"प्रयोग:कविता बघेल 2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
कविता बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 99: | पंक्ति 99: | ||
-ब्रूगेल | -ब्रूगेल | ||
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग '[[सुकरात]] की [[मृत्यु]]' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है। | ||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग '[[सुकरात]] की [[मृत्यु]]' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है। | ||
{'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2 | {'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2 | ||
पंक्ति 227: | पंक्ति 226: | ||
||प्रिज्म ऐसा यंत्र है जिस पर प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तब यह किरण वर्ग विक्षेपण का गुण प्रदर्शित करती हैं। जिसमें सात [[रंग|रंगों]] (बैनीआहपीनाला) के क्रम में हमें दिखाई देता है। | ||प्रिज्म ऐसा यंत्र है जिस पर प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तब यह किरण वर्ग विक्षेपण का गुण प्रदर्शित करती हैं। जिसमें सात [[रंग|रंगों]] (बैनीआहपीनाला) के क्रम में हमें दिखाई देता है। | ||
{जस्ते की चादर का प्रयोग किस तकनीक में होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-3 | {[[जस्ता|जस्ते]] की चादर का प्रयोग किस तकनीक में होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-3 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लीनोकट | -लीनोकट | ||
पंक्ति 233: | पंक्ति 232: | ||
+ईचिंग | +ईचिंग | ||
-इनग्रेविंग | -इनग्रेविंग | ||
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु (जस्ते की चादर) पर एसिड के साथ उत्कीर्ण की जाती है। | ||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह [[धातु]] ([[जस्ता|जस्ते]] की चादर) पर [[अम्ल|एसिड]] के साथ उत्कीर्ण की जाती है। | ||
{ | {'षडंग' का पहला अंग क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-3 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-प्रमाण | -प्रमाण | ||
पंक्ति 241: | पंक्ति 240: | ||
+रूपभेद | +रूपभेद | ||
-भाव | -भाव | ||
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
रूपभेदा: प्रमाणिनि | |||
अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | |||
{महात्मा गांधीजी की मां का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3 | {[[महात्मा गांधी|महात्मा गांधीजी]] की [[मां]] का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जोधाबाई | -[[जोधाबाई]] | ||
-जानकी बाई | -जानकी बाई | ||
-अवंती बाई | -अवंती बाई | ||
+पुतली बाई | +पुतली बाई | ||
||महात्मा गांधी की मां का नाम पुतली बाई था जो परनामी वैश्य समुदाय से थीं। वे इनके पिता करमचंद की चौथी पत्नी थीं। | ||[[महात्मा गांधी]] की मां का नाम पुतली बाई था जो परनामी वैश्य समुदाय से थीं। वे इनके पिता करमचंद की चौथी पत्नी थीं। इससे सम्बधित अंय महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) गांधीजी का जन्म वर्तमान में [[गुजरात]] के एक तटीय शहर [[पोरबंदर]] नाम स्थान पर [[2 अक्टूबर]], [[1869]] को हुआ था। (2) महात्मा गांधी को 'महात्मा' के नाम से सबसे पहले वर्ष [[1915]] में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया। (3) गांधी जी को 'बापू' ([[गुजराती भाषा]] में इसका अर्थ पिता) के नाम से भी जाना जाता है। (4) [[नेताजी सुभाषचंद्र बोस]] ने [[6 जुलाई]], [[1944]] को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी संदेश में 'राष्ट्रपति' कहकर संबोधित किया। (5) महात्मा गांधी के चार पुत्र क्रमश: थे- हरीलाल गांधी ([[1888]]), मणिलाल गांधी ([[1892]]), रामदास गांधी ([[1897]]) तथा देवदास गांधी ([[1900]])। | ||
अंय महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{कोई नाम, युद्ध या अन्य | {कोई नाम, युद्ध या अन्य तरीक़ा जो किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है, उसे क्या कहते हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-34 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ट्रेडमार्क | +ट्रेडमार्क | ||
