"प्रयोग:कविता बघेल 2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
| | | | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{विटामिन 'D' किसमें पाया जाता | {[[विटामिन डी|विटामिन 'D']] किसमें पाया जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-152 प्रश्न-31 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मक्खन | -[[माखन|मक्खन]] | ||
-[[यकृत]] | -[[यकृत]] | ||
-[[अंडा]] | -[[अंडा]] | ||
+उपर्युक्त सभी में | +उपर्युक्त सभी में | ||
||विटामिन 'D' का स्त्रोत [[सूर्य]] की किरणें हैं। वास्तव में सूर्य की किरणों के द्वारा विटामिन 'D' का निर्माण हमारी त्वचा (Skin) की कोशिकाओं द्वारा किया जाता है जो कि यहां से निर्मित होकर रुधिर में मुक्त होता है। इसके अलावा, मक्खन, यकृत, अंडों की जर्दी, वृक्क इत्यादि से भी विटामिन D प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है। विटामिन D की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा वयस्कों में | ||[[विटामिन डी|विटामिन 'D']] का स्त्रोत [[सूर्य]] की किरणें हैं। वास्तव में सूर्य की किरणों के द्वारा विटामिन 'D' का निर्माण हमारी त्वचा (Skin) की कोशिकाओं द्वारा किया जाता है जो कि यहां से निर्मित होकर [[रुधिर]] में मुक्त होता है। इसके अलावा, [[माखन|मक्खन]], [[यकृत]], [[अंडा|अंडों]] की जर्दी, [[वृक्क]] इत्यादि से भी विटामिन D प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है। विटामिन D की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा वयस्कों में ओस्टियोमैलेसिया नामक बीमारी हो जाती है। | ||
{चुक्कर और मलेट शब्द का प्रयोग किस खेल में होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-162 प्रश्न-116 | {चुक्कर और मलेट शब्द का प्रयोग किस खेल में होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-162 प्रश्न-116 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[हॉकी]] | -[[हॉकी]] | ||
- | -घुड़दौड़ | ||
+पोलो | +पोलो | ||
-[[गोल्फ]] | -[[गोल्फ]] | ||
||चुक्कर और मलेट शब्दों का प्रयोग पोलो (POLO) खेल में किया जाता है। 'चुक्कर' इस खेल की अवधि के | ||चुक्कर और मलेट शब्दों का प्रयोग पोलो (POLO) खेल में किया जाता है। 'चुक्कर' इस खेल की अवधि के खंडों को प्रदर्शित करता है जबकि मलेट (Mallet) पोलो स्टिक को कहते हैं। | ||
{एक वयस्क में [[रक्त]] की औसत मात्रा क्या होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-121 | {एक वयस्क में [[रक्त]] की औसत मात्रा क्या होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-121 | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
-7 लीटर के लगभग | -7 लीटर के लगभग | ||
-3 लीटर के लगभग | -3 लीटर के लगभग | ||
||एक वयस्क मानव में एक माइक्रोलीटर रक्त में लगभग 4 मिलियन से 6 मिलियन लाल रक्त कोशिकाएं, 5000 से 11,000 | ||एक वयस्क [[मानव शरीर|मानव]] में एक माइक्रोलीटर [[रक्त]] में लगभग 4 मिलियन से 6 मिलियन [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कोशिकाएं]], 5000 से 11,000 [[श्वेत रक्त कोशिका|सफ़ेद रक्त कोशिकाएं]] तथा 1,50,000 से 5,00,000 तक प्लेटलेट्स होती हैं। रक्त का कुल आयतन लगभग 5 लीटर होता हैं। | ||
{ | {स्क्वैश खेल सर्वप्रथम किस देश में खेला गया? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -कनाडा | ||
- | -[[अमेरिका]] | ||
- | +[[इंग्लैंड]] | ||
-मेक्सिको | |||
|| | ||स्क्वैश खेल सर्वप्रथम इंग्लैंड में खेला गया। इस खेल की सर्वोच्च संस्था 'वर्ल्ड स्क्वैश फ़ेडरेशन' है। | ||
{श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल स्थित है | {श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल कहाँ स्थित है?(शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-91 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[नागपुर]] | -[[नागपुर]] | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
-[[पटियाला]] | -[[पटियाला]] | ||
-[[मद्रास]] | -[[मद्रास]] | ||
