"अमरुद": अवतरणों में अंतर
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अमरुद [[भारत]] में पाया जाने वाला एक [[भारत के फल|फल]] है। अमरुद [[हरा रंग|हरे रंग]] का | '''अमरुद''' [[भारत]] में पाया जाने वाला एक [[भारत के फल|फल]] है। अमरुद [[हरा रंग|हरे रंग]] का होता है। अमरुद का वैज्ञानिक नाम ''सीडीयम गुयायावा'' है। अमरुद [[लाल रंग|लाल]] और पीताभ [[सफ़ेद रंग]] लिए हुए होते हैं। बीज वाले और बिना बीज वाले तथा अत्यंत मीठे और खट्ठे-मीठे प्रकार के अमरुद आमतौर पर देखने को मिलते हैं। सफ़ेद की अपेक्षा [[लाल रंग]] के अमरुद गुणकारी होते हैं। सफ़ेद गुदे वाले अमरुद अधिक मीठे होते हैं। फल का भार आमतौर पर 30 से 450 ग्राम तक होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.jkhealthworld.com/detail.php?id=734 |title=अमरुद |accessmonthday=[[22 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=जनकल्याण |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
अमरुद की दो किस्में होती हैः- पहला | अमरुद की दो किस्में होती हैः- पहला सफ़ेद गर्भवाली और दुसरा लाल-गुलाबी गर्भवाली। सफ़ेद किस्म अधिक मीठी होती है। कलमी अमरुद में अच्छी किस्म के अमरुद भी होते हैं। वे बहुत बड़े होते हैं। और उसमें मुश्किल से 4-5 बीज निकलते हैं। [[बनारस]] ([[उत्तर प्रदेश]]) में इस प्रकार के अमरुद होते हैं। | ||
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अमरूद का मूल स्थान उष्ण कटिबंधीय [[अमेरिका]] है। विशेषतया मैक्सिको से पेरू तक का क्षेत्र। यहाँ से अमरूद संसार के अन्य उष्ण और उपोष्ण भागों में फैला। शायद [[भारत]] में इसका प्रवेश स्पेनवाशियों द्वारा 16वीं शताब्दी में हुआ। | अमरूद का मूल स्थान उष्ण कटिबंधीय [[अमेरिका]] है। विशेषतया मैक्सिको से पेरू तक का क्षेत्र। यहाँ से अमरूद संसार के अन्य उष्ण और उपोष्ण भागों में फैला। शायद [[भारत]] में इसका प्रवेश स्पेनवाशियों द्वारा 16वीं शताब्दी में हुआ। | ||
==अमरूद का वितरण== | ==अमरूद का वितरण== | ||
भारत में इसकी खेती 1.55 लाख क्षेत्रफल में की जाती हैं तथा वार्षिक उत्पादन 17.93 लाख टन ही है जो कि अन्य देशों से | भारत में इसकी खेती 1.55 लाख क्षेत्रफल में की जाती हैं तथा वार्षिक उत्पादन 17.93 लाख टन ही है जो कि अन्य देशों से काफ़ी कम है। इसकी व्यवसाययिक बागवानी विशेष रूप से [[उत्तर प्रदेश]], [[उत्तराखंड]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]], [[पश्चिम बंगाल]] और [[गुजरात]] में होती है।<ref>{{cite web |url=http://uttrakrishiprabha.com/wps/portal/!ut/p/kcxml/04_Sj9SPykssy0xPLMnMz0vM0Y_QjzKLN4j3dQLJgFjGpvqRINrNBybiCBFAKPFFiPh65Oem6gcBZSLNgSKGBs76UTmp6YnJlfrB-t76AfoFuaGhEeXejgBpzmUQ/delta/base64xml/L0lJSk03dWlDU1EhIS9JRGpBQU15QUJFUkVSRUlnLzRGR2dkWW5LSjBGUm9YZmcvN18wXzEwQw!!?WCM_PORTLET=PC_7_0_10C_WCM&WCM_GLOBAL_CONTEXT=/wps/wcm/connect/UAAP_HI/Home/Produce/Fruit/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3+%E0%A4%AB%E0%A4%B2/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A6/ |title=अमरूद |accessmonthday=[[22 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=उत्तरा कृषि प्रभा |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
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अमरुद का वृक्ष आमतौर पर [[भारत]] के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष | अमरुद का वृक्ष आमतौर पर [[भारत]] के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमज़ोर होती है। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफ़ेद छाल से आच्छादित रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है। पत्ते हल्के हरे रंग के, स्पर्ष में खुरदरे, 3 से 4 इंच लम्बे, आयताकार, सुगंधयुक्त, डंठल छोटे होते हैं। | ||
अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर | |||
प्रजनन तंत्रः फूल पत्तियों के अक्ष में, नई वृद्धि पर आते हैं। ये एकल अथवा दो या तीन के ससीमाक्ष में होते हैं। फूल का रंग | अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर ज़मीन की सतह से ही विभाजित रहता है। इसकी शाखायें फैलने वाली और छाल चिकनी, परतदार एवं आसानी से निकलने वाली होती है। नये प्ररोह छोटे, रोमयुक्त तथा आयताकार या चौकोर होते हैं। | ||
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==अमरुद के फ़ायदे== | |||
*अमरुद में विटामिन सी और शर्करा काफ़ी मात्रा में होती है। | |||
*अमरुद में पेक्टिन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। | *अमरुद में पेक्टिन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। | ||
