"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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{किस [[मुग़ल]] बादशाह की मृत्यु के बाद [[झारखण्ड]] स्वतंत्र हो गया था?(संख्या-263, प्रश्न नं.- 14) | {किस [[मुग़ल]] बादशाह की मृत्यु के बाद [[झारखण्ड]] स्वतंत्र हो गया था?(संख्या-263, प्रश्न नं.- 14) | ||
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-[[जहाँगीर]] | -[[जहाँगीर]] | ||
||[[चित्र:Aurangzebs-Tomb.jpg|right|100px|औरंगज़ेब का मक़बरा]][[औरंगज़ेब]] ने [[राजपूत|राजपूतों]] के प्रति [[धर्म]] के क्षेत्र में अनुदारयता की नीति अपनायी। [[क़ुरान]] का कट्टर समर्थक होने के नाते वह अन्य धर्मों मुख्यतः [[हिन्दू धर्म]] के प्रति बहुत असहिष्णु था। उसने [[12 अप्रैल]], 1679 ई. को हिन्दुओं पर दोबारा '[[जज़िया कर]]' लगाया। सर्वप्रथम जज़िया कर मारवाड़ पर लागू किया गया। धार्मिक क्रिया-कलापों, त्यौहारों एवं उत्सवों को प्रतिबन्धित करते हुए औरंगज़ेब ने हिन्दुओं से 'तीर्थयात्रा कर' पुनः वसूलना शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में [[हिन्दू]] मंदिरों को तोड़ने का आदेश देकर नवीन एवं पुराने मंदिरों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया। औरंगज़ेब की इन नीतियों का राजपूतों के ऊपर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]] | ||[[चित्र:Aurangzebs-Tomb.jpg|right|100px|औरंगज़ेब का मक़बरा]][[औरंगज़ेब]] ने [[राजपूत|राजपूतों]] के प्रति [[धर्म]] के क्षेत्र में अनुदारयता की नीति अपनायी। [[क़ुरान]] का कट्टर समर्थक होने के नाते वह अन्य धर्मों मुख्यतः [[हिन्दू धर्म]] के प्रति बहुत असहिष्णु था। उसने [[12 अप्रैल]], 1679 ई. को हिन्दुओं पर दोबारा '[[जज़िया कर]]' लगाया। सर्वप्रथम जज़िया कर मारवाड़ पर लागू किया गया। धार्मिक क्रिया-कलापों, त्यौहारों एवं उत्सवों को प्रतिबन्धित करते हुए औरंगज़ेब ने हिन्दुओं से 'तीर्थयात्रा कर' पुनः वसूलना शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में [[हिन्दू]] मंदिरों को तोड़ने का आदेश देकर नवीन एवं पुराने मंदिरों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया। औरंगज़ेब की इन नीतियों का राजपूतों के ऊपर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]] | ||
{[[झारखण्ड]] राज्य में 'छोटा नागपुर केसरी' कौन कहलाते हैं?(संख्या-263, प्रश्न नं.- 11) | |||
|type="()"} | |||
-शेख़ भिखारी | |||
-भोलानाथ सिंह | |||
+राम नारायण सिंह | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{[[झारखण्ड]] का प्रथम जनजातीय विद्रोह कौन-सा था?(संख्या- 263, प्रश्न नं.- 17) | {[[झारखण्ड]] का प्रथम जनजातीय विद्रोह कौन-सा था?(संख्या- 263, प्रश्न नं.- 17) | ||
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+पहाड़िया विद्रोह | +पहाड़िया विद्रोह | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा मन्दिर [[रजरप्पा]] में स्थित है? | |||
|type="()"} | |||
+[[छिन्नमस्तिका मंदिर]] | |||
-[[नौलखा मंदिर देवघर|नौलखा मंदिर]] | |||
-[[कौलेश्वरी देवी मन्दिर]] | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||[[चित्र:Chinnamasta Temple.jpg|right|120px|छिन्नमस्तिका मंदिर, रजरप्पा]][[झारखण्ड]] की राजधानी [[राँची]] से क़रीब 80 कि.लो. की दूरी पर स्थित [[छिन्नमस्तिका मंदिर|माँ छिन्नमस्तिका मंदिर]] [[रजरप्पा]] में स्थित है। भैरवी-भेड़ा और [[दामोदर नदी]] के संगम पर स्थित मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए माता छिन्नमस्तिका के दिव्य स्वरूप का दर्शन होता है। [[असम]] स्थित माँ [[कामाख्या मंदिर]] के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा [[शक्तिपीठ]] है। यहाँ शादियाँ भी कराई जाती हैं। मंदिर के अन्दर शिलाखंड में माँ की तीन आँखें हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[छिन्नमस्तिका मंदिर]] | |||