पंक्ति 266: | पंक्ति 256: | ||
-ब्रांड | -ब्रांड | ||
-कंपनी | -कंपनी | ||
|| | ||ट्रेडमार्क किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है। ट्रेडमार्क किसी कंपनी का नाम, शब्द, प्रतीक होता है जो उत्पादों पर अंकित होते हैं। किसी भी वस्तु के ट्रेडमार्क का पंजीकरण राष्ट्रीय ट्रेडमार्क कार्यालय द्वारा किया जाता है जिसके लिए शुल्क जमा करना होता है। ट्रेडमार्क्स का प्रयोग करके कोई कंपनी उत्पाद के नकल से बचती है। | ||
पंक्ति 276: | पंक्ति 266: | ||
{'थियोडोर जेरिकॉल्ट' किस कला आंदोलन के अंतर्गत आते | {'थियोडोर जेरिकॉल्ट' किस कला आंदोलन के अंतर्गत आते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-नवशास्त्रीयवाद | -नवशास्त्रीयवाद | ||
+रोमांसवाद | +रोमांसवाद | ||
-यथार्थवाद | -[[यथार्थवाद]] | ||
-प्रभाववाद | -प्रभाववाद | ||
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो | ||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते है। | ||
{परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4 | {परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4 | ||
पंक्ति 296: | पंक्ति 286: | ||
-रणवीर सिंह विष्ट | -रणवीर सिंह विष्ट | ||
-एन.के. खन्ना | -एन.के. खन्ना | ||
+रामचंद्र शुक्ल | +[[रामचंद्र शुक्ल]] | ||
-मदनलाल नागर | -मदनलाल नागर | ||
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात कला समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) कागज की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4 | {सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4 | ||
पंक्ति 310: | पंक्ति 296: | ||
-जीवन का आनन्द | -जीवन का आनन्द | ||
+रस-निष्पत्ति | +रस-निष्पत्ति | ||
|| | ||[[भरत मुनि]] का [[नाट्यशास्त्र]] भारतीय सौन्दर्य-दर्शन का प्राचीनतम ग्रंथ है। जिसमें उन्होंने अपना रस सिद्धांत प्रतिपादित किया है। भावों द्वारा [[रस]] की निष्पति और प्रेक्षक द्वारा उसकी अनुभूति सौन्दर्य का सर्वोच्च स्वरूप कहा गया है। भारतीय मनीषियों ने रस, सौन्दर्य एवं आनन्द को लगभग पर्याप्त माना है। | ||
{आचार्य | {आचार्य [[भरत मुनि]] के अनुसार [[रस|रसों]] की संख्या कितनी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-4 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-दस | -दस | ||
पंक्ति 318: | पंक्ति 304: | ||
-नौ | -नौ | ||
-ग्यारह | -ग्यारह | ||
|| | ||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है। | ||
{ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार कलर होते हैं | {ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] कौन-कौन से होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लाल, हरा, नीला, काला | -[[लाल रंग|लाल]], [[हरा रंग|हरा]], [[नीला रंग|नीला]], [[काला रंग|काला]] | ||
+स्यान, मैजेंटा, | +स्यान, मैजेंटा (रानी रंग), [[पीला रंग|पीला]], काला | ||
-हरा, लाल, पीला, नीला | -[[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], पीला, [[नीला रंग|नीला]] | ||
-नीला, लाल, पीला, काला | -[[नीला रंग|नीला]], लाल, पीला, काला | ||
||ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार | ||ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार [[रंग|कलर]] होते हैं- स्यान (Cyan), मैजेंटा (Magenta), [[पीला रंग|पीला]] (Yellow) और [[काला रंग|काला]] (Black)। कलर प्रिंट के समय [[लाल रंग|लाल]] (Red), [[हरा रंग|हरा]] (Green) और [[नीला रंग|नीला]] (Blue) (RGB) को CYMK में बदल दिया जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) लाल, हरा, नीला [[प्रकाश]] के [[प्राथमिक रंग]] होते हैं। जिन्हें [[कंप्यूटर]] अपनी स्क्रीन पर दिखाता है। (2) कंम्यूटर स्क्रीन पर अच्छा चित्र पाने के लिए 'RGB' को 'CYMK' में परिवर्तित करना बेहतर विकल्प होता है। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{जल-रंग चित्रण में पोत का प्रभाव किस | {जल-रंग चित्रण में पोत का प्रभाव किस काग़ज़ पर अच्छा उभरता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-4 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-चिकना | -चिकना | ||
