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# '''लम्बे नारायण'''— नागनेरी से 9 मील पर तिरुक्कलं कुडि ग्राम है। यहाँ के लिए बस आती हैं। यहाँ मंदिर में भगवान परिपूर्ण सुंदर ([[विष्णु]]) की मूर्ति है। लम्बे होने से उनका नाम लम्बे नारायण पड़ गया है। इस अनादि सिद्धि क्षेत्र का माहात्म्य [[वराहपुराण|वाराहपुराण]] में है।
 
# '''छोटे नारायण'''— लम्बे नारायण से 9 मील पर पन्नगुडी ग्राम है। यहाँ पास ही धर्मशाला है। पक्के घाट का सुंदर सरोवर सड़क से लगा है। अद्भुत बात यह कि छोटे नारायण का मंदिर शिव मंदिर है। निजमंदिर में रामलिंगेश्वर विग्रह है। इनकी स्थापना [[महर्षि गौतम]] ने की थी। पार्श्व में पार्वती मंदिर है। मंदिर के बाहरी घेरे में बगीचे में छोटे से मंडप में छोटी सी सुंदर नारायण मूर्ति है। यही छोटे नारायण हैं।  
 
# '''छोटे नारायण'''— लम्बे नारायण से 9 मील पर पन्नगुडी ग्राम है। यहाँ पास ही धर्मशाला है। पक्के घाट का सुंदर सरोवर सड़क से लगा है। अद्भुत बात यह कि छोटे नारायण का मंदिर शिव मंदिर है। निजमंदिर में रामलिंगेश्वर विग्रह है। इनकी स्थापना [[महर्षि गौतम]] ने की थी। पार्श्व में पार्वती मंदिर है। मंदिर के बाहरी घेरे में बगीचे में छोटे से मंडप में छोटी सी सुंदर नारायण मूर्ति है। यही छोटे नारायण हैं।  
# '''पडलूर'''— छोटे नारायण से 9 मील दूर है। यह [[कन्याकुमारी]] के मार्ग से हटकर है। यहाँ पृथक बस में जाना पड़ता है। यहाँ शिवमंदिर में नटराज मूर्ति है। मंदिर के भीतर ही पार्वती मंदिर है। यात्री यहाँ डमरू तथा श्रृंग बजाते हैं<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=150|url=}}</ref>।  
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# '''पडलूर'''— छोटे नारायण से 9 मील दूर है। यह [[कन्याकुमारी]] के मार्ग से हटकर है। यहाँ पृथक् बस में जाना पड़ता है। यहाँ शिवमंदिर में नटराज मूर्ति है। मंदिर के भीतर ही पार्वती मंदिर है। यात्री यहाँ डमरू तथा श्रृंग बजाते हैं<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=150|url=}}</ref>।  
  
  

13:26, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

तोताद्रि, नांगनेर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। इस कस्बे का नाम नांगनेरी है। तिरुनेल्वेली से कन्याकुमारी सीधी बसें भी जाती हैं, पर वहाँ तीर्थ नहीं है। मार्ग के तीर्थों का दर्शन करते हुए भी बसों से जा सकते हैं। यह स्थान तिन्नेवली से 20 मील दूर है। यहाँ मंदिर के पास ही धर्मशाला है।

मुख्य मंदिर

यहां मंदिर में श्रीरामानुजाचार्य की मूल तोताद्रि गद्दी है। इसे मूलपीठ कहते हैं। यहाँ आचार्य का उपदंड, पीठ तथा शंख चक्र मुद्रायें सुरक्षित हैं। बस्ती के एक ओर क्षीराब्धि पुष्करिणी है, इसी से प्रकट मूर्ति मंदिर में है। मंदिर में स्वर्ण मंडित विशाल गरुड़ हैं। निज मंदिरों में शेष के फण-छत्र के नीचे श्रीनारायण विराजमान हैं। यहाँ तैलाभिषेक होता है। यहाँ की मूर्ति अनेक विषौषधियों से बनी है। अभिषेक का तेल एक कुंड में जाता है। इसमें वर्षों से तेल एकत्र होता है। यात्री जितना तेल से अभिषेक कराता है, उसका आधा तेल उसे कुंड से प्रसाद रूप में दिया जाता है। अभिषेक के लिए तेल शुल्क देकर मंदिर से लेना पड़ता है। प्रसाद का तेल अनेक चर्मरोगों तथा वायु के दर्द को लाभ करता है।

अन्य तीर्थ

  1. लम्बे नारायण— नागनेरी से 9 मील पर तिरुक्कलं कुडि ग्राम है। यहाँ के लिए बस आती हैं। यहाँ मंदिर में भगवान परिपूर्ण सुंदर (विष्णु) की मूर्ति है। लम्बे होने से उनका नाम लम्बे नारायण पड़ गया है। इस अनादि सिद्धि क्षेत्र का माहात्म्य वाराहपुराण में है।
  2. छोटे नारायण— लम्बे नारायण से 9 मील पर पन्नगुडी ग्राम है। यहाँ पास ही धर्मशाला है। पक्के घाट का सुंदर सरोवर सड़क से लगा है। अद्भुत बात यह कि छोटे नारायण का मंदिर शिव मंदिर है। निजमंदिर में रामलिंगेश्वर विग्रह है। इनकी स्थापना महर्षि गौतम ने की थी। पार्श्व में पार्वती मंदिर है। मंदिर के बाहरी घेरे में बगीचे में छोटे से मंडप में छोटी सी सुंदर नारायण मूर्ति है। यही छोटे नारायण हैं।
  3. पडलूर— छोटे नारायण से 9 मील दूर है। यह कन्याकुमारी के मार्ग से हटकर है। यहाँ पृथक् बस में जाना पड़ता है। यहाँ शिवमंदिर में नटराज मूर्ति है। मंदिर के भीतर ही पार्वती मंदिर है। यात्री यहाँ डमरू तथा श्रृंग बजाते हैं[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 150 |

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