||श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल [[महाराष्ट्र]] के [[अमरावती]] शहर में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष [[1914]] में की गई थी। यह बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट | ||श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल [[महाराष्ट्र]] के [[अमरावती]] शहर में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष [[1914]] में की गई थी। यह बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट [[1950]] एवं सोसायटी पंजीकरण अधिनियम [[1860]] के तहत पंजीकृत है। इसकी स्थापना वैद्य भाइयों, अनंत कृष्ण वैद्य एवं अंबादास कृष्ण वैद्य ने की थी। | ||
{[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] (Award) कब स्थापित किया गया। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-11 | {[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] (Award) कब स्थापित किया गया। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-11 | ||
पंक्ति 51: | पंक्ति 51: | ||
+[[1985]] | +[[1985]] | ||
-[[1983]] | -[[1983]] | ||
||[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] (Award) वर्ष [[1985]] में स्थापित किया गया। यह पुरस्कार विभिन्न खेलों से | ||[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] (Award) वर्ष [[1985]] में स्थापित किया गया। यह पुरस्कार विभिन्न खेलों से सम्बंधित कोच को उनके उत्कृष्ट कार्य के सम्मान स्वरूप प्रदान किया जाता है। 7 लाख रु. की धनराशि तथा द्रोणाचार्य की प्रतीक मूर्ति पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है। | ||
{"योगाकार्माशु कौशलम" परिभाषा किसने दी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-208 प्रश्न-59 | {"योगाकार्माशु कौशलम" परिभाषा किसने दी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-208 प्रश्न-59 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[गीता |भगवद्गीता]] | +[[गीता|भगवद्गीता]] | ||
-[[महाभारत]] | -[[महाभारत]] | ||
-[[रामायण]] | -[[रामायण]] | ||
-योगसूत्र | -योगसूत्र | ||
||बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम॥(गीता में 'योग' कर्मसु कौशलम की परिभाषा 50 वें श्लोक में की गई है। इसका अर्थ है- समबुद्धियुक्त पुरुष पुण्य और पाप दोनों को इस लोक में ही त्याग देता है अर्थात उनसे मुक्त हो जाता है, इससे (तू) समत्त्वरूप योग में लग जा, समत्त्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात कर्मबंधन से छूटने का उपाय है।) | ||बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम॥ ([[गीता]] में 'योग' कर्मसु कौशलम की परिभाषा 50 वें श्लोक में की गई है। इसका अर्थ है- समबुद्धियुक्त पुरुष पुण्य और पाप दोनों को इस लोक में ही त्याग देता है अर्थात उनसे मुक्त हो जाता है, इससे (तू) समत्त्वरूप योग में लग जा, समत्त्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात कर्मबंधन से छूटने का उपाय है।) | ||
{'लैट' शब्द प्रयोग होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-13 | {'लैट' शब्द प्रयोग होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-13 | ||
पंक्ति 67: | पंक्ति 67: | ||
-कोर्फबॉल | -कोर्फबॉल | ||
-सॉफ्टबॉल | -सॉफ्टबॉल | ||
||[[टेबल टेनिस] के खेल में लूप, वाली, ऐस, फ्लैट, | ||[[टेबल टेनिस]] के खेल में लूप, वाली, ऐस, फ्लैट, किल शॉट, लोडेड, फोरहैंड, वेस्टर्न ग्रिप या शेक हैंड ग्रिप, पेन होल्ड ग्रिप, लैट, चाप, स्पिन, टेबल, ड्यूस, रैली, सर्वर, सर्विस, फ्री हैंड आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। | ||
{एक प्रभावशाली निर्णय करने का लक्षण है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं- | {एक प्रभावशाली निर्णय करने का लक्षण है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-229 प्रश्न-121 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-निष्पक्षता | -निष्पक्षता | ||
पंक्ति 75: | पंक्ति 75: | ||
-विश्वास | -विश्वास | ||
-अच्छा व्यक्तित्व | -अच्छा व्यक्तित्व | ||
||एक प्रभावशाली निर्णय करने के लिए नियमों का पूर्व ज्ञान होना | ||एक प्रभावशाली निर्णय करने के लिए नियमों का पूर्व ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि इससे किसी पक्ष विशेष या कार्य विशेष के अनुचित लाभ या हानि की संभावना खत्म हो जाती है तथा संबंधित गतिविधियों पारदर्शी होती हैं। | ||