पंक्ति 337: | पंक्ति 320: | ||
+मोटा | +मोटा | ||
-पतंगी | -पतंगी | ||
||जल-रंग चित्रण | ||जल-रंग चित्रण प्राचीन चित्रण प्रद्धति है। इस माध्यम में चित्रण प्राय: काग़ज़ पर होता है। मोटा और कड़ा काग़ज़ इस चित्रण हेतु उपयुक्त रहता है, जो [[पानी]] को न सोखे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) अधिक खुरदुरा, मध्यम खुरदुरा और चिकना कई प्रकार के धरातलों में निर्मित व्हाट्समैन मार्का काग़ज़ इसके लिए अच्छा माना जाता है। (2) जल-रंग चित्रण के लिए प्राय: सेबल हेयर के ब्रश उपयुक्त रहते हैं। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{षडंग किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-4 | {'षडंग' किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-4 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ चित्रकला | + चित्रकला | ||
पंक्ति 348: | पंक्ति 328: | ||
-वस्त्र | -वस्त्र | ||
-स्थापत्य | -स्थापत्य | ||
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
रूपभेदा: प्रमाणिनि | |||
अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | |||
{अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4 | {[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अब्राहम लिंकन | -अब्राहम लिंकन | ||
पंक्ति 359: | पंक्ति 336: | ||
-बिल क्लिंटन | -बिल क्लिंटन | ||
-जॉर्ज डब्ल्यू बुश | -जॉर्ज डब्ल्यू बुश | ||
||अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन | ||[[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] जॉर्ज वाशिंगटन थे। उन्होंने [[30 अप्रैल]], 1798 को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण किया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं। ध्यातव्य है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का तथा वहां के संविधान के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति लगातार 3 बार से अधिक इस पद पर नहीं रह सकता। | ||
{'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35 | {'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित [[कला]] है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-चीन | -[[चीन]] | ||
+जापान | +[[जापान]] | ||
-कोरिया | -दक्षिण कोरिया | ||
-थाईलैंड | -[[थाईलैंड]] | ||
||'हनिवा टैराकोटा' जापान से संबंधित कला है। हनिया का अर्थ है- मिट्टी का चक्र या गोला। हनिया टैराकोटा कला मिट्टी के घोड़े, योद्धाओं की मूर्तियां, महिला परिचारिकाओं, नर्तक, पक्षियों, जानवरों, नावों, सैन्य उपकरणों आदि की मूर्तियां बनाई जाती थी। | ||'हनिवा टैराकोटा' [[जापान]] से संबंधित [[कला]] है। हनिया का अर्थ है- [[मिट्टी]] का चक्र या गोला। हनिया टैराकोटा कला मिट्टी के घोड़े, योद्धाओं की मूर्तियां, महिला परिचारिकाओं, नर्तक, पक्षियों, जानवरों, नावों, सैन्य उपकरणों आदि की मूर्तियां बनाई जाती थी। | ||
{नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने एक राजनैतिक काल के लिए योगदान किया था। वह कौन-सा काल था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-6 | {नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने एक राजनैतिक काल के लिए योगदान किया था। वह कौन-सा काल था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-6 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अमेरिकन क्रांति | -अमेरिकन क्रांति | ||
-भारत | -[[भारत छोड़ो आंदोलन]] | ||
+ | +फ़्रेंच क्रांति | ||
-द्वितीय विश्व युद्ध | -द्वितीय विश्व युद्ध | ||
||नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने | ||नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने फ़्रेंच क्रांति (French Revolution) के लिए पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में योगदान किया था जबकि अमेरिकन पुनर्जागरण (American Renaissance) 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' से संबंधित है। विश्व युद्ध भी 'उत्तर नवशास्त्रीवाद' तथा आर्किटेक्चर (Architec-ture) से संबंधित है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) नवशास्त्रीयतावादी चित्रकारों ने मुख्य रूप से उदात्तता पर ध्यान दिया। डेविड और इन्ग्रेस इस शैली के प्रतिनिधि कलाकार थे। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