*अमरुद को इसके बीजों के साथ खाना अत्यंत उपयोगी होता है। जिसके कारण पेट | *अमरुद को इसके बीजों के साथ खाना अत्यंत उपयोगी होता है। जिसके कारण पेट साफ़ रहता है। | ||
*अमरुद को चटनियां, जेली, मुरब्बा और फल से पनीर बनाने के काम में लिया जाता है। | *अमरुद को चटनियां, जेली, मुरब्बा और फल से पनीर बनाने के काम में लिया जाता है। | ||
==अमरुद से होने वाले | ==अमरुद से होने वाले नुक़सान== | ||
*शीत प्रकृति वालों को और जिनका आमाशय कमज़ोर हो, उनके लिए अमरुद हानिकारक होता है। | *शीत प्रकृति वालों को और जिनका [[आमाशय]] कमज़ोर हो, उनके लिए अमरुद हानिकारक होता है। | ||
*वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे | *वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफ़ेद कृमि पैदा होने से खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसे विकार हो सकते हैं। | ||
*अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते | *अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते हैं। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए। | ||
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14:10, 29 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

Guava
अमरुद भारत में पाया जाने वाला एक फल है। अमरुद हरे रंग का होता है। अमरुद का वैज्ञानिक नाम सीडीयम गुयायावा है। अमरुद लाल और पीताभ सफ़ेद रंग लिए हुए होते हैं। बीज वाले और बिना बीज वाले तथा अत्यंत मीठे और खट्ठे-मीठे प्रकार के अमरुद आमतौर पर देखने को मिलते हैं। सफ़ेद की अपेक्षा लाल रंग के अमरुद गुणकारी होते हैं। सफ़ेद गुदे वाले अमरुद अधिक मीठे होते हैं। फल का भार आमतौर पर 30 से 450 ग्राम तक होता है।[1] अमरुद की दो किस्में होती हैः- पहला सफ़ेद गर्भवाली और दुसरा लाल-गुलाबी गर्भवाली। सफ़ेद किस्म अधिक मीठी होती है। कलमी अमरुद में अच्छी किस्म के अमरुद भी होते हैं। वे बहुत बड़े होते हैं। और उसमें मुश्किल से 4-5 बीज निकलते हैं। बनारस (उत्तर प्रदेश) में इस प्रकार के अमरुद होते हैं।
अमरुद का रासायनिक संगठन
तत्त्व | मात्रा | तत्त्व | मात्रा |
---|---|---|---|
पानी | 7.6 प्रतिशत | कार्बोहाइड्रेट | 14.6% |
प्रोटीन | 1.5% | कैल्शियम | 0.01% |
वसा | 0.2% | फास्फोरस | 0.4% |
खनिज पदार्थ | 7.8% | रेशा | 6.9% |
विटामिन-सी | 299 मिली ग्राम/100 ग्राम |
अमरूद का विकास
अमरूद का मूल स्थान उष्ण कटिबंधीय अमेरिका है। विशेषतया मैक्सिको से पेरू तक का क्षेत्र। यहाँ से अमरूद संसार के अन्य उष्ण और उपोष्ण भागों में फैला। शायद भारत में इसका प्रवेश स्पेनवाशियों द्वारा 16वीं शताब्दी में हुआ।
अमरूद का वितरण
भारत में इसकी खेती 1.55 लाख क्षेत्रफल में की जाती हैं तथा वार्षिक उत्पादन 17.93 लाख टन ही है जो कि अन्य देशों से काफ़ी कम है। इसकी व्यवसाययिक बागवानी विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात में होती है।[2]
अमरूद का वृक्ष
अमरुद का वृक्ष आमतौर पर भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमज़ोर होती है। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफ़ेद छाल से आच्छादित रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है। पत्ते हल्के हरे रंग के, स्पर्ष में खुरदरे, 3 से 4 इंच लम्बे, आयताकार, सुगंधयुक्त, डंठल छोटे होते हैं।
अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर ज़मीन की सतह से ही विभाजित रहता है। इसकी शाखायें फैलने वाली और छाल चिकनी, परतदार एवं आसानी से निकलने वाली होती है। नये प्ररोह छोटे, रोमयुक्त तथा आयताकार या चौकोर होते हैं।

प्रजनन तंत्रः फूल पत्तियों के अक्ष में, नई वृद्धि पर आते हैं। ये एकल अथवा दो या तीन के ससीमाक्ष में होते हैं। फूल का रंग सफ़ेद होता है। फल सरस और बाह्नय दल पुंज बाहु से घिरे रहते हैं। बीज हल्के सफ़ेद से भूरे-सफ़ेद रंग के और बीज चोल कड़ा होता है।
अमरुद के फ़ायदे
- अमरुद में विटामिन सी और शर्करा काफ़ी मात्रा में होती है।
- अमरुद में पेक्टिन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है।
- अमरुद को इसके बीजों के साथ खाना अत्यंत उपयोगी होता है। जिसके कारण पेट साफ़ रहता है।
- अमरुद को चटनियां, जेली, मुरब्बा और फल से पनीर बनाने के काम में लिया जाता है।
अमरुद से होने वाले नुक़सान
- शीत प्रकृति वालों को और जिनका आमाशय कमज़ोर हो, उनके लिए अमरुद हानिकारक होता है।
- वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफ़ेद कृमि पैदा होने से खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसे विकार हो सकते हैं।
- अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते हैं। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।
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