{कालक्रम के अनुसार उम्र का आशय क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-204 प्रश्न-23 | {कालक्रम के अनुसार उम्र का आशय क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-204 प्रश्न-23 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+वर्ष, महीना तथा दिन में उम्र की अभिव्यक्ति | +वर्ष, महीना तथा दिन में उम्र की अभिव्यक्ति | ||
- | -हड्डियों तथा दांतों दोनों द्वारा निर्धारित | ||
- | -पोनारंभ के संकेतों द्वारा निर्धारित | ||
-बुद्धि के परीक्षण द्वारा निर्धारित | -बुद्धि के परीक्षण द्वारा निर्धारित | ||
पंक्ति 90: | पंक्ति 90: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-हीमोलिसिस होता है। | -हीमोलिसिस होता है। | ||
+रक्त का थक्का नहीं | +रक्त का थक्का नहीं जमता। | ||
-लाल रुधिराणु परस्पर चिपक जाते हैं। | -लाल रुधिराणु परस्पर चिपक जाते हैं। | ||
-श्वेत रुधिराणु | -श्वेत रुधिराणु कोशाभक्षी हो जाते हैं। | ||
||हीमोफीलिया एक ऐसा विकार है जिसमें सामान्य ढंग से रक्त का थक्का नहीं जम पाता है। इसके लक्षणों में कई बड़ी या गहरी खरोंचे, जोड़ों का दर्द व सूजन, अनपेक्षित रक्तस्त्राव एवं मूत्र या मल में रक्त का शामिल होना होता है। इसका सर्वाधिक प्रभाव 0 से 40 वर्ष की आयु के व्यक्तियों पर अधिक होता है। | ||हीमोफीलिया एक ऐसा विकार है जिसमें सामान्य ढंग से रक्त का थक्का नहीं जम पाता है। इसके लक्षणों में कई बड़ी या गहरी खरोंचे, जोड़ों का दर्द व सूजन, अनपेक्षित रक्तस्त्राव एवं मूत्र या मल में रक्त का शामिल होना होता है। इसका सर्वाधिक प्रभाव 0 से 40 वर्ष की आयु के व्यक्तियों पर अधिक होता है। | ||
पंक्ति 103: | पंक्ति 103: | ||
||'लोना' [[कबड्डी |कबड्डी खेल]] से संबंधित है, इसके लिए दो अंक मिलते हैं। | ||'लोना' [[कबड्डी |कबड्डी खेल]] से संबंधित है, इसके लिए दो अंक मिलते हैं। | ||
{मानव अस्थि-पंजर के घुटने, हाथ और पांव में पाई जाने वाली अस्थियां कहलाती हैं। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-122 | {[[कंकाल|मानव अस्थि-पंजर]] के घुटने, हाथ और पांव में पाई जाने वाली अस्थियां कहलाती हैं। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-122 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-छोटी अस्थियां | -छोटी अस्थियां | ||
पंक्ति 109: | पंक्ति 109: | ||
-असमाकृति अस्थियां | -असमाकृति अस्थियां | ||
-चिपटी अस्थियां | -चिपटी अस्थियां | ||
||[[मांसपेशी]] की कंडरा (Tendon) में पाई जाने वाली अस्थियों को | ||[[मांसपेशी]] की कंडरा (Tendon) में पाई जाने वाली अस्थियों को कंडरास्थियां (Sesamonoid bone) कहते हैं। ये अस्थियां घुटने, हाथ एवं पैर में भी पाई जाती हैं। | ||
{वह बीमारी जिसे मानसिक बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया गया | {वह बीमारी कौन-सी है, जिसे मानसिक बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है?(शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-184 प्रश्न-183 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मधुमेह]] | -[[मधुमेह]] | ||
+[[दमा]] | +[[दमा]] | ||
-टी.बी. | -[[तपेदिक|टी.बी.]] | ||
-[[चेचक]] | -[[चेचक]] | ||
||[[अस्थमा]] या दमा एक एलर्जी जनित रोग है जिसमें श्वसनी नलिकाओं का बार-बार प्रवेगी संकुचन होता है तथा रोगी को नि:श्वसनी कष्टश्वास होता रहता है। 'एलर्जी' एक प्रकार का संवेदन शीलता का गुण है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के शरीर के जीवित कोशिका अथवा ऊतक एलर्जिक वस्तु या परिस्थिति के उपस्थित होने पर अधिक सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया करने लगते हैं। इनमें मनोवैज्ञानिक तनाव कारक भी हो सकते हैं जो [[तंत्रिका तंत्र]] के मध्यम से उत्प्रेरण कर सकते हैं। इन्हीं कारणों से अस्थमा को साइको-सोमैटिक या मनोदैहिक रोग की श्रेणी में रखा गया है। | ||[[अस्थमा]] या [[दमा]] एक एलर्जी जनित रोग है जिसमें श्वसनी नलिकाओं का बार-बार प्रवेगी संकुचन होता है तथा रोगी को नि:श्वसनी कष्टश्वास होता रहता है। 'एलर्जी' एक प्रकार का संवेदन शीलता का गुण है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति के शरीर के जीवित कोशिका अथवा ऊतक एलर्जिक वस्तु या परिस्थिति के उपस्थित होने पर अधिक सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया करने लगते हैं। इनमें मनोवैज्ञानिक तनाव कारक भी हो सकते हैं जो [[तंत्रिका तंत्र]] के मध्यम से उत्प्रेरण कर सकते हैं। इन्हीं कारणों से अस्थमा को साइको-सोमैटिक या मनोदैहिक रोग की श्रेणी में रखा गया है। | ||
