतर
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− | शरीर को छोड़कर जाते हुए को अथवा शरीर में स्थित हुए को अथवा विषयों को भोगते हुए को इस प्रकार तीनों गुणों से युक्त हुए को भी अज्ञानी जन नहीं जानते, केवल ज्ञान रूप नेत्रों वाले विवेकशील ज्ञानी ही | + | शरीर को छोड़कर जाते हुए को अथवा शरीर में स्थित हुए को अथवा विषयों को भोगते हुए को इस प्रकार तीनों गुणों से युक्त हुए को भी अज्ञानी जन नहीं जानते, केवल ज्ञान रूप नेत्रों वाले विवेकशील ज्ञानी ही तत्त्व से जानते हैं ।।10।। |
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06:59, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-10 / Gita Chapter-15 Verse-10
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