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*दीदारगंज से 1917 में एक यक्षिणी की सुन्दर मूर्ति प्राप्त हुई। वह मूर्ति अपने हाथ में चमर धारण की हुई है। अतः इसे ''चामरग्राही यक्षिणी'' कहा गया है।  
 
*दीदारगंज से 1917 में एक यक्षिणी की सुन्दर मूर्ति प्राप्त हुई। वह मूर्ति अपने हाथ में चमर धारण की हुई है। अतः इसे ''चामरग्राही यक्षिणी'' कहा गया है।  
 
*विद्वानों के मत में यह मूर्ति मौर्यकालीन है। मूर्ति की रचना बहुत ही सुन्दर तथा इसकी मुद्रा अतीव स्वाभाविक है।  
 
*विद्वानों के मत में यह मूर्ति मौर्यकालीन है। मूर्ति की रचना बहुत ही सुन्दर तथा इसकी मुद्रा अतीव स्वाभाविक है।  
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12:51, 16 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

दीदारगंज एक ऐतिहासिक स्थान जो बिहार प्रांत की राजधानी पटना के पास स्थित है।

  • दीदारगंज से 1917 में एक यक्षिणी की सुन्दर मूर्ति प्राप्त हुई। वह मूर्ति अपने हाथ में चमर धारण की हुई है। अतः इसे चामरग्राही यक्षिणी कहा गया है।
  • विद्वानों के मत में यह मूर्ति मौर्यकालीन है। मूर्ति की रचना बहुत ही सुन्दर तथा इसकी मुद्रा अतीव स्वाभाविक है।
  • मूर्ति में शरीर के अंग-प्रत्यंग का अंकन अत्यंत सजीवता के साथ किया गया है। मूर्ति का ऊपरी भाग वस्त्र रहित है तथा अधो भाग में वह साड़ी पहने है। मूर्ति का एक हाथ खंडित है तथा दूसरे में चमर धारण किए हुए है।
  • मूर्ति गले में मुक्तामाल शोभायमान है, जो पुष्ट वक्ष के ऊपर लहराती हुई लटक रही है। क्षीण कटि तथा स्थूल नितम्बों की गुरुता का अंकन भी विदग्धतापूर्ण है। सम्प्रति यह मूर्ति पटना के संग्रहालय में सुरक्षित है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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