{[[1920]] में, वाई.एम.सी.ए. की शुरुआत किसने की- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-93 | {[[1920]] में, वाई.एम.सी.ए. की शुरुआत किसने की- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-93 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अजमेर सिंह | -अजमेर सिंह | ||
-जी.डी. सोंधी | -जी. डी. सोंधी | ||
-पी.एम. जोसेफ | -पी. एम. जोसेफ | ||
+एच.सी. बक | +एच. सी. बक | ||
||वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A) एशिया में शारीरिक शिक्षा के लिए [[चेन्नई]] में स्थापित पहला शिक्षण संस्थान है। [[भारत]] में इसकी स्थापना वर्ष [[1920]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के हैरी क्रो बक (H.C. Buck) द्वारा की गई थी। | ||वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A) [[एशिया]] में शारीरिक शिक्षा के लिए [[चेन्नई]] में स्थापित पहला शिक्षण संस्थान है। [[भारत]] में इसकी स्थापना वर्ष [[1920]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] के हैरी क्रो बक (H. C. Buck) द्वारा की गई थी। | ||
{प्रथम आधुनिक [[ओलंपिक खेल]] कब शुरू हुए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-12 | {प्रथम आधुनिक [[ओलंपिक खेल]] कब शुरू हुए थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-12 | ||
पंक्ति 133: | पंक्ति 133: | ||
-[[1904]] | -[[1904]] | ||
-[[1908]] | -[[1908]] | ||
||[[ओलंपिक खेल]] अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चार वर्षों पर आयोजित होने वाली | ||[[ओलंपिक खेल]] अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चार वर्षों पर आयोजित होने वाली बहुखेल प्रतियोगिता है। आधुनिक ओलंपिक खेल एथेंस में वर्ष [[1896]] में आरंभ किए गए। वर्ष [[2008]] के ओलंपिक खेलों का आयोजन [[चीन]] के बीजिंग तथा वर्ष [[2012]] के ओलंपिक खेल [[ब्रिटेन]] के [[लंदन]] में आयोजित किए गए जबकि वर्ष [[2016]] के ओलंपिक खेलों का आयोजन रियो डि जेनेरियो, [[ब्राजील]] में आयोजित किए गए। | ||
{किस प्रकार का भोजन योगा करने वालों के लिए | {किस प्रकार का भोजन योगा करने वालों के लिए सर्वोत्तम होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-208 प्रश्न-60 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-तामसिक | -तामसिक | ||
पंक्ति 141: | पंक्ति 141: | ||
+सात्विक | +सात्विक | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||सात्विक भोजन योगा करने वालों के लिए | ||सात्विक भोजन योगा करने वालों के लिए सर्वोतम है। योगा ही नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए सात्विक भोजन सर्वोतम है। सात्विक भोजन के पश्चात मन शांत व निर्मल रहता है। | ||
{ओलंपिक खेलों को एकमात्र उद्देश्य के साथ पुनर्जीवित किया गया- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-14 | {ओलंपिक खेलों को एकमात्र उद्देश्य के साथ पुनर्जीवित किया गया- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-14 | ||
पंक्ति 149: | पंक्ति 149: | ||
-प्राचीन खेलों को नया रूप देने के लिए | -प्राचीन खेलों को नया रूप देने के लिए | ||
-बच्चों एवं युवाओं को अधिक कुशल बनाने के लिए | -बच्चों एवं युवाओं को अधिक कुशल बनाने के लिए | ||
||ओलंपिक के | ||ओलंपिक के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं- 1.विश्व के सभी देशों का शारीरिक शिक्षा तथा खेल प्रतियोगिताओं की ओर ध्यान दिलाना। 2.युवाओं के व्यक्तिगत, चरित्र, नागरिकता के गुणों एवं स्वास्थ्य का विकास करना। 3.खिलाड़ियों में अच्छी आदतों का निर्माण करना, ताकि वे खुशहाल तथा स्वस्थ जीवन बिता सकें। 4.खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास करना। 5.अंतर्राष्ट्रीय मैत्री भावना व शांति का विकास करना 6.[[जाति]], [[धर्म]] एवं नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना। | ||