पंक्ति 392: | पंक्ति 367: | ||
-माने एवं एडगर डेगा | -माने एवं एडगर डेगा | ||
-वान आईक बंधु | -वान आईक बंधु | ||
||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में भूरा, हरा, लाल, नारंगी तथा नीला आदि तेज रंगों की प्रमुखता थी। | ||घनवादी चित्रकार पिकासो एवं ब्राक ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था। इनके चित्रों में [[भूरा रंग|भूरा]], [[हरा रंग|हरा]], [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]] तथा [[नीला रंग|नीला]] आदि तेज [[रंग|रंगों]] की प्रमुखता थी। | ||
{प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल जाने जाते हैं | {प्रोफेसर [[रामचंद्र शुक्ल]] किसके लिये जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पारपरिक चित्रकार | -पारपरिक चित्रकार | ||
+समीक्षावादी चित्रकार | +समीक्षावादी चित्रकार | ||
-समीक्षक | -समीक्षक | ||
-फोटोग्राफर | -फोटोग्राफर | ||
||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात कला समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल | ||रामचंद्र शुक्ल एक प्रख्यात [[कला]] समीक्षक थे। इसके साथ ही शुक्ल जी एक चित्रकार और कला लेखक भी थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रामचंद्र शुक्ल [[फ़्राँस]] द्वारा 'जीवन ऑनर फ्रैगानार्ड' सम्मान पाने वाले पहले भारतीय चित्रकार हैं। रामचंद्र शुल्क ने [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के चित्रकला विभाग में अध्यापन का कार्य किया तथा आगे चलकर इस विभाग के विभागाध्यक्ष भी हुए। (2) प्रो. रामचंद्र शुक्ल ने आधुनिक कला-समीक्षावाद, भारतीय चित्रकला शिक्षण पद्धति, रेखावली, कला दर्शन, कला-प्रसंग और पश्चिमी आधुनिक चित्रकार आदि पुस्तकों की भी रचना की। (3) कागज की नाव, आपात काल, अंतिम भोज, चंद्र यात्रा, बैलेट बॉक्स आदि रामचंद्र शुक्ल की प्रमुख चित्र कृतियां हैं। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत प्रतिपादित किया | {पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-हीगल | -हीगल | ||
+क्रोचे | +क्रोचे | ||
-बामगार्टन | -बामगार्टन | ||
-टॉमस एक्विनास | -टॉमस एक्विनास | ||
||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने कला को सहजानुभूति माना है। क्रोचे आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। | ||पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत क्रोचे ने प्रतिपादित किया। क्रोचे ने [[कला]] को सहजानुभूति माना है। क्रोचे आधुनिक काल के महान सौन्दर्यशास्त्रियों में गिना जाता है। 'What is Beauty' की विवेचना करते हुए उसने 'एस्थेटिक' ग्रंथ की रचना की। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) क्रोचे ने कला को तत्त्वत: भाषा माना है और भाषा को तत्त्वत: अभिव्यक्ति। (2) क्रोचे ने अभिव्यक्त के दो विभेद किए हैं- एस्थेटिक सेंस और नेचुरोलिस्टक सेंस। (3) क्रोचे ने अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य को एक माना है। उन्हीं के शब्दों में- अभिव्यक्त एवं सौन्दर्य दो अवधारणाएं नहीं हैं बल्कि एक ही अवधारणा है (Expression and beauty are not two concapts dut a Single concapt)| (4) 'एक्सप्रेशनिस्ट थ्योरी' का सबसे प्रमुख प्रवर्तक क्रोचे था। (5) हीगल की भांति ही क्रोचे ने भी कलाकृति को बौद्धिक माना है। क्रोचे माइकेल एंजेलो के कथन का उल्लेख करता है- "मैं अपने दिमाग से चित्र बनाता हूं, हाथ से नहीं"। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{सर्वप्रथम किसने 'नाट्यशास्त्र' में आठ रसों को बतलाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-5 | {सर्वप्रथम किसने '[[नाट्यशास्त्र]]' में आठ [[रस|रसों]] को बतलाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-आचार्य उद्भट्ट | -आचार्य उद्भट्ट | ||
-आचार्य बाणभट्ट | -[[बाणभट्ट|आचार्य बाणभट्ट]] | ||
+आचार्य भरतमुनि | +[[भरत मुनि|आचार्य भरतमुनि]] | ||
-आचार्य नारायण मुनि | -आचार्य नारायण मुनि | ||