{[[झारखण्ड]] राज्य में कहाँ के सैनिकों ने सबसे पहले विद्रोह किया?(संख्या- 264, प्रश्न नं.- 18) | {[[झारखण्ड]] राज्य में कहाँ के सैनिकों ने सबसे पहले विद्रोह किया?(संख्या- 264, प्रश्न नं.- 18) | ||
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-[[1924]] ई. | -[[1924]] ई. | ||
-[[1926]] ई. | -[[1926]] ई. | ||
{निम्नलिखित में से किस स्थान को 'झारखण्ड का प्रवेश द्वार' कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[देवघर]] | |||
+[[चतरा]] | |||
-[[गिरिडीह]] | |||
-[[दुमका]] | |||
||'चतरा' [[झारखण्ड]] का बहुत ही ख़ूबसूरत स्थान है। इसे 'झारखंड का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यहाँ पर जंगलों, प्राचीन मन्दिरों, नदियों, झरनों और वन्य जीव अभयारण्यों की सैर की जा सकती है। यहाँ के जंगलों में वन्य जीवों को आसानी से देखा जा सकता है। वन्य जीवों के अलावा इन जंगलों में विविध प्रकार के औषधीय वृक्ष और जड़ी-बुटियाँ भी पाई जाती हैं। [[चतरा]] के 'द्वारी झरने' में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस झरने में [[स्नान]] करने से कई प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चतरा]] | |||
{[[असहयोग आन्दोलन]] के दौरान किस स्थान पर राष्टीय विद्यालय के स्थापना की गई थी?(संख्या- 264, प्रश्न नं.- 27) | {[[असहयोग आन्दोलन]] के दौरान किस स्थान पर राष्टीय विद्यालय के स्थापना की गई थी?(संख्या- 264, प्रश्न नं.- 27) | ||
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||[[चित्र:Parasnath-Hills.jpg|right|100px|पारसनाथ पहाड़ी, झारखंड]]'पारसनाथ पहाड़ी' [[झारखण्ड]] राज्य के [[बोकारो]] शहर में स्थित है। बोकारो में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें से [[पारसनाथ पहाड़ी बोकारो|पारसनाथ पहाड़ी]] भी एक है। यह पहाड़ी झारखण्ड राज्य की सबसे ऊँची पहाड़ी है। [[गिरिडीह]] स्थित इस पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है। ये पूरी पहाड़ी जंगल से घिरी हुई है। इसकी प्राकृतिक छटा बहुत ही अद्भुत है। पहाड़ी पर [[जैन धर्म]] का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है, जिस पर जैन धर्म के 20 [[तीर्थंकर|तीर्थंकारों]] के चरण चिह्न अंकित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पारसनाथ पहाड़ी झारखंड]] | ||[[चित्र:Parasnath-Hills.jpg|right|100px|पारसनाथ पहाड़ी, झारखंड]]'पारसनाथ पहाड़ी' [[झारखण्ड]] राज्य के [[बोकारो]] शहर में स्थित है। बोकारो में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें से [[पारसनाथ पहाड़ी बोकारो|पारसनाथ पहाड़ी]] भी एक है। यह पहाड़ी झारखण्ड राज्य की सबसे ऊँची पहाड़ी है। [[गिरिडीह]] स्थित इस पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है। ये पूरी पहाड़ी जंगल से घिरी हुई है। इसकी प्राकृतिक छटा बहुत ही अद्भुत है। पहाड़ी पर [[जैन धर्म]] का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है, जिस पर जैन धर्म के 20 [[तीर्थंकर|तीर्थंकारों]] के चरण चिह्न अंकित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पारसनाथ पहाड़ी झारखंड]] | ||
{जूट की भाँति राज्य में उत्पादित रेशे की फ़सल कहलाती है-(संख्या- 270, प्रश्न नं.- 3) | {[[जूट]] की भाँति राज्य में उत्पादित रेशे की फ़सल कहलाती है-(संख्या- 270, प्रश्न नं.- 3) | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पटसन | -पटसन | ||
+मेस्टा | +मेस्टा | ||
-सनई | -सनई | ||
- | -उपरोक्त में से कोई नहीं | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} | ||
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08:30, 14 अप्रैल 2012 का अवतरण
झारखण्ड सामान्य ज्ञान
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