.विश्व के सभी देशों का शारीरिक शिक्षा तथा खेल प्रतियोगिताओं की ओर ध्यान दिलाना। | |||
.युवाओं के व्यक्तिगत, चरित्र, नागरिकता के गुणों एवं स्वास्थ्य का विकास करना। | |||
.खिलाड़ियों में अच्छी आदतों का निर्माण करना, ताकि वे खुशहाल तथा स्वस्थ जीवन बिता सकें। | |||
.खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास | |||
.अंतर्राष्ट्रीय मैत्री भावना व शांति का विकास करना.जाति, धर्म एवं नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना। | |||
{ | {फार्टलेक प्रशिक्षण बढ़ाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-230 प्रश्न-122 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ताकत | -ताकत | ||
पंक्ति 162: | पंक्ति 157: | ||
-लचीलापन | -लचीलापन | ||
-फुर्तीलापन | -फुर्तीलापन | ||
||फॉर्टलेक प्रशिक्षण विधि का प्रयोग सहनक्षमता विकसित करने के लिए किया जाता है। इस विधि को गोस्टाहोमर ने [[1937]] ई. में विकसित किया था। ' | ||फॉर्टलेक प्रशिक्षण विधि का प्रयोग सहनक्षमता विकसित करने के लिए किया जाता है। इस विधि को गोस्टाहोमर ने [[1937]] ई. में विकसित किया था। 'फार्टलेक' स्वीडिश भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है 'गतिज या गति खेल।' यह एक ऐसा प्रशिक्षण तरीक़ा है जो निरंतर प्रशिक्षण को अंतराल प्रशिक्षण के साथ मिश्रित करता है। | ||
{निम्न में से किसका संदर्भ ऐस्थेनिक बॉडी टाइप से है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-204 प्रश्न-24 | {निम्न में से किसका संदर्भ ऐस्थेनिक बॉडी टाइप से है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-204 प्रश्न-24 | ||
पंक्ति 168: | पंक्ति 163: | ||
-छोटा, मोटा | -छोटा, मोटा | ||
-मांसपेशी | -मांसपेशी | ||
+पतला, छिछले | +पतला, छिछले छाती वाला | ||
-असामान्य शरीर | -असामान्य शरीर | ||
||एस्थेनिक (Asthenic type) बॉडी में कद लंबा परंतु शरीर दुबला-पतला होता है। इनमें क्षय रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है। | ||एस्थेनिक (Asthenic type) बॉडी में कद लंबा परंतु शरीर दुबला-पतला होता है। इनमें [[क्षय रोग]] विकसित होने की संभावना अधिक होती है। | ||
{यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के अनुसार----------किस्म के व्यक्ति आमतौर पर कमज़ोर, आलसी, अक्रिय, सुस्त और निस्तेज होते हैं तथा अपना काम काफी धीमी गति से करते हैं। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-184 प्रश्न-184 | |||
{यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+निरुत्साहित | +निरुत्साहित | ||
पंक्ति 179: | पंक्ति 173: | ||
-गुस्सैल | -गुस्सैल | ||
-विषादग्रस्त | -विषादग्रस्त | ||
||हिप्पोक्रेट्स ने विचारों व व्यवहारों पर आधारित गुणों को व्यक्तित्व के वर्गीकरण का आधार बनाया। उन्होंने व्यक्तियों को चार समुदाय यथा निरुत्साह (Phlematic), प्रसन्नचित (Sanguine), गुस्सैल (Choleric) एवं विषादग्रस्त (Melancholic) में विभाजित किया है। निरुत्साह किस्म के व्यक्ति साधारण: | ||हिप्पोक्रेट्स ने विचारों व व्यवहारों पर आधारित गुणों को व्यक्तित्व के वर्गीकरण का आधार बनाया। उन्होंने व्यक्तियों को चार समुदाय यथा निरुत्साह (Phlematic), प्रसन्नचित (Sanguine), गुस्सैल (Choleric) एवं विषादग्रस्त (Melancholic) में विभाजित किया है। निरुत्साह किस्म के व्यक्ति साधारण: कमज़ोर, आलसी, अक्रिय-सुस्त व निस्तेज होते हैं तथा अपना काम धीमी गति से करते हैं। | ||
{इंदिरा गांधी शारीरिक शिक्षा व खेल विज्ञान संस्थान स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-94 | {'इंदिरा गांधी शारीरिक शिक्षा व खेल विज्ञान संस्थान' स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-94 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मुंबई]] | -[[मुंबई]] | ||
पंक्ति 189: | पंक्ति 183: | ||
||इंदिरा गांधी शारीरिक शिक्षा व खेल विज्ञान संस्थान [[नई दिल्ली]] में स्थित है। दिल्ली प्रशासन द्वारा इसकी स्थापना [[3 अगस्त]], [[1987]] को की गई थी। | ||इंदिरा गांधी शारीरिक शिक्षा व खेल विज्ञान संस्थान [[नई दिल्ली]] में स्थित है। दिल्ली प्रशासन द्वारा इसकी स्थापना [[3 अगस्त]], [[1987]] को की गई थी। | ||
