"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[उज्जयिनी]] | -[[उज्जयिनी]] | ||
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||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right| | ||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right|90px|शिव]]'कायावरोहन' [[गुजरात]] में स्थित एक [[ऐतिहासिक स्थान]] है, जिसका सम्बन्ध भगवान [[शिव]] से बताया गया है। यह स्थान [[गुजरात]] के [[बड़ौदा]] नगर से 16 मील (लगभग 25.6 कि.मी.) दक्षिण-पूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध नगर [[दभोई]] में स्थित है। [[गाँधीनगर]] से यह स्थान लगभग 100 किलोमीटर दूर पड़ता है। [[कायावरोहन]] का आधुनिक नाम 'कारवण' है। माना गया है कि भगवान शिव का [[लकुलीश|लकुलीश अवतार]] इसी स्थान पर हुआ था। लकुलीश [[हिन्दू धर्म]] के प्रमुख [[देवता|देवताओं]] में से एक भगवान [[शिव]] के 24वें [[अवतार]] माने गये हैं। इन्होंने [[पाशुपत संप्रदाय|पाशुपत शैव धर्म]] की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कायावरोहन]] | ||
{'[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' किस महापुरुष के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है?(भारतकोश) | {'[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' किस महापुरुष के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है?(भारतकोश) | ||
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-[[शचीन्द्रनाथ सान्याल]] | -[[शचीन्द्रनाथ सान्याल]] | ||
-[[मास्टर सूर्यसेन]] | -[[मास्टर सूर्यसेन]] | ||
||[[चित्र:Swami Vivekanand.jpg|right| | ||[[चित्र:Swami Vivekanand.jpg|right|90px|स्वामी विवेकानन्द]]'स्वामी विवेकानन्द' एक युवा संन्यासी के रूप में 'भारतीय संस्कृति' की सुगन्ध विदेशों में बिखेरने वाले [[साहित्य]], [[दर्शन]] और [[इतिहास]] के प्रकाण्ड विद्वान थे। [[स्वामी विवेकानन्द]] का मूल नाम 'नरेंद्रनाथ दत्त' था, जो कि आगे चलकर विवेकानन्द जी के नाम से विख्यात हुए। कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) के एक कुलीन परिवार में जन्मे नरेंद्रनाथ चिंतन व क्रम, [[भक्ति]] व तार्किकता, भौतिक एवं बौद्धिक श्रेष्ठता के साथ-साथ [[संगीत]] की प्रतिभा का भी एक विलक्षण संयोग थे। [[भारत]] में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को '[[राष्ट्रीय युवा दिवस]]' के रूप में मनाया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी विवेकानन्द]] | ||
{'अपधर्मी को अपधर्म, परम्परावादी को [[धर्म]] किंतु इत्र विक्रेता के [[हृदय]] को [[गुलाब]] पंखुड़ी का पराग प्रिय होता है।' यह कवित्र किस मध्यकालीन लेखक द्वारा रचा गया है? (पृ. सं. 20 | {'अपधर्मी को अपधर्म, परम्परावादी को [[धर्म]] किंतु इत्र विक्रेता के [[हृदय]] को [[गुलाब]] पंखुड़ी का पराग प्रिय होता है।' यह कवित्र किस मध्यकालीन लेखक द्वारा रचा गया है? (पृ. सं. 20 | ||
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-[[अबुल फ़ज़ल]] | -[[अबुल फ़ज़ल]] | ||
-लाहोरी | -लाहोरी | ||
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right| | ||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right|90px|अमीर ख़ुसरो और हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया]]अमीर ख़ुसरो मध्य एशिया की 'लाचन जाति' के तुर्क सैफ़द्दीन के पुत्र थे। लाचन जाति के [[तुर्क]] [[चंगेज़ ख़ाँ]] के आक्रमणों से पीड़ित होकर [[बलबन]] (1266-1286 ई.) के राज्य काल में शरणार्थी के रूप में [[भारत]] आ गये और फिर यहीं पर बस गए थे। [[अमीर ख़ुसरो]] का जन्म सन 1253 ई. में [[एटा]], [[उत्तर प्रदेश]] के पटियाली नामक क़स्बे में [[गंगा]] के किनारे हुआ था। [[हिन्दी]] की [[खड़ी बोली]] के पहले लोकप्रिय कवि अमीर ख़ुसरो ने कई गज़ल, [[ख़याल]], [[कव्वाली]], [[रुबाई]] और तराना आदि की रचना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने 'एज ऑफ़ कन्सेक्ट एक्ट-1891' में प्रस्तावित बालिकाओं की [[विवाह]] योग्य आयु की सीमा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष करने का विरोध किया? (पृ. सं. 22 | {निम्नलिखित में से किसने 'एज ऑफ़ कन्सेक्ट एक्ट-1891' में प्रस्तावित बालिकाओं की [[विवाह]] योग्य आयु की सीमा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 12 वर्ष करने का विरोध किया? (पृ. सं. 22 | ||
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+[[अर्जुमंद बानो बेगम]] | +[[अर्जुमंद बानो बेगम]] | ||
-[[नूरजहाँ]] | -[[नूरजहाँ]] | ||
||[[चित्र:Mumtaz Mahal.jpg|right| | ||[[चित्र:Mumtaz Mahal.jpg|right|90px|मुमताज़ महल]][[मुग़ल]] [[शाहजहाँ|बादशाह शाहजहाँ]] की पत्नी मुमताज़ महल का वास्तविक नाम 'अर्जुमंद बानो बेगम' था। [[मुमताज़ महल|मुमताज़]], [[नूरजहाँ]] के भाई [[आसफ़ ख़ाँ (सूबेदार)|आसफ़ खाँ]] की पुत्री थी। उसका निकाह [[जहाँगीर]] के पुत्र ख़ुर्रम (बाद में [[शाहजहाँ]]) से 19 वर्ष की आयु में [[10 मई]], 1612 को हुआ था। मुमताज़ शाहजहाँ की भले ही तीसरी पत्नी थी, लेकिन शीघ्र ही वह उनकी सबसे पसंदीदा बेगम बन गई। शाहजहाँ और मुमताज़ के 14 संतानें हुई थीं, जिनमें [[दारा शिकोह]], [[शाहशुजा]], [[औरंगज़ेब]] और [[मुराद बख़्श]] नामक चार पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्जुमंद बानो बेगम]] | ||
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-[[गोमेद]] | -[[गोमेद]] | ||
-इन्द्रगोप मणि | -इन्द्रगोप मणि | ||
||[[चित्र:Rock-Crystal.jpg|right| | ||[[चित्र:Rock-Crystal.jpg|right|90px|स्फटिक]]'स्फटिक' एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर', [[अंग्रेज़ी]] में 'रॉक क्रिस्टल', [[संस्कृत]] में 'सितोपल', शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्फटिक]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक [[हड़प्पा]] स्थल [[हिन्दूकुश]] के उत्तर में स्थित है? (पृ. सं. 26 | {निम्नलिखित में से कौन-सा एक [[हड़प्पा]] स्थल [[हिन्दूकुश]] के उत्तर में स्थित है? (पृ. सं. 26 |
06:17, 8 मार्च 2013 का अवतरण
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