"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 94: | पंक्ति 94: | ||
+[[सिंधु नदी]] | +[[सिंधु नदी]] | ||
-[[चिनाब नदी]] | -[[चिनाब नदी]] | ||
||[[चित्र:Sindhu-River-1.jpg|right|120px|सिन्धु नदी]]वैदिक संस्कृति में [[सिंधु नदी]] का उल्लेख अत्यंत श्रद्धा के साथ किया जाता है। [[तिब्बत]], [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] से होकर बहने वाली इस नदी में कई अन्य नदियाँ मिलती हैं, जिनमे [[काबुल नदी]], स्वात, [[झेलम नदी|झेलम]], [[चिनाब नदी|चिनाब]], [[रावी नदी|रावी]] और [[सतलुज नदी|सतलुज]] मुख्य हैं। 'सिंधु' शब्द से प्राचीन [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] का 'हिन्दू' शब्द बना है, क्योंकि यह नदी भारत की पश्चिमी सीमा पर बहती थी और सीमा के पार से आने वाली जातियों के लिए सिंधु नदी को पार करने का अर्थ भारत में प्रवेश करना था। [[यूनानी|यूनानियों]] ने इसी आधार पर सिंध को 'इंडस' और भारत को 'इंडिया' नाम दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिंधु नदी]] | |||
{[[कैलाश पर्वत]] और मानसरोवर झील कहाँ स्थित है?(भूगोल, पृ. 320, प्र. 18) | {[[कैलाश पर्वत]] और मानसरोवर झील कहाँ स्थित है?(भूगोल, पृ. 320, प्र. 18) | ||
पंक्ति 101: | पंक्ति 102: | ||
-[[नेपाल]] | -[[नेपाल]] | ||
-[[बर्मा]] | -[[बर्मा]] | ||
||[[चित्र:Tsaparang-Guge-Tibet.jpg|right|120px|सपरंग गुज, तिब्बत]][[तिब्बत]] और [[भारत]] के बीच सांस्कृतिक सम्बन्धों का लम्बा [[इतिहास]] है। [[1890]] ई. में तिब्बत और [[सिक्किम]] का सीमा-निर्धारण [[चीन]] और [[ब्रिटेन]] के मध्य हुए समझौते के अंतर्गत किया गया। [[1917]] की राज्यक्रान्ति के बाद [[रूस]] में जो परिवर्तन हुए तथा चीन में जो अव्यवस्था क़ायम रही, उसके कारण तिब्बत में ब्रिटिश हितों पर किसी विदेशी शत्रु के द्वारा आघात किए जाने का ख़तरा समाप्त हो गया और अगले बीस वर्षों तक तिब्बत और भारत की सरकारों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तिब्बत]] | |||
{निम्न में से किस नदी में 'गेवियलिस' (घड़ियाल) बहुतायत में पाया जाता है?(भूगोल, पृ. 771, प्र. 33) | {निम्न में से किस नदी में 'गेवियलिस' (घड़ियाल) बहुतायत में पाया जाता है?(भूगोल, पृ. 771, प्र. 33) | ||
पंक्ति 108: | पंक्ति 110: | ||
-[[गोदावरी नदी|गोदावरी]] | -[[गोदावरी नदी|गोदावरी]] | ||
-[[कावेरी नदी|कावेरी]] | -[[कावेरी नदी|कावेरी]] | ||
||[[चित्र:Garwhal-Gangotri-Waterfall.jpg|right|100px|गंगोत्री झरना, गढ़वाल]]'गंगा नदी' विश्व में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस [[गंगा]] के जल में [[बैक्टीरियोफेज]] नामक [[विषाणु]] होते हैं, जो [[जीवाणु|जीवाणुओं]] व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते। अब गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए घड़ियालों की मदद ली जा रही है, जिनकी संख्या इस नदी में बहुत अधिक है। शहर की गंदगी को साफ करने के लिए संयंत्रों को लगाया जा रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गंगा]] | |||
{[[राजस्थान]] के किस ज़िले में तेल एवं प्राकृतिक गैस की संभावनाएँ अच्छी हैं?(भूगोल, पृ. 774, प्र. 19) | {[[राजस्थान]] के किस ज़िले में तेल एवं प्राकृतिक गैस की संभावनाएँ अच्छी हैं?(भूगोल, पृ. 774, प्र. 19) | ||
पंक्ति 115: | पंक्ति 118: | ||
+[[जैसलमेर]] | +[[जैसलमेर]] | ||
-[[गंगानगर]] | -[[गंगानगर]] | ||
||[[चित्र:Nachana-Haveli-Jaisalmer-4.jpg|right|100px|नाचना हवेली, जैसलमेर]]जैसलमेर शहर ऊन, नमक, मुलतानी मिट्टी, ऊँट और भेड़ का व्यापार करने वाले कारवाँ का प्रमुख केंद्र है। मध्यकाल में यह शहर एक प्रमुख व्यापारिक और वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ से होकर सौदाग़रों का कारवाँ सुदूर [[अफ़ग़ानिस्तान]] से भी आगे तक जाता और वहाँ से आता था। वह काल तो इस नगरी के उत्थान का 'स्वर्णकाल' था और इस नगरी के साथ पूरे क्षेत्र में अतीत का प्रभाव झलकता दिखाई दे रहा है। [[ज्वार]] और [[बाजरा]] यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैसलमेर]] | |||
{पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट और दक्षिणी पहाड़ियों का मिलन स्थल है-(भूगोल, पृ. 339, प्र. 28) | {पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट और दक्षिणी पहाड़ियों का मिलन स्थल है-(भूगोल, पृ. 339, प्र. 28) | ||
पंक्ति 122: | पंक्ति 126: | ||
-[[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली]] | -[[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली]] | ||
+[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]] | +[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]] | ||
||[[चित्र:Nilgiri-Hills.jpg|right|120px|नीलगिरि पहाड़ी, तमिलनाडु]]'नीलगिरि पहाड़ियाँ' [[तमिलनाडु]] राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वतश्रेणी है। इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] में [[कर्ण]] की दिग्विजय के प्रसंग में [[केरल]] तथा नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है। नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]] | |||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
07:48, 21 जून 2012 का अवतरण
भूगोल सामान्य ज्ञान
|