{[[ओलंपिक खेल | {[[ओलंपिक खेल]] हर बार कितने समय बाद होते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-13 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-तीसरे वर्ष | -तीसरे वर्ष | ||
पंक्ति 199: | पंक्ति 193: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-नेती | -नेती | ||
- | -कपालभाति | ||
-धौती | -धौती | ||
+कुंभक | +कुंभक | ||
||कुंभक सुधि क्रिया नहीं है। 6 प्रमुख सुधि क्रियाएं हैं- नेती, धौती, नौली, बस्ती, तारक, कपालभाति। कुंभक | ||कुंभक सुधि क्रिया नहीं है। 6 प्रमुख सुधि क्रियाएं हैं- नेती, धौती, नौली, बस्ती, तारक, कपालभाति। कुंभक अर्थात श्वास को सप्रयास रोके रहना दो प्रकार से संभव है- 1.बहिर्कुंभक- अर्थात श्वास को बाहर निकालकर बाहर ही रोके रखना। 2. अंत:कुंभक-अर्थात श्वास को अंदर खींचकर अंदर ही रोके रखना। | ||
{[[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] के झंडे पर पांच अलग-अलग रंग के आपस में मिले हुए छल्ले दर्शाते हैं | {[[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] के झंडे पर पांच अलग-अलग रंग के आपस में मिले हुए छल्ले क्या दर्शाते हैं? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+दुनिया की एकता | +दुनिया की एकता | ||
पंक्ति 210: | पंक्ति 204: | ||
-अंतर्राष्ट्रीय सहयोग | -अंतर्राष्ट्रीय सहयोग | ||
-आदमी की खेल भावना | -आदमी की खेल भावना | ||
||ओलंपिक ध्वज वर्ष [[1914]] में बैरेन डी कुबर्टिन द्वारा बनाए गए मॉडल पर आधारित है। इसे प्रथम बार वर्ष [[1920]] के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक में फहराया गया था। यह [[सफेद रंग| | ||ओलंपिक ध्वज वर्ष [[1914]] में बैरेन डी कुबर्टिन द्वारा बनाए गए मॉडल पर आधारित है। इसे प्रथम बार वर्ष [[1920]] के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक में फहराया गया था। यह [[सफेद रंग|सफ़ेद]] रेशम का बना होता है। ध्वज के बीच में एक दूसरे से जुड़े विभिन्न रंगों के पांच छल्ले होते हैं जो दुनिया की एकता दर्शाते हैं। | ||
{दीवार को | {दीवार को धकेलना किसका उदाहरण है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-230 प्रश्न-123 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+आइसोमेट्रिक व्यायाम | +आइसोमेट्रिक व्यायाम | ||
-आइसोटोनिक व्यायाम | -आइसोटोनिक व्यायाम | ||
-आइसोकाईनेटिक व्यायाम | -आइसोकाईनेटिक व्यायाम | ||
-ईसैंट्रिक व्यायाम | -ईसैंट्रिक व्यायाम | ||
||आइसोमेट्रिक सकुंचन में पेशी में तो संकुचन होता है लेकिन पेशी की लंबाई में कोई परिवर्तन नहीं होता। यह स्थिर संकुचन भी कहा जाता है क्योंकि इसमें संधि का कोण नहीं बललता। उदाहरण के लिए दीवार के विरुद्ध वहां के लंबाई में अथवा धकेलने में भार को लटकाए अथवा उठाए रहना अथवा प्रतिरोध को समाप्त किए बिना किसी भारी | ||आइसोमेट्रिक सकुंचन में पेशी में तो संकुचन होता है लेकिन पेशी की लंबाई में कोई परिवर्तन नहीं होता। यह स्थिर संकुचन भी कहा जाता है क्योंकि इसमें संधि का कोण नहीं बललता। उदाहरण के लिए दीवार के विरुद्ध वहां के लंबाई में अथवा धकेलने में भार को लटकाए अथवा उठाए रहना अथवा प्रतिरोध को समाप्त किए बिना किसी भारी वज़न को उठाए रहना। | ||
{दर्शनशास्त्री जिन्हें आदर्शवाद का जन्मदाता कहा जाता है | {वह दर्शनशास्त्री कौन हैं, जिन्हें आदर्शवाद का जन्मदाता कहा जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-204 प्रश्न-25 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अरस्तू]] | -[[अरस्तू]] | ||
पंक्ति 226: | पंक्ति 220: | ||
+[[प्लेटो]] | +[[प्लेटो]] | ||
-डार्विन | -डार्विन | ||
||[[प्लेटो]] एक यूनानी दार्शनिक थे जिन्हें आदर्शवाद का जन्मदाता कहा जाता है। ये [[सुकरात]] के शिष्य तथा [[अरस्तू]] के गुरु थे। रिपब्लिक, द लॉज (The Laws), द | ||[[प्लेटो]] एक यूनानी दार्शनिक थे, जिन्हें आदर्शवाद का जन्मदाता कहा जाता है। ये [[सुकरात]] के शिष्य तथा [[अरस्तू]] के गुरु थे। रिपब्लिक, द लॉज (The Laws), द स्टेट्समैन आदि इनकी प्रमुख पुस्तकें है। | ||
{8वें दक्षेस खेल समारोह में सर्वाधिक पदक | {8वें दक्षेस खेल समारोह में सर्वाधिक पदक जीतने वाला देश कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-152 प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[नेपाल]] | -[[नेपाल]] | ||
