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-शून्यवाद | -शून्यवाद | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{[[हर्षवर्धन]] अपनी धार्मिक सभा कहाँ किया करता था? | |||
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-[[मथुरा]] | |||
+[[प्रयाग]] | |||
-[[वाराणसी]] | |||
-[[पेशावर]] | |||
||[[चित्र:Sangam-Allahabad.jpg|संगम, इलाहाबाद|100px|right]][[गंगा]]-[[यमुना]] के संगम स्थल [[प्रयाग]] को [[पुराण|पुराणों]] में 'तीर्थराज' ( तीर्थों का राजा ) नाम से अभिहित किया गया है। इस संगम के सम्बन्ध में [[ॠग्वेद]] में कहा गया है कि, जहाँ [[कृष्ण]] (काले) और श्वेत (स्वच्छ) [[जल]] वाली दो सरिताओं का संगम है, वहाँ स्नान करने से मनुष्य स्वर्गारोहण करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रयाग]] | |||
{[[मुग़ल काल]] में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था? | {[[मुग़ल काल]] में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था? | ||
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-[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]] | -[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]] | ||
+[[सूरत]] | +[[सूरत]] | ||
||[[चित्र:Janjira-Fort.jpg|right|120px|जंजीरा क़िला, सूरत]]12वीं से 15वीं शताब्दी तक सूरत शहर [[मुसलमान|मुस्लिम]] शासकों, [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[मराठा|मराठों]] के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में पुर्तग़ाली यात्री 'दुआरते बारबोसा' ने [[सूरत]] का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय [[अंग्रेज़]] और [[डच]], दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया था।{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]] | ||[[चित्र:Janjira-Fort.jpg|right|120px|जंजीरा क़िला, सूरत]]12वीं से 15वीं शताब्दी तक सूरत शहर [[मुसलमान|मुस्लिम]] शासकों, [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[मराठा|मराठों]] के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में पुर्तग़ाली यात्री 'दुआरते बारबोसा' ने [[सूरत]] का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय [[अंग्रेज़]] और [[डच]], दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]] | ||
{[[भारत]] में [[तम्बाकू]] के प्रचलन का श्रेय किसे है? | {[[भारत]] में [[तम्बाकू]] के प्रचलन का श्रेय किसे है? | ||
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-[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को | -[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को | ||
+[[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ालियों]] को | +[[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ालियों]] को | ||
-[[डच | -[[डच]] लोगों को | ||
-फ्राँसीसियों को | -फ्राँसीसियों को | ||
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-[[स्कंदगुप्त]] | -[[स्कंदगुप्त]] | ||
||हर्षवर्धन एक प्रतिष्ठित नाटककार एवं कवि था। इसने 'नागानन्द', 'रत्नावली' एवं 'प्रियदर्शिका' नामक नाटकों की रचना की। इसके दरबार में [[बाणभट्ट]], हरिदत्त एवं जयसेन जैसे प्रसिद्ध कवि एवं लेखक शोभा बढ़ाते थे। [[हर्षवर्धन]] [[बौद्ध धर्म]] की [[महायान]] शाखा का समर्थक होने के साथ-साथ [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की भी स्तुति करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हर्षवर्धन]] | ||हर्षवर्धन एक प्रतिष्ठित नाटककार एवं कवि था। इसने 'नागानन्द', 'रत्नावली' एवं 'प्रियदर्शिका' नामक नाटकों की रचना की। इसके दरबार में [[बाणभट्ट]], हरिदत्त एवं जयसेन जैसे प्रसिद्ध कवि एवं लेखक शोभा बढ़ाते थे। [[हर्षवर्धन]] [[बौद्ध धर्म]] की [[महायान]] शाखा का समर्थक होने के साथ-साथ [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की भी स्तुति करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हर्षवर्धन]] | ||
{शून्य की खोज किसने की थी? | {शून्य की खोज किसने की थी? |
12:22, 8 जुलाई 2011 का अवतरण
इतिहास
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