|| | ||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति [[नाट्यशास्त्र]] में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है। | ||
{चंबा की रेखाएं किस रंग से बनाई गई हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-1 | {चंबा की रेखाएं किस रंग से बनाई गई हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-1 | ||
पंक्ति 436: | पंक्ति 401: | ||
||चंबा की रेखाएं, लाल या काले रंग से बनाई गई हैं। इस शैली के चित्रों में कोमल और बारीक रेखाओं में जहांगीर कालीन मुगल शैली की विशेषताओं की छाप दिखती है। | ||चंबा की रेखाएं, लाल या काले रंग से बनाई गई हैं। इस शैली के चित्रों में कोमल और बारीक रेखाओं में जहांगीर कालीन मुगल शैली की विशेषताओं की छाप दिखती है। | ||
{किस-किस रंग के मिलन से | {किस-किस [[रंग]] के मिलन से स्लेटी रंग बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-6 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-काला और हरा | -[[काला रंग]] और [[हरा रंग]] | ||
-काला और नीला | -काला रंग और [[नीला रंग]] | ||
-काला और पीला | -[[काला रंग]] और [[पीला रंग]] | ||
+काला और | +काला रंग और [[सफ़ेद रंग]] | ||
||काला और | ||[[काला रंग]] और [[सफ़ेद रंग]] को मिलाने से स्लेटी रंग बनता है। | ||
{वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं, लेकिन तकनीक | {वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं, लेकिन इसकी तकनीक कहाँ की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-इटालियन | -इटालियन | ||
-मंगोलियन | -मंगोलियन | ||
-ईरानियन | -ईरानियन | ||
+चीनी-जापानी | +चीनी-जापानी | ||
||वॉश तकनीक | ||वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं लेकिन यह तकनीक चीनी-जापानी है। [[भारत]] में इस तकनीक को बंगाल शैली के चित्रकारों ने विकसित किया है। | ||
{भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | {भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-रामचंद्र शुक्ल | -[[रामचंद्र शुक्ल]] | ||
+यशोधर पंडित | +यशोधर पंडित | ||
-कालिदास | -[[कालिदास]] | ||
-भरत | -[[भरत मुनि]] | ||
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- | ||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | ||
रूपभेदा: प्रमाणिनि | |||
अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं। | |||
{रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5 | {रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5 | ||
पंक्ति 468: | पंक्ति 430: | ||
+रैन्डम एक्सेस मेमोरी | +रैन्डम एक्सेस मेमोरी | ||
-रोलिंग एक्सेस मेमोरी | -रोलिंग एक्सेस मेमोरी | ||
-रैपिड | -रैपिड एक्यूरेट मेमोरी | ||
||रैन्डम एक्सेस | ||रैन्डम एक्सेस मेमोरी का संक्षिप्त रूप रैम है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) रैम का प्रयोग लिखने एवं पढ़ने दोनों में किया जा सकता है। (2) यह [[कम्प्यूटर]] की गति बढ़ाने में सहायक होता है। (3) यह काफ़ी महंगा होता है तथा मदरबोर्ड में एकीकृत चिप में स्थित होता है। (3) रीड ओनली मेमोरी का संक्षिप्त रूप रोम है। (4) इसे केवल पढ़ने में प्रयोग किया जा सकता है। (5) यह कम्प्यूटर की गति बढ़ाने में कोई मदद नहीं करता है। (6) यह रैम से सस्ता होता है। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण किया था | {विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-आर.के. नारायण | -[[आर. के. नारायण|आर.के. नारायण]] | ||
-अजित निनान | -अजित निनान | ||
-के.एस. | -के.एस. कुलकर्णी | ||
+आर.के. लक्ष्मण | +[[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] | ||
||विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण ने किया था। गट्टू का करेक्टर पहली बार एशियन पेंट्स के प्रचार में दिखाया गया था। | ||विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट [[आर के लक्ष्मण|आर.के. लक्ष्मण]] ने किया था। गट्टू का करेक्टर पहली बार एशियन पेंट्स के प्रचार में दिखाया गया था। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
12:27, 15 अप्रैल 2017 का अवतरण
|