पंक्ति 234: | पंक्ति 228: | ||
-[[पाकिस्तान]] | -[[पाकिस्तान]] | ||
-[[पेशावर]] | -[[पेशावर]] | ||
||8वें दक्षिण एशियाई खेलों (दक्षेस या सैफ खेल) का आयोजन वर्ष [[1999]] में [[काठमांडू]], [[नेपाल]] में किया गया था। इसमें सार्क देशों के कुल 1069 एथलीटों ने बारह खेलों में भाग लिया था। पदक तालिका में [[भारत]] कुल 197 पदकों (102 स्वर्ण, 58 रजत एवं 37 कांस्य) के साथ प्रथम स्थान पर था। | ||8वें दक्षिण एशियाई खेलों (दक्षेस या सैफ खेल) का आयोजन वर्ष [[1999]] में [[काठमांडू]], [[नेपाल]] में किया गया था। इसमें सार्क देशों के कुल 1069 [[एथलेटिक्स|एथलीटों]] ने बारह खेलों में भाग लिया था। पदक तालिका में [[भारत]] कुल 197 पदकों (102 स्वर्ण, 58 रजत एवं 37 कांस्य) के साथ प्रथम स्थान पर था। | ||
{[[इंसुलिन]] का स्त्राव | {[[इंसुलिन]] का स्त्राव किसके द्वारा किया होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-161 प्रश्न-113 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[यकृत]] | -[[यकृत]] | ||
पंक्ति 242: | पंक्ति 236: | ||
+[[अग्न्याशय]] | +[[अग्न्याशय]] | ||
-अवटु (थाइरॉइड) | -अवटु (थाइरॉइड) | ||
||[[इंसुलिन]] का स्त्राव [[अग्न्याशय]] द्वारा किया जाता है। अग्न्याशय [[मानव शरीर|शरीर]] के रक्त | ||[[इंसुलिन]] का स्त्राव [[अग्न्याशय]] द्वारा किया जाता है। अग्न्याशय [[मानव शरीर|शरीर]] के रक्त ग्लूकोज़ को नियंत्रित करता है। [[अग्न्याशय]] अंत:स्त्रावी एवं ब्राह्य स्त्रावी दोनों प्रकार की ग्रंथि है। इसलिए इसे 'मिश्रित ग्रंथि' भी कहते हैं। | ||
{निम्नलिखित खाद्य पदार्थों में से किसमें | {निम्नलिखित खाद्य पदार्थों में से किसमें कैलोरी सबसे ज्यादा मात्रा में पाई जाती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-176 प्रश्न-123 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-स्किंड मिल्क | -स्किंड मिल्क | ||
+मक्खन | +[[माखन|मक्खन]] | ||
-[[दूध|संघनित दूध]] | -[[दूध|संघनित दूध]] | ||
-[[दही]] | -[[दही]] | ||
{निम्नलिखित में से किस तरह के कार्य में प्रति घंटे सबसे ज्यादा मात्रा में | {निम्नलिखित में से किस तरह के कार्य में प्रति घंटे सबसे ज्यादा मात्रा में कैलोरी की खपत होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-184 प्रश्न-185 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+दौड़ना | +दौड़ना | ||
पंक्ति 259: | पंक्ति 251: | ||
-लॉन टेनिस (एकल) खेलना | -लॉन टेनिस (एकल) खेलना | ||
-तैराकी (मध्य चाल से) | -तैराकी (मध्य चाल से) | ||
{शारीरिक क्रियाओं के मनोवैज्ञानिक आधार का अध्ययन है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-95 | {शारीरिक क्रियाओं के मनोवैज्ञानिक आधार का अध्ययन है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-197 प्रश्न-95 | ||
पंक्ति 266: | पंक्ति 257: | ||
-शिक्षा मनोविज्ञान | -शिक्षा मनोविज्ञान | ||
+खेल मनोविज्ञान | +खेल मनोविज्ञान | ||
-अपराध विज्ञान ( | -अपराध विज्ञान (क्रिमिनोलॉज़ी) | ||
||खेल मनोविज्ञान शारीरिक क्रियाओं के मनोवैज्ञानिक आधार का अध्ययन है। यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जो खेल के मैदान पर मानव व्यवहार से जुड़ी है। अभ्यास और प्रतियोगिता दोनों ही स्थितियों में | ||खेल मनोविज्ञान शारीरिक क्रियाओं के मनोवैज्ञानिक आधार का अध्ययन है। यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जो खेल के मैदान पर मानव व्यवहार से जुड़ी है। अभ्यास और प्रतियोगिता दोनों ही स्थितियों में यह उसके प्रदर्शन में गुणात्मक सुधार लाती है। | ||
{शब्द "डबल फाल्ट" प्रयोग | {शब्द "डबल फाल्ट" (Double fault) किस खेल में प्रयोग होता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-203 प्रश्न-14 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[टेबल टेनिस]] | -[[टेबल टेनिस]] | ||
-वॉलीबॉल | -वॉलीबॉल | ||
+[[टेनिस]] | +[[टेनिस]] | ||
-[[बैडमिंटन]] | -[[बैडमिंटन]] | ||
||शब्द 'डबल फाल्ट' का प्रयोग [[टेनिस|टेनिस खेल]] में होता है। यह सर्विस करने वाले खिलाड़ी पर दूसरी सर्विस गलत होने पर लगाया जाता है एवं पेनाल्टी स्वरूप एक प्वॉइंट कम कर | ||शब्द 'डबल फाल्ट' (Double fault) का प्रयोग [[टेनिस|टेनिस खेल]] में होता है। यह सर्विस करने वाले खिलाड़ी पर दूसरी सर्विस गलत होने पर लगाया जाता है एवं पेनाल्टी स्वरूप एक प्वॉइंट कम कर दिया जाता है। | ||
