"अल्मोड़ा पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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अल्मोड़ा का [[चम्पावत]] संभाग कई वर्षों तक [[कुमाऊँ]] के शासकों की राजधानी रहा है। चम्पावत नगर में कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर तथा कत्यूरी वंशज राजा कटारमल द्वारा स्थापित सूर्य मंदिर की तत्कालीन शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।<ref name="ignca">{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/utrn0047.htm |title=पिथौरागढ़ |accessmonthday=20 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ignca.nic.in |language=हिन्दी }}</ref> | अल्मोड़ा का [[चम्पावत]] संभाग कई वर्षों तक [[कुमाऊँ]] के शासकों की राजधानी रहा है। चम्पावत नगर में कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर तथा कत्यूरी वंशज राजा कटारमल द्वारा स्थापित सूर्य मंदिर की तत्कालीन शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।<ref name="ignca">{{cite web |url=http://www.ignca.nic.in/coilnet/utrn0047.htm |title=पिथौरागढ़ |accessmonthday=20 सितम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ignca.nic.in |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==पर्यटन== | ==प्रमुख पर्यटन स्थल== | ||
====चम्पावत==== | |||
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पर्यटकों के लिये यहाँ कटारमल सूर्य मंदिर और चाय बागान भी हैं। उत्तराखण्ड के इस ऐतिहासिक शहर का धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।<ref name="ignca"/> | पर्यटकों के लिये यहाँ कटारमल सूर्य मंदिर और चाय बागान भी हैं। उत्तराखण्ड के इस ऐतिहासिक शहर का धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।<ref name="ignca"/> | ||
[[चित्र:Champawat1.jpg|thumb||left|250px|कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर]] | [[चित्र:Champawat1.jpg|thumb||left|250px|कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर]] | ||
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देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। | देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। | ||
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जनश्रुति में कहा जाता है कि लंका में लक्ष्मण के शक्ति लगने पर हनुमान इसी पहाड़ (द्रोणगिरि) पर से संजीवनी ले गये थे। | जनश्रुति में कहा जाता है कि लंका में लक्ष्मण के शक्ति लगने पर हनुमान इसी पहाड़ (द्रोणगिरि) पर से संजीवनी ले गये थे। | ||
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8वीं से 13वीं शती तक के अनेक मंदिरों के अवशेष यहाँ से मिले हैं। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं- कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत-से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। | 8वीं से 13वीं शती तक के अनेक मंदिरों के अवशेष यहाँ से मिले हैं। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं- कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत-से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। | ||
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ग्वल देवता (गोलू देव) उत्तराखंड राज्य के कुमायुँ के एक इतिहास देवता है । कहा जाता है की ये चमपावत के चंद राजा के पुत्र थे। इन्हे न्याय का प्रतिक माना जाता है। इनके बारे मै यह मान्यता है की जिसको कही पर भी न्याय नही मिले वो इनके दरवार मै अरजी लगाये तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है। | |||
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कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि [[उडीसा]] के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है। [[रानीखेत]] | कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि [[उडीसा]] के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है। [[रानीखेत]] अल्मोड़ा मार्ग पर अल्मोड़ा से 12 किलोमीटर पहले मुख्य सड़क से क़रीब ढाई किमी उपर जाकर [[कटारमल सूर्य मन्दिर|कटारमल]] गांव आता है जिसे बड आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा जाता है। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
07:29, 1 मार्च 2014 के समय का अवतरण
अल्मोड़ा पर्यटन
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विवरण | प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखण्ड का यह छोटा-सा नगर स्वयं में बड़ा इतिहास समेटे है। |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | अल्मोड़ा |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़कमार्ग द्वारा टनकपुर लगभग 75 किमी दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | बग्वाल, चम्पावत, रानीखेत, दूनागिरि, गणनाथ, द्वाराहाट |
कैसे पहुँचें | किसी भी शहर से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है। |
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पन्तनगर, नैनी सैनी हवाई अड्डा, पिथौरागढ़ |
![]() |
टनकपुर रेलवे स्टेशन |
क्या देखें | उत्तराखण्ड पर्यटन |
क्या ख़रीदें | स्थानीय दाल |
एस.टी.डी. कोड | 0176 |
सावधानी | बरसात में भूस्खलन |
![]() |
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा |
अन्य जानकारी | अल्मोड़ा में आप बग्वाल का भी आनन्द ले सकते हैं। |
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा पर्यटन | अल्मोड़ा ज़िला |
अल्मोड़ा का चम्पावत संभाग कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चम्पावत नगर में कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर तथा कत्यूरी वंशज राजा कटारमल द्वारा स्थापित सूर्य मंदिर की तत्कालीन शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।[1]
प्रमुख पर्यटन स्थल
चम्पावत
पर्यटकों के लिये यहाँ कटारमल सूर्य मंदिर और चाय बागान भी हैं। उत्तराखण्ड के इस ऐतिहासिक शहर का धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है।[1]

रानीखेत
देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है।
दूनागिरि
जनश्रुति में कहा जाता है कि लंका में लक्ष्मण के शक्ति लगने पर हनुमान इसी पहाड़ (द्रोणगिरि) पर से संजीवनी ले गये थे।
गणनाथ
यहाँ भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसकी मूर्ति बहुत सुघड़ तथा दिव्य मानी जाती है।
द्वाराहाट

8वीं से 13वीं शती तक के अनेक मंदिरों के अवशेष यहाँ से मिले हैं। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं- कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत-से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं।
गूजरदेव का मन्दिर
'गूजरदेव का मन्दिर' द्वाराहाट का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मन्दिर है। कला की दृष्टि से यह मन्दिर उत्कृष्ट कहा जा सकता है।
गोलू देवता मंदिर
ग्वल देवता (गोलू देव) उत्तराखंड राज्य के कुमायुँ के एक इतिहास देवता है । कहा जाता है की ये चमपावत के चंद राजा के पुत्र थे। इन्हे न्याय का प्रतिक माना जाता है। इनके बारे मै यह मान्यता है की जिसको कही पर भी न्याय नही मिले वो इनके दरवार मै अरजी लगाये तो उससे तुरन्त न्याय मिल जाता है।
कटारमल सूर्य मंदिर
कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि उडीसा के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है। रानीखेत अल्मोड़ा मार्ग पर अल्मोड़ा से 12 किलोमीटर पहले मुख्य सड़क से क़रीब ढाई किमी उपर जाकर कटारमल गांव आता है जिसे बड आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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