{निम्न में से कौन-सा लक्षण हठयोग से | {निम्न में से कौन-सा लक्षण हठयोग से सम्बंधित नहीं है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-209 प्रश्न-62 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मस्तिष्क संतुलन | -[[मस्तिष्क]] का संतुलन | ||
-प्राणायाम | -प्राणायाम | ||
-आसन | -आसन | ||
पंक्ति 285: | पंक्ति 276: | ||
||हठयोग शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए विश्व की प्राचीनतम प्रणालियों में से एक है। मस्तिष्क संतुलन, प्राणायाम एवं आसन हठयोग के अंतर्गत आते हैं किंतु सुधि क्रिया हठयोग से संबंधित नहीं है। | ||हठयोग शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए विश्व की प्राचीनतम प्रणालियों में से एक है। मस्तिष्क संतुलन, प्राणायाम एवं आसन हठयोग के अंतर्गत आते हैं किंतु सुधि क्रिया हठयोग से संबंधित नहीं है। | ||
{ग्रीष्म ओलंपिक [[2000]] के खेल का स्थान था | {[[ओलंपिक खेल|ग्रीष्म ओलंपिक]] [[2000]] के खेल का स्थान कौन-सा था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-16 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-एथेंस | -एथेंस | ||
पंक्ति 291: | पंक्ति 282: | ||
+[[सिडनी]] | +[[सिडनी]] | ||
-सियोल | -सियोल | ||
||ग्रीष्म ओलंपिक [[2000]] के खेल का स्थान सिडनी था। ग्रीष्म ओलंपिक | ||[[ओलंपिक खेल|ग्रीष्म ओलंपिक]] [[2000]] के खेल का स्थान [[सिडनी]] था। [[ओलंपिक 2016|ग्रीष्म ओलंपिक 2016]] के खेल का स्थान रियो डी जेनेरियो है एवं वर्ष 2020 का ओलंपिक टोक्यो ([[जापान]]) में होगा। | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा कम-से कम प्रशिक्षणीय है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-230 प्रश्न-124 | {निम्नलिखित में से कौन-सा कम-से-कम प्रशिक्षणीय है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-230 प्रश्न-124 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ताकत | -ताकत | ||
पंक्ति 306: | पंक्ति 297: | ||
-300 ई. से 1230 ई. | -300 ई. से 1230 ई. | ||
-300 ई. तक | -300 ई. तक | ||
||1000 से 600 ई.पू. तक के समय को [[भारतवर्ष]] में महाकाव्य काल माना गया है। इस काल में [[रामायण]], [[महाभारत]], [[उपनिषद्]] जैसे [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना हुई थी। | ||1000 से 600 ई. पू. तक के समय को [[भारतवर्ष]] में 'महाकाव्य काल' माना गया है। इस काल में [[रामायण]], [[महाभारत]], [[उपनिषद्]] जैसे [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना हुई थी। | ||
{माइटोकॉन्ड्रिया यह भी कहलाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-152 प्रश्न-34 | {माइटोकॉन्ड्रिया यह भी कहलाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-152 प्रश्न-34 | ||
पंक्ति 314: | पंक्ति 305: | ||
-प्लाज्मा झिल्ली | -प्लाज्मा झिल्ली | ||
-सेंट्रोसोम | -सेंट्रोसोम | ||
||माइटोकॉन्ड्रिया या सूत्रकणिका कोशिकाओं में पाई जाने वाली झिल्लीयुक्त संरचना होती है। सूत्रकणिका का वायवीय श्वसन से संबंध होता है। इनमें कोशिकीय ऊर्जा | ||माइटोकॉन्ड्रिया या सूत्रकणिका कोशिकाओं में पाई जाने वाली झिल्लीयुक्त संरचना होती है। सूत्रकणिका का वायवीय श्वसन से संबंध होता है। इनमें कोशिकीय ऊर्जा ए.टी.पी. के रूप में उत्पादित होती है। इस कारण से सूत्रकणिका को कोशिका का शक्ति गृह या ऊर्जा केंद्र कहते हैं। | ||
{' | {'फ़ास्ट ब्रेक' शब्द का प्रयोग किस खेल में किया जाता हैं। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-161 प्रश्न-114 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[बास्केटबॉल]] | +[[बास्केटबॉल]] | ||
पंक्ति 322: | पंक्ति 313: | ||
-वॉलीबाल | -वॉलीबाल | ||
-[[टेनिस]] | -[[टेनिस]] | ||
||' | ||'फ़ास्ट ब्रेक' अथवा तेज़ आक्रमण शब्द का प्रयोग [[बास्केटबॉल]] में किया जाता हैं। आक्रमण की इस शैली में विरोधी की रक्षा पंक्ति को तेज़ी से भेदने का प्रयास किया जाता है। आक्रमण की शीघ्रता ही इसका मुख्य आधार होता है। | ||
13:19, 29 दिसम्बर 2016 